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यूरिया की कालाबाजारी का ईटीवी भारत ने किया खुलासा, देखिए स्पेशल रिपोर्ट - Black marketing of urea

भिंड में यूरिया की कालाबाजारी चरम पर है. किसानों का आरोप है कि उन्हें खरीदी केंद्र पर यूरिया नहीं मिल रहा.

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यूरिया की कालाबाजारी का ईटीवी भारत ने किया खुलासा
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Published : Dec 10, 2019, 9:26 PM IST

Updated : Dec 10, 2019, 9:44 PM IST

भिंड। राज्य में एक ओर जहां किसान यूरिया खाद को लेकर पेरशान हैं वहीं दूसरी तरफ भिंड में यूरिया की कालाबाजी चरम पर है. ईटीवी भारत ने एक स्टिंग कर भिंड में चल रही यूरिया की कालाबाजारी का खुलासा किया है. सहकारी खरीदी केंद्र से महज 150 मीटर की दूरी पर लाइसेंसधारी खाद्य बीज की दुकानों पर कालाबाजारी धड़ल्लले से चल रही है. सरकारी समिति के अधिकारी, किसानों को निजी दुकानों से यूरिया लेने का दबाव बना रहे हैं.

यूरिया की कालाबाजारी का ईटीवी भारत ने किया खुलासा
हैरानी की बात है कि कालाबाजी का ये पूरा खेल जिला विपणन अधिकारी की नाक के नीचे यानी कार्यालय से महज 150 मीटर की दूरी पर चल रहा है. बावजूद इसके दुकानदारों पर कोई कार्यवाई नहीं हो रही और अधिकारी विभागीय कार्य क्षेत्र का हवाला देकर टालमटोल कर रहे हैं.

मंडी परिसर में मौजूद निजी दुकान पर किसान बनकर पहुंचे हमारे संवाददाता ने दुकान पर मौजूद कर्मचारी से बातचीत की और कालाबाजारी के इस काले खेले का सच जाना. दुकानदार ने बताया कि एक बोरी 340 रुपए में मिलेगी, जबकि सरकारी रेट महज 266 रूपये है. दुकानदार ने कहा कि जितनी बोरी चाहिए मिल जाएगी.

सांठगांठ के चलते चल रहा खेल!
आरोप है कि सरकारी अधिकारियों की सांठगांठ के चलते ये पूरा खेल चल रहा है. खरीदी केंद्रों पर वैसे तो 10 हजार बोरी का स्टाक है, लेकिन किसानों के बीच खरीदी केंद्रों पर मोटा यूरिया मिलने की भ्रांति फैला दी गई है, जबकि फसल के लिए बारीक दाने वाला यूरिया कारगर साबित होता है. इसलिए मजबूरन किसान ज्यादा रकम देकर दलालों के चक्कर में फंस रहे हैं.

कलेक्टर ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
किसान नेता संजीव बरुआ का आरोप है कि इसकी शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती. ये पूरा खेल मिलीभगत से चल रहा और किसान परेशान हो रहे हैं. यूरिया की कालाबाजारी पर अधिकारियों के रवैए और किसानों की परेशानी को लेकर भिंड कलेक्टर ने जांच के बाद गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

कब लगेगा अंकुश?
एक तो ओलावृष्टि ने किसाानों की फसल बर्बाद कर दी और ऊपर से नई फसल के लिए किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा..वहीं इस पर सियासत भी चरम पर है.. और कालाबाजारी तो पूछिए मत...अब सवाल ये है कि क्या अन्नतादाता यूं ही परेशान होता रहेगा. या फिर सियासदान इस कालाबाजारी के खेल पर अंकुश लगाएंगे..

भिंड। राज्य में एक ओर जहां किसान यूरिया खाद को लेकर पेरशान हैं वहीं दूसरी तरफ भिंड में यूरिया की कालाबाजी चरम पर है. ईटीवी भारत ने एक स्टिंग कर भिंड में चल रही यूरिया की कालाबाजारी का खुलासा किया है. सहकारी खरीदी केंद्र से महज 150 मीटर की दूरी पर लाइसेंसधारी खाद्य बीज की दुकानों पर कालाबाजारी धड़ल्लले से चल रही है. सरकारी समिति के अधिकारी, किसानों को निजी दुकानों से यूरिया लेने का दबाव बना रहे हैं.

यूरिया की कालाबाजारी का ईटीवी भारत ने किया खुलासा
हैरानी की बात है कि कालाबाजी का ये पूरा खेल जिला विपणन अधिकारी की नाक के नीचे यानी कार्यालय से महज 150 मीटर की दूरी पर चल रहा है. बावजूद इसके दुकानदारों पर कोई कार्यवाई नहीं हो रही और अधिकारी विभागीय कार्य क्षेत्र का हवाला देकर टालमटोल कर रहे हैं.

मंडी परिसर में मौजूद निजी दुकान पर किसान बनकर पहुंचे हमारे संवाददाता ने दुकान पर मौजूद कर्मचारी से बातचीत की और कालाबाजारी के इस काले खेले का सच जाना. दुकानदार ने बताया कि एक बोरी 340 रुपए में मिलेगी, जबकि सरकारी रेट महज 266 रूपये है. दुकानदार ने कहा कि जितनी बोरी चाहिए मिल जाएगी.

सांठगांठ के चलते चल रहा खेल!
आरोप है कि सरकारी अधिकारियों की सांठगांठ के चलते ये पूरा खेल चल रहा है. खरीदी केंद्रों पर वैसे तो 10 हजार बोरी का स्टाक है, लेकिन किसानों के बीच खरीदी केंद्रों पर मोटा यूरिया मिलने की भ्रांति फैला दी गई है, जबकि फसल के लिए बारीक दाने वाला यूरिया कारगर साबित होता है. इसलिए मजबूरन किसान ज्यादा रकम देकर दलालों के चक्कर में फंस रहे हैं.

कलेक्टर ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
किसान नेता संजीव बरुआ का आरोप है कि इसकी शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती. ये पूरा खेल मिलीभगत से चल रहा और किसान परेशान हो रहे हैं. यूरिया की कालाबाजारी पर अधिकारियों के रवैए और किसानों की परेशानी को लेकर भिंड कलेक्टर ने जांच के बाद गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

कब लगेगा अंकुश?
एक तो ओलावृष्टि ने किसाानों की फसल बर्बाद कर दी और ऊपर से नई फसल के लिए किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा..वहीं इस पर सियासत भी चरम पर है.. और कालाबाजारी तो पूछिए मत...अब सवाल ये है कि क्या अन्नतादाता यूं ही परेशान होता रहेगा. या फिर सियासदान इस कालाबाजारी के खेल पर अंकुश लगाएंगे..

Intro:एक ओर जहां प्रदेश में किसान यूरिया संकट का दंश झेल रहा है यूरिया न मिलने से परेशान है वहीं भिंड में लाइसेंस धारी खाद बीज की दुकानों में यूरिया की जमकर कालाबाजारी देखने को मिल रही है और यह सब चल रहा है जिला विपणन अधिकारी की नाक के नीचे यानी कार्यालय से महज 100 मीटर की दूरी पर बावजूद इसके न तो इन दुकानदारों पर कोई कार्यवाही हो रही है ना रोक लग पा रही है और अधिकारी विभागीय कार्य क्षेत्र का हवाला देकर टालमटोल कर रहे हैं


Body:भिंड शहर में स्थित पुरानी गल्ला मंडी में इन दिनों किसान यूरिया खरीदी को लेकर परेशान है क्योंकि यूरिया खरीदी केंद्र पर लोगों को या तो भ्रमित किया जा रहा है या या गलत तरीके से यूरिया बेचने की कोशिश की जा रही है इससे परेशान किसान हुए सर से यूरिया खरीदने को मजबूर हो रहा है गल्ला मंडी परिसर में ही सरकारी खरीदी केंद्र से महज 150 मीटर की दूरी पर स्थित खाद बीज भंडार की दुकानों पर डाली की जा रही है बाजार भाव से 60 से ₹70 तक महंगे दामों में किसानों के यूरिया के पैकेट बेचे जा रहे हैं

इस बात की सच्चाई का पता लगाने के लिए ईटीवी भारत ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया इस दौरान संवाददाता अपने साथी के साथ मंडी परिसर में ही बनी दुकान "कृष्णा एग्रो एजेंसी" पर किसान बनकर पहुंचे और दुकान पर मौजूद कर्मचारी से बात की जब उससे यूरिया की बात की गई तो उसने बताया कि यूरिया की बोरी ₹340 में देगा जबकि सरकारी रेट महज 266रुपये 50 पैसे है बातों ही बातों में उससे पूछा गया कि अगर ज्यादा बोरी यूरिया चाहिए तो कैसे इंतजाम होगा क्योंकि दुकान पर तो लग नहीं रहा इस बात पर उसका जवाब था कि आप तो संख्या बताओ कितनी बोरी चाहिए निकलवा देंगे, आखिर में उस दुकान पर काम कर रहे इस शख्स ने ₹330 प्रति बोरी किधर से फाइनल डील की बात कही।

मामले को लेकर गल्ला मंडी परिसर में संचालित "कृष्णा एग्रो एजेंसी" से 100 मीटर की दूरी पर ही बने कार्यालय जिला विपणन अधिकारी जनवर पूरे जिले में यूरिया सप्लाई की जिम्मेदारी है पर पहुंचकर डीएमओ अभिषेक जैन से बात की गई तो उन्होंने मामले को कार्यक्षेत्र से बाहर बताते हुए ठीकरा कृषि विभाग पर तोप दिया जब उनसे सवाल किया गया कि आप के कार्यालय के पास ही कालाबाजारी का धंधा चल रहा है पर आपने अन्य संबंधित अधिकारियों से अब तक कार्रवाई क्यों नहीं कराई कलेक्टर को जानकारी देने की बात करते नजर आए.

इस कालाबाजारी का शिकार हुए किसानों ने बताया कि जब भी यूरिया देने जाओ तो लाइन लगी रहती है और अपनी बारी आते-आते या तो केंद्र बंद हो जाता है या यूरिया नहीं मिल पाता ऐसे में कर्मचारियों की दवाई है और अपनी जरूरत को समय पर पूरा करने के लिए बाहर से महंगे नाखूनों पर यूरिया खरीदना पड़ रहा है क्योंकि शिकायत करने का भी कोई फायदा नहीं होता किसान नेता संजीव बरुआ भी कहते हैं कि सोए प्रशासन और सरकार के रवैए के चलते ही इस तरह की स्थितियां निर्मित हैं और किसान परेशान है सरकारी खरीदी केंद्र पर आए किसान ने बताया कि केंद्र मैं उन्हें घंटे भर लाइन में लगना पड़ा और उसके बाद उन्हें यूरिया की फटी बोरी थमाने की कोशिश की गई और विरोध किया तो पर्ची भी वापस ले ली ऐसे में अब बाहर दुकान से खरीदना पड़ेगा।

भिंड शहर में बनी खरीदी केंद्र की बात करें तो यहां 10000 बोरी यूरिया का स्टॉक है लेकिन लोगों में इस बात की भ्रांति फैला दी गई है कि मोटा यूरिया फसल खराब कर देता है जबकि बारी क्यूरी अच्छा होता है ऐसे में केंद्र पर पहुंचे लोग बारीक यूरिया की मांग करते हैं जो केंद्र में उपलब्ध नहीं है और किसान मजबूरी में ज्यादा रकम देकर दलालों के चक्कर में फस जाते हैं






Conclusion:यूरिया की कालाबाजारी पर अधिकारियों के रवैए और किसानों की परेशानी को लेकर भिंड कलेक्टर ने जांच कराने की बात कही है साथ ही यह भी माना है कि यदि किसी अधिकारी को जानकारी लगती है तो उसे संबंधित विभाग और अधिकारियों को सूचित कर कार्रवाई करवानी चाहिए कलेक्टर छोटेलाल ने इस दलाली के वीडियो के आधार पर जल्द कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया है।

बाइट- अभिषेक जैन, जिला विपणन अधिकारी
121 संजीव बरुआ, किसान नेता (2 पीड़ित किसान)
बाइट- पीड़ित किसान (यूरिया खरीदने पहुचा किसान)
बाइट- छोटे सिंह, कलेक्टर, भिंड

नोट- इस खबर के लिए स्टिंग किया था वह वीडियो wrap से भेज रहा हु इसी खबर के नाम से। सर से बात हो गयी थी।
Last Updated : Dec 10, 2019, 9:44 PM IST
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