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खाने-पीने की सामग्री डिसइनफेक्ट करेगा UV बेस्ड सैनिटाइजेशन ट्रंक, जानें क्या है खासियत

कोरोना महामारी से आज पूरी दुनिया लड़ रही है, ऐसे में लोग हर दिन बचाव के लिए नई-नई मशीनें इजाद कर रहे हैं. भिंड में पदस्थ एफएसएल अधिकारी डॉक्टर अजय सोनी ने एक अल्ट्रावॉयलेट सैनिटाइजेशन ट्रंक तैयार किया है. ईटीवी भारत को अजय सोनी ने बताया कि कैसे ये ट्रंक काम करता है और कहां कारगर साबित हो सकता है.

ultraviolet ray based sanitization trunk
UV बेस्ड सैनिटाइजेशन ट्रंक
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Published : Apr 15, 2020, 6:14 PM IST

Updated : Apr 16, 2020, 9:28 AM IST

भिंड। कोरोना महामारी छूने मात्र से फैल रही है, इससे बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और हाथों को सैनिटाइज करने की सलाह दी जा रही है, ऐसे में तमाम वैज्ञानिक अपने अपने तरीके से उसके बचाव के उपाय खोजने में लगे हैं तो कई एटीट्यूट और टीका बनाने में भिंड पुलिस विभाग में पदस्थ जिला वैज्ञानिक अधिकारी और स्पेशल डॉक्टर अजय सोनी द्वारा खाने-पीने की वस्तुओं को डिसइनफेक्ट करने के लिए एक अल्ट्रावॉयलेट सैनिटाइजेशन ट्रंक बनाया गया है, जिसमें खाने-पीने से पहले वस्तुओं को डिसइनफेक्ट किया जा सकेगा.

के बारे में बताते डॉ. सोनी

किस तरह तैयार किया सैनिटाइजेशन ट्रंक

इस ट्रंक को तैयार करने के लिए डॉक्टर अजय सोनी को भिंड एसपी नगेंद्र सिंह से प्रेरणा मिली, उनके कहने पर ही उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया, डॉक्टर सोनी ने इसके लिए संदूक का इस्तेमाल किया, इसमें एक यूवी लाइट लगाई गई है. जिससे एक एडॉप्टर के माध्यम से पावर सप्लाई दी जाती है. इस यूवी ट्रंक को तैयार करने में महज ढाई हजार रुपए का खर्च आया है.

ultraviolet ray based sanitization trunk in Bhind
UV बेस्ड सैनिटाइजेशन ट्रंक

किस तरह काम करता है

ये ट्रंक एक अल्ट्रावॉयलेट रेज बेस्ड सैनिटाइजेशन ट्रंक है, ये सभी जानते हैं कि अल्ट्रावायलेट किरणें किसी भी तरह के वायरस को नष्ट करने में कारगर हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए संदूक में एक यूवी लाइट ट्यूब लगाई गई है, इसकी मदद से जिस भी चीज को सैनिटाइज करना होता है, उसे संदूक में रख कर दस मिनट के लिए पावर ऑन कर दिया जाता है और दस मिनट बाद लाइट बंद कर अगले 10 मिनट तक ऐसे ही छोड़ दिया जाता है. इस 20 मिनट की अवधि में संदूक में रखे सामान पर मौजूद सभी तरह के कीटाणु या वायरस पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं.

इन वस्तुओं पर कारगर है ट्रक

इस ट्रक में अल्ट्रावायलेट किरणों की मदद से खाने-पीने की वस्तुओं को डिसइनफेक्ट किया जा रहा है. महज 10 मिनट ट्रक में रखने के बाद वस्तुओं का उपयोग किया जा सकता है. 10 मिनट में ही इसमें रखी हुई वस्तुएं अल्ट्रावायलेट किरणों से पूरी तरह सैनिटाइज हो जाती हैं क्योंकि इसमें किरणों का उपयोग होता है, इसलिए वस्तुओं के गीले होने का भी कोई डर नहीं रहता, इनमें फल, सब्जियां, मोबाइल फोन, चार्जर रिमोट, बेल्ट, खाने के पैकेट, चिप्स, बिस्किट के पैकेट रखकर सैनेटाइज किया जा सकता है.

अल्ट्रावायलेट किरण इंसानों के लिए घातक होती हैं, इसलिए इनके संपर्क में आने से बचना चाहिए. डॉक्टर सोनी ने बताया कि यूवी किरण के संपर्क में आने पर कैंसर जैसी बीमारी का भी खतरा बना रहता है, इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक ही किया जाना चाहिए. इस सैनिटाइजेशन ट्रंक को पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों के उपयोग के लिए रखवाया गया है. इस ट्रंक को बनाने वाले डॉक्टर अजय सोनी का कहना है कि ये मध्यप्रदेश में पहला प्रोटोटाइप भिंड में ही तैयार किया गया है, इससे पहले आईआईटी ने भी इस तरह की मशीन बनाई थी, लेकिन हमारा प्रोटोटाइप उनसे बेहतर है.

भिंड। कोरोना महामारी छूने मात्र से फैल रही है, इससे बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और हाथों को सैनिटाइज करने की सलाह दी जा रही है, ऐसे में तमाम वैज्ञानिक अपने अपने तरीके से उसके बचाव के उपाय खोजने में लगे हैं तो कई एटीट्यूट और टीका बनाने में भिंड पुलिस विभाग में पदस्थ जिला वैज्ञानिक अधिकारी और स्पेशल डॉक्टर अजय सोनी द्वारा खाने-पीने की वस्तुओं को डिसइनफेक्ट करने के लिए एक अल्ट्रावॉयलेट सैनिटाइजेशन ट्रंक बनाया गया है, जिसमें खाने-पीने से पहले वस्तुओं को डिसइनफेक्ट किया जा सकेगा.

के बारे में बताते डॉ. सोनी

किस तरह तैयार किया सैनिटाइजेशन ट्रंक

इस ट्रंक को तैयार करने के लिए डॉक्टर अजय सोनी को भिंड एसपी नगेंद्र सिंह से प्रेरणा मिली, उनके कहने पर ही उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया, डॉक्टर सोनी ने इसके लिए संदूक का इस्तेमाल किया, इसमें एक यूवी लाइट लगाई गई है. जिससे एक एडॉप्टर के माध्यम से पावर सप्लाई दी जाती है. इस यूवी ट्रंक को तैयार करने में महज ढाई हजार रुपए का खर्च आया है.

ultraviolet ray based sanitization trunk in Bhind
UV बेस्ड सैनिटाइजेशन ट्रंक

किस तरह काम करता है

ये ट्रंक एक अल्ट्रावॉयलेट रेज बेस्ड सैनिटाइजेशन ट्रंक है, ये सभी जानते हैं कि अल्ट्रावायलेट किरणें किसी भी तरह के वायरस को नष्ट करने में कारगर हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए संदूक में एक यूवी लाइट ट्यूब लगाई गई है, इसकी मदद से जिस भी चीज को सैनिटाइज करना होता है, उसे संदूक में रख कर दस मिनट के लिए पावर ऑन कर दिया जाता है और दस मिनट बाद लाइट बंद कर अगले 10 मिनट तक ऐसे ही छोड़ दिया जाता है. इस 20 मिनट की अवधि में संदूक में रखे सामान पर मौजूद सभी तरह के कीटाणु या वायरस पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं.

इन वस्तुओं पर कारगर है ट्रक

इस ट्रक में अल्ट्रावायलेट किरणों की मदद से खाने-पीने की वस्तुओं को डिसइनफेक्ट किया जा रहा है. महज 10 मिनट ट्रक में रखने के बाद वस्तुओं का उपयोग किया जा सकता है. 10 मिनट में ही इसमें रखी हुई वस्तुएं अल्ट्रावायलेट किरणों से पूरी तरह सैनिटाइज हो जाती हैं क्योंकि इसमें किरणों का उपयोग होता है, इसलिए वस्तुओं के गीले होने का भी कोई डर नहीं रहता, इनमें फल, सब्जियां, मोबाइल फोन, चार्जर रिमोट, बेल्ट, खाने के पैकेट, चिप्स, बिस्किट के पैकेट रखकर सैनेटाइज किया जा सकता है.

अल्ट्रावायलेट किरण इंसानों के लिए घातक होती हैं, इसलिए इनके संपर्क में आने से बचना चाहिए. डॉक्टर सोनी ने बताया कि यूवी किरण के संपर्क में आने पर कैंसर जैसी बीमारी का भी खतरा बना रहता है, इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक ही किया जाना चाहिए. इस सैनिटाइजेशन ट्रंक को पुलिस लाइन में पुलिसकर्मियों के उपयोग के लिए रखवाया गया है. इस ट्रंक को बनाने वाले डॉक्टर अजय सोनी का कहना है कि ये मध्यप्रदेश में पहला प्रोटोटाइप भिंड में ही तैयार किया गया है, इससे पहले आईआईटी ने भी इस तरह की मशीन बनाई थी, लेकिन हमारा प्रोटोटाइप उनसे बेहतर है.

Last Updated : Apr 16, 2020, 9:28 AM IST
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