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ठंड से ठिठुरती रात में रेन बसेरों का कितना सहारा, ETV भारत ने लिया व्यवस्थाओं का जायजा

इस समय मध्यप्रदेश कई जिलों में कड़ाके ठंड पड़ रही है, हालात यह है कि सुबह के वक्त कोहरे की चादर रहती है. वहीं इस ठंड में बाहर से यात्रियों को रेन बसेरा का कितना सहारा है. इन रेन बसेरा पर ठंड से बचाव और कोरोना से बचाव की व्यवस्थाओं का जायजा लेने ईटीवी भारत रेन बसेरा पहुंचा.

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रेन बसेरा रियलटी चेक
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Published : Dec 24, 2020, 7:38 AM IST

Updated : Dec 24, 2020, 9:50 AM IST

भिंड। मध्यप्रदेश में ठंड का कहर जारी है, ऐसे में ठिठुरती रातों में बेसहारा लोग जिनके सिर पर छत नहीं होती, जब कोई यात्री दूसरे शहरों से अपना पड़ाव डालते हैं लेकिन रात में सोने के लिए उनके पास आसरा नहीं होता. ऐसे लोगों के लिए सभी जिलों में शासन और प्रशासन की ओर से रेन बसेरों की व्यवस्था है. इस कोरोना काल में भिंड में इन रेन बसेरों के क्या हालात हैं, वहां क्या व्यवस्थाएं हैं, इसका ईटीवी भारत ने जायजा लिया.

भिंड में 7 डिग्री तापमान

जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में साफ सफाई और खुद को सुरक्षित रखने के लिए सेनिटाइजेशन का ख्याल हर जगह आ जा रहा है. सर्दी के मौसम में कोरोना का प्रकोप और बढ़ने की आशंका है. लगातार बदलते मौसम में पूरे उत्तर भारत में शीतलहर शुरू हो चुकी है, जिसकी वजह से प्रदेश के कई जिलों में कड़कड़ाती सर्दी पड़ रही है. कुछ ऐसे ही हालात भिंड जिले में भी हैं, जहां फिलहाल न्यूनतम पारा 7 डिग्री सेल्सियस के स्तर तक पहुंच चुका है. ऐसी ठंड में बाहर से आने वाले यात्री और बेसहारा लोगों के लिए रेन बसेरा इस सर्दी से बचने का सहारा है. अमूमन जिले के रेन बसेरे में बाहर से आने वाले यात्री ही रुकते हैं, जिन्हें रात होने की वजह से रैन बसेरों में रुकना पड़ता है.

रेन बसेरा रियलटी चेक

रेन बसेरे पर अव्यवस्थाओं का आलम

भिंड शहर में प्राइवेट बस स्टैंड पर बने रेन बसेरे के हालात जानने जब ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा तो रेन बसेरे में प्रवेश के साथ ही एक बड़ी कमी सामने आई, इस रैन बसेरा में नगर पालिका द्वारा कहीं भी किसी तरह के सेनिटाइजेशन की व्यवस्था नहीं थी.वहीं पेयजल व्यवस्था भी अव्यवस्था की शिकार थी. कहने को तो रैन बसेरे में वॉटर कूलर लगाया गया था, साथ ही एक आरओ फिल्टर भी लगा हुआ था, लेकिन आरओ वॉटर फिल्टर महज नाम के लिए लगा था, जबकि वॉटर कूलर में पानी की सप्लाई डायरेक्ट टेप वॉटर यानी आम इस्तेमाल के लिए रखी गई पानी की टंकी से किया गया था. यह वही पानी है जो लोगों के नहाने धोने और दूसरी व्यवस्थाओं के काम आता है.

10 बेड की व्यवस्था लेकिन सैनिटाइजेशन नहीं

रेन बसेरा के हॉल में प्रवेश के साथ ही हमने पाया कि प्राइवेट बस स्टैंड पर बने आश्रय पर दस बेड की व्यवस्था है. जिनमें से करीब 8 बेड यात्रियों से घिरे हुए थे, इन यात्रियों से बात करने पर पाया कि जिन यात्रियों से बात की वह अलग-अलग तरह की बातें कर रहे थे. इन यात्रियों ने बताया कि उन्हें इस रेन बसेरा पर मिली व्यवस्थाएं काफी संतोषजनक हैं. उन्हें सोने के लिए बेड मिला है, साथ ही ठंड से बचने के लिए कंबल की सुविधा भी दी गई है. हालांकि जब उनसे सवाल किया गया कि कोरोना के खतरे को देखते हुए क्या उनके बिस्तर सेनिटाइज किए गए थे, क्या उनके हाथ सेनिटाइज किए गए तो एक यात्री का कहना था क्यों उन्हें पूरी व्यवस्थाएं मिली है. वहीं दूसरे यात्री ने सेनिटाइजेशन की बात पर ना कहा.

साफ-सुथरी चादरों की भी नहीं हो पा रही व्यवस्था

यात्रियों से बातचीत के दौरान ईटीवी भारत ने इस बात पर भी गौर किया की बिस्तर पर बिछाए गए चादर साफ-सुथरे नहीं थे. अनौपचारिक बातचीत के दौरान मौके पर मौजूद रहे कर्मचारी ने बताया कि नगरपालिका की ओर से चादर दिलवाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. वह अपनी ओर से ही चादरे धुलवाकर यहां बिछाते हैं, ऐसे में इस कोरोना महामारी के दौरान गंदी चादरों पर लेटना यात्रियों के लिए संक्रमण का खतरा पैदा करता है जो अपने आप में एक चिंताजनक बात है.

कोरोना नियमों का खुला उल्लंघन

रेन बसेरा में हमने पाया कि लोगों को सेनिटाइज कराने की व्यवस्था नगर पालिका द्वारा नहीं की गई, क्योंकि मौके पर ना तो कोई सोनिटाइजेशन पंप देखने को मिला जिससे बिस्तर या रेन बसेरा परिसर को सैनिटाइज किया जा सके और ना ही लोगों के हाथ सैनिटाइज करने के लिए कोई सैनिटाइजर उपलब्ध मिला. इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर भी नियम ताक पर रखे नजर आए, क्योंकि रेन बसेरे के हॉल में 10 बेड की व्यवस्था तो थी लेकिन यह सभी बेड लगभग एक साथ 3 पंक्तियों में सेट किए गए थे.

नगरपालिका कर रही अनदेखी

जिन यात्रियों से हमने बात की थी उनकी बातों से यह तो साफ हो गया था कि वे किसी तरह की बुराई नहीं चाहते है, इसीलिए उन्हें अच्छी बातें करनी पड़ी क्योंकि उनकी बातों के ही विपरीत जब ईटीवी भारत ने मौके पर मौजूद रहे रेन बसेरे के प्रभारी कर्मचारी से बात की तो उसने बताया कि नगर पालिका द्वारा संचालित इस रेन बसेरा में यात्रियों के लिए निशुल्क रुकने की व्यवस्था है. उन्हें कंबल और चादर भी मुफ्त में ही मुहैया कराई जाती है, लेकिन जब उससे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सेनिटाइजेशन की व्यवस्था की जानकारी मांगी गई तो उसने कहा कि नगर पालिका की ओर से ऐसी कोई व्यवस्था रेन बसेरे पर फिलहाल उपलब्ध नहीं है. जब कभी नगर पालिका की ओर से ही सैनिटाइजेशन करा दिया जाता है, लेकिन हर बार आने वाले यात्रियों के लिए सैनिटाइजर की व्यवस्था उपलब्ध नहीं हो पा रही है.

कोरोना का प्रकोप और ठंड दोनों ही लोगों के लिए घातक साबित हो रही हैं ऐसे में इन सर्द रातों में बेसहारा लोगों के लिए बनाए गए रेन बसेरों में हालात कुछ ज्यादा अच्छे नहीं थे. ना तो यहां अलाव की व्यवस्था थी न सैनिटाइजेशन कि ऐसे में लोगों में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ सकता है. क्योंकि रेन बसेरे में ज्यादातर रुकने वाले लोग बाहर से आए कि यात्री होते हैं लेकिन नगरपालिका की अनदेखी की वजह से कहीं ना कहीं न सिर्फ कर्मचारी और यात्रियों की जान भी खतरे में पड़ रही है. ईटीवी भारत के. रियलिटी चेक में प्राइवेट बस स्टैंड पर बना भिंड का रेन बसेरा पूरी तरह फेल नजर आ रहा है.

भिंड। मध्यप्रदेश में ठंड का कहर जारी है, ऐसे में ठिठुरती रातों में बेसहारा लोग जिनके सिर पर छत नहीं होती, जब कोई यात्री दूसरे शहरों से अपना पड़ाव डालते हैं लेकिन रात में सोने के लिए उनके पास आसरा नहीं होता. ऐसे लोगों के लिए सभी जिलों में शासन और प्रशासन की ओर से रेन बसेरों की व्यवस्था है. इस कोरोना काल में भिंड में इन रेन बसेरों के क्या हालात हैं, वहां क्या व्यवस्थाएं हैं, इसका ईटीवी भारत ने जायजा लिया.

भिंड में 7 डिग्री तापमान

जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, ऐसे में साफ सफाई और खुद को सुरक्षित रखने के लिए सेनिटाइजेशन का ख्याल हर जगह आ जा रहा है. सर्दी के मौसम में कोरोना का प्रकोप और बढ़ने की आशंका है. लगातार बदलते मौसम में पूरे उत्तर भारत में शीतलहर शुरू हो चुकी है, जिसकी वजह से प्रदेश के कई जिलों में कड़कड़ाती सर्दी पड़ रही है. कुछ ऐसे ही हालात भिंड जिले में भी हैं, जहां फिलहाल न्यूनतम पारा 7 डिग्री सेल्सियस के स्तर तक पहुंच चुका है. ऐसी ठंड में बाहर से आने वाले यात्री और बेसहारा लोगों के लिए रेन बसेरा इस सर्दी से बचने का सहारा है. अमूमन जिले के रेन बसेरे में बाहर से आने वाले यात्री ही रुकते हैं, जिन्हें रात होने की वजह से रैन बसेरों में रुकना पड़ता है.

रेन बसेरा रियलटी चेक

रेन बसेरे पर अव्यवस्थाओं का आलम

भिंड शहर में प्राइवेट बस स्टैंड पर बने रेन बसेरे के हालात जानने जब ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा तो रेन बसेरे में प्रवेश के साथ ही एक बड़ी कमी सामने आई, इस रैन बसेरा में नगर पालिका द्वारा कहीं भी किसी तरह के सेनिटाइजेशन की व्यवस्था नहीं थी.वहीं पेयजल व्यवस्था भी अव्यवस्था की शिकार थी. कहने को तो रैन बसेरे में वॉटर कूलर लगाया गया था, साथ ही एक आरओ फिल्टर भी लगा हुआ था, लेकिन आरओ वॉटर फिल्टर महज नाम के लिए लगा था, जबकि वॉटर कूलर में पानी की सप्लाई डायरेक्ट टेप वॉटर यानी आम इस्तेमाल के लिए रखी गई पानी की टंकी से किया गया था. यह वही पानी है जो लोगों के नहाने धोने और दूसरी व्यवस्थाओं के काम आता है.

10 बेड की व्यवस्था लेकिन सैनिटाइजेशन नहीं

रेन बसेरा के हॉल में प्रवेश के साथ ही हमने पाया कि प्राइवेट बस स्टैंड पर बने आश्रय पर दस बेड की व्यवस्था है. जिनमें से करीब 8 बेड यात्रियों से घिरे हुए थे, इन यात्रियों से बात करने पर पाया कि जिन यात्रियों से बात की वह अलग-अलग तरह की बातें कर रहे थे. इन यात्रियों ने बताया कि उन्हें इस रेन बसेरा पर मिली व्यवस्थाएं काफी संतोषजनक हैं. उन्हें सोने के लिए बेड मिला है, साथ ही ठंड से बचने के लिए कंबल की सुविधा भी दी गई है. हालांकि जब उनसे सवाल किया गया कि कोरोना के खतरे को देखते हुए क्या उनके बिस्तर सेनिटाइज किए गए थे, क्या उनके हाथ सेनिटाइज किए गए तो एक यात्री का कहना था क्यों उन्हें पूरी व्यवस्थाएं मिली है. वहीं दूसरे यात्री ने सेनिटाइजेशन की बात पर ना कहा.

साफ-सुथरी चादरों की भी नहीं हो पा रही व्यवस्था

यात्रियों से बातचीत के दौरान ईटीवी भारत ने इस बात पर भी गौर किया की बिस्तर पर बिछाए गए चादर साफ-सुथरे नहीं थे. अनौपचारिक बातचीत के दौरान मौके पर मौजूद रहे कर्मचारी ने बताया कि नगरपालिका की ओर से चादर दिलवाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. वह अपनी ओर से ही चादरे धुलवाकर यहां बिछाते हैं, ऐसे में इस कोरोना महामारी के दौरान गंदी चादरों पर लेटना यात्रियों के लिए संक्रमण का खतरा पैदा करता है जो अपने आप में एक चिंताजनक बात है.

कोरोना नियमों का खुला उल्लंघन

रेन बसेरा में हमने पाया कि लोगों को सेनिटाइज कराने की व्यवस्था नगर पालिका द्वारा नहीं की गई, क्योंकि मौके पर ना तो कोई सोनिटाइजेशन पंप देखने को मिला जिससे बिस्तर या रेन बसेरा परिसर को सैनिटाइज किया जा सके और ना ही लोगों के हाथ सैनिटाइज करने के लिए कोई सैनिटाइजर उपलब्ध मिला. इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर भी नियम ताक पर रखे नजर आए, क्योंकि रेन बसेरे के हॉल में 10 बेड की व्यवस्था तो थी लेकिन यह सभी बेड लगभग एक साथ 3 पंक्तियों में सेट किए गए थे.

नगरपालिका कर रही अनदेखी

जिन यात्रियों से हमने बात की थी उनकी बातों से यह तो साफ हो गया था कि वे किसी तरह की बुराई नहीं चाहते है, इसीलिए उन्हें अच्छी बातें करनी पड़ी क्योंकि उनकी बातों के ही विपरीत जब ईटीवी भारत ने मौके पर मौजूद रहे रेन बसेरे के प्रभारी कर्मचारी से बात की तो उसने बताया कि नगर पालिका द्वारा संचालित इस रेन बसेरा में यात्रियों के लिए निशुल्क रुकने की व्यवस्था है. उन्हें कंबल और चादर भी मुफ्त में ही मुहैया कराई जाती है, लेकिन जब उससे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सेनिटाइजेशन की व्यवस्था की जानकारी मांगी गई तो उसने कहा कि नगर पालिका की ओर से ऐसी कोई व्यवस्था रेन बसेरे पर फिलहाल उपलब्ध नहीं है. जब कभी नगर पालिका की ओर से ही सैनिटाइजेशन करा दिया जाता है, लेकिन हर बार आने वाले यात्रियों के लिए सैनिटाइजर की व्यवस्था उपलब्ध नहीं हो पा रही है.

कोरोना का प्रकोप और ठंड दोनों ही लोगों के लिए घातक साबित हो रही हैं ऐसे में इन सर्द रातों में बेसहारा लोगों के लिए बनाए गए रेन बसेरों में हालात कुछ ज्यादा अच्छे नहीं थे. ना तो यहां अलाव की व्यवस्था थी न सैनिटाइजेशन कि ऐसे में लोगों में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ सकता है. क्योंकि रेन बसेरे में ज्यादातर रुकने वाले लोग बाहर से आए कि यात्री होते हैं लेकिन नगरपालिका की अनदेखी की वजह से कहीं ना कहीं न सिर्फ कर्मचारी और यात्रियों की जान भी खतरे में पड़ रही है. ईटीवी भारत के. रियलिटी चेक में प्राइवेट बस स्टैंड पर बना भिंड का रेन बसेरा पूरी तरह फेल नजर आ रहा है.

Last Updated : Dec 24, 2020, 9:50 AM IST
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