भिंड। बीहड़, बागी और बंदूक के बिना चंबल का जिक्र पूरा ही नहीं होता है. पूर्व में यही चंबल बागियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना था. अब बागी और डकैत के नाम पर सिर्फ किस्से-कहानियां और किताबें ही बची हैं. अलबत्ता छोटे-मोटे गुंडे खुद को डकैत होने का मुगालता पाले बैठे हैं. हालांकि, उन बड़े-बूढ़ों की जुबान पर आज भी डकैतों के दहशत की कहानियां रहती हैं, जिन्होंने दस्युकाल को जिया है. ऐसे ही एक डकैत पीड़ित हैं रिटायर्ड हेडमास्टर रामस्वरूप शर्मा. उनका अपहरण कैसे हुआ था, परिवार ने क्या किया और कैसे डकैतों के चंगुल से सुरक्षित छूटे थे, ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम उनके घर पहुंची.
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बेटे ने बताई पिता के अपहरण की कहानी
रामस्वरूप शर्मा अब 95 वर्ष के हो चुके हैं, पैरालिसिस बीमारी से जूझ रहे हैं, ज्यादा बोल नहीं पाते और न ही उन्हें ज्यादा कुछ याद रहता है, लेकिन उनका परिवार आज भी उनके अपहरण से जुड़े साक्ष्य संभालकर रखा है. उनके बेटे देवेंद्र शर्मा पप्पू पूर्व पार्षद हैं, जो अपने पिता के अपहरण की कहानी बताते हुए कहते हैं कि 22 साल पहले दस्युराज रज्जन गुर्जर और कुख्यात डकैत किरण उर्फ लवली पांडे (dacoit Kiran aka Lovely Pandey in Chambal) ने उनके पिता का अपहरण किया था. तब फिरौती मांगने के लिए उनके घर अपने लेटर पैड पर चिट्ठी लिख कर भिजवाया था.
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रिटायरमेंट के बाद हुआ था अपहरण
साल 1999 में राम स्वरूप शर्मा रिटायर हुए थे, रिटायरमेन्ट के बाद वह अपनी दिनचर्या के अनुसार खुद को व्यस्त रखते थे, रोजाना सुबह घूमने जाना उनका रूटीन था. 15 दिसंबर 1999 की सुबह वह रोजाना की तरह घर से निकले थे, लेकिन लौटाते समय भिंड मेला ग्राउंड के पास एक मारुती वैन से उनका अपहरण कर लिया गया. शाम तक जब वापस नहीं लौटे, तब उन्होंने थाने पहुंचकर पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, करीब 8 दिन बाद उनके घर डकैत रज्जन गुर्जर और लवली पांडे के लेटर पैड पर लिखी एक चिट्ठी आई, जिसमें उनके पिता के अपहरण की जानकारी देते हुए माता की भेंट के नाम पर 6 लाख 51 हजार 101 रुपये फिरौती मांगी गयी थी. फिरौती मिलने के बाद डकैतों ने उन्हें छोड़ दिया था.
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वापसी पर सुनाई अपहरण की दास्तान
घर वापसी के बाद रामस्वरूप शर्मा ने कई बार अपनी आप बीती घरवालों को बताई (etv bharat special series dacoits of chambal) थी. बेटे देवेंद्र ने बताया कि जब उनके पिता को डकैत अपने खेमे में ले गए और उनसे अपने बारे में पूछने लगे, तब रामस्वरूप शर्मा ने बताया कि वे उन्हें नहीं जानते हैं, पर नाम सुना है. इस बात पर लवली पांडे ने उन्हें भाग्यशाली बताते हुए उनकी कुंडली खंगालनी शुरू कर दी. तभी पता चला कि उनके बेटे अच्छी सरकारी नौकरी में हैं और वे खुद भी हेडमास्टर रहे हैं. जब डकैतों को पता चला कि वे शिक्षक हैं और ब्राह्मण भी हैं तो पूरी गैंग ने उन्हें सम्मान दिया, बाद में उसी गैंग के कुछ लोगों ने उन्हें गुरु भी मान लिया.
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डकैत लवली पांडे ने बनाया गुरू भाई
देवेंद्र शर्मा ने बताया कि डकैत किरण उर्फ लवली पांडे के पिता भागवत कथा वाचक पंडित हरिनारायण शास्त्री थे, लवली पांडे से बातचीत के दौरान उसने अपने पिता का नाम बता दिया. चूकिं रामस्वरूप शर्मा और पंडित हरिनारायण शास्त्री दोनों एक दूसरे को जानते थे और गुरुभाई भी थे, जब यह बात लवली पांडे को पता चली तो उसने भी राम स्वरूप शर्मा को अपना भाई मान लिया और दोबारा कभी परेशान नहीं किया, जब तक वह गैंग के बीच रहे, हमेशा उनका अच्छे से ख्याल रखा गया.
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डकैतों की इस परिवार में खास रुचि!
इस परिवार से ये पहला अपहरण नहीं (ETV Bharat Special Dacoit Series) हुआ था, पहले भी दो बार रामस्वरूप शर्मा के परिवार में अपहरण हो चुका था, साल 1966 में एक डाकू ने उनके छोटे भाई का अपहरण किया था. उससे पहले डाकू मलखान सिंह ने 1980 में उनके भाई का अपहरण किया था. इस इस तरह कहा जा सकता है कि हेडमास्टर रामस्वरूप शर्मा के परिवार में डकैतों की खास रुचि रही.
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पति के साथ पुलिस मुठभेड़ में ढेर हुई लवली
रज्जन गुर्जर के साथ रही लवली पांडेय उत्तर प्रदेश की इटावा के भरेह गांव की रहने वाली थी. 1992 में ही लवली की शादी हो गई थी, लेकिन पति ने उसे तलाक दे दिया था. पिता की मौत और पति के ठुकराने से आहत लवली की मुलाकात दस्यु सरगना रज्जन गुर्जर से हुई और दोनों में प्यार हो गया. रज्जन से रिश्ते को लेकर गांव वाले भला-बुरा कहते थे, जिस पर रज्जन ने भरेह के ही एक मंदिर में डाकुओं की मौजूदगी में लवली से शादी कर ली. दस्यु सुदंरी लवली के आतंक से कभी बीहड़ थर्राता था. 50 हजार की इनामी दस्यु सुंदरी 5 मार्च 2000 को अपने प्रेमी रज्जन गुर्जर के अलावा तीन अन्य डाकुओं के साथ पुलिस मुठभेड़ में मारी गई.