भिंड। इस समय मध्य प्रदेश कोविड की दूसरी लहर से जूझ रहा है. जिसकी वजह से ज़्यादातर जगहों पर कर्फ्यू लगाया गया है. ताकि कोविड की चेन को तोड़ा जा सके. ग्रामीण क्षेत्रों में भी जनता कर्फ्यू लागू है. हालांकि भिंड जिले में जिस तरह कोरोना पर कंट्रोल हुआ उसे देखते हुए कुछ ढील दी गई है. लेकिन महामारी पर नियंत्रण क्या वाकई है? या फिर प्रशासन और शासन के आंकड़ेबाजी का खेल है. क्योंकि जिला प्रशासन द्वारा लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में 'किल कोरोना अभियान' के तहत घर-घर सर्वे की दलील देखने और सुनने को मिली है. लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में हालात पूरी तरह ठीक नहीं है. मध्य प्रदेश में कोरोना कंट्रोल के लिए मुख्यमंत्री CM शिवराज सिंह ने सभी जिलों में प्रभारी मंत्री भी नियुक्त किए हैं. जिनका काम जिले में कोरोना की समीक्षा और व्यवस्था बनाना है. भिंड जिले में अभी राज्यमंत्री OPS भदौरिया को यहां की जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के हालात जानने के लिए ETV भारत लगातार रियलिटी चेक करता रहा है. इसी के तहत हमने एक बार फिर ग्रामीण अंचल का रुख किया और वहां पहुंचे जहां खुद प्रभारी मंत्री OPS भदौरिया का गांव अकलौनी और यहां पहुंचकर जाने गांव के हालात.
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प्रभारी मंत्री के गांव में मास्क से परहेज
भिंड जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर और राज्य मंत्री OPS भदौरिया के विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाला उनका गांव अकलोनी ये एक छोटी सी ग्राम पंचायत है, जिसमें करीब 7000 की आबादी है. गांव में प्रवेश करते ही हमने देखा कि लोग मस्क से परहेज़ कर रहे हैं. इक्का दुक्का लोगों के चेहरे पर ही हमें मास्क नजर आए. आस पास का माहौल पूरी तरह ग्रामीण परिवेश में ही ढला हुआ है. राज्य मंत्री होने के बावजूद गांव में विकास के नाम पर सिर्फ़ CC रोड नजर आई.
उप स्वास्थ्य केंद्र पर लटका ताला
गांव में कोरोना के हालात जानने के लिए हमने स्वास्थ्य केंद्र का रुख किया तो पता चला कि गांव के एक कोने पर जाकर कंटेनर से तैयार किया गया उप स्वास्थ्य केंद्र है. लेकिन जब हम मौके पर पहुंचे तो इस स्वास्थ्य केंद्र पर ताला पड़ा हुआ था. इस संबंध में जब हमने आस पास रहने वाले लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि यह केंद्र हफ्ते में एक या दो बार ही खुलता है. वह भी तब जब गांव में वैक्सीन लगाने का काम चलता है. ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल में कोई भी डॉक्टर पदस्थ नहीं है. डॉक्टर आशीष नाम के एक चिकित्सक यहां पहले रेगुलर आते भी थे लेकिन जब से कोरोना शुरू हुआ है तब से ही उनकी ड्यूटी जिला अस्पताल में लगा दी गई है. जिसकी वजह से इस केन्द्र की पूरी जिम्मेदारी एक ANM पर आ गई है.
लगभग हर घर में लोग बीमार
ग्रामीणों से बातचीत के दौरान हमें यह भी पता चला कि गाँव में कोरोना महामारी के हालात भी सरकारी आंकड़ों की तरह है मंत्री के गाँव में कोविड-19 के दोनों लहरों के दौरान ही सिर्फ़ एक मरीज़ पॉज़िटिव पाया गया है हालाँकि उनसे बातचीत में यह बात भी पता चली कि गाँव में टेस्टिंग की कोई व्यवस्था ही नहीं है गाँव के ज़्यादातर घरों में लोग बीमार हैं और अपने स्तर पर ही इलाज करा रहे हैं यदि किसी की तबियत बिगड़ती है तो उसे मेहगाँव या गोरमी लेकर जाना पड़ता है जो लगभग 12-13 किलोमीटर दूर है
एक ANM के भरोसे चार गांव
केंद्र पर लटके ताले और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के हालात देखते हुए हमने फ़ोन के ज़रिए अस्पताल में ही पदस्थ डॉक्टर आशीष से बात की तो उन्होंने बताया कि लगभग एक डेढ़ महीने से ही उनकी ड्यूटी जिला अस्पताल में लगा दी गई है. जिसकी वजह से वह एक ही समय पर दोनों जगह उपस्थित नहीं रह सकते. उन्होंने आगे बताया कि उप स्वास्थ्य केंद्र पर एक ANM पदस्थ हैं लेकिन उनके पास भी चार गांव का प्रभार है जिसकी वजह से वह हर दिन एक गांव कवर करते हैं और बाकी दिनों में इन सभी गांव के केंद्रों पर कोई नहीं रह पाता, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई अल्टरनेटिव व्यवस्था भी नहीं की गई है.
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चौपाल लगाकर हो गया ‘किल कोरोना अभियान’
स्वास्थ्य केंद्र के हाल देखने के बाद हमने ग्रामीणों से 'किल कोरोना अभियान' के बारे में भी जानकारी ली, तो उन्होंने बताया कि गांवों में सर्वे तो हुआ है, लेकिन इसे घर-घर सर्वे नहीं कहा जा सकता. क्योंकि 'किल कोरोना अभियान' का सर्वे जगह-जगह चौपाल लगाकर लोगों से सीधा जानकारी लेकर पूरा कर दिया गया है. ऐसे में ज़्यादातर लोगों ने सही जानकारी नहीं दी. लोगों में इस बात का डर है कि कहीं सर्वे में बीमारी बतायी तो जांच ना करानी पड़े और जांच के बाद कहीं उन्हें अस्पताल में भर्ती ना होना पड़े. इस जागरूकता की कमी की वजह से मंत्री OPS भदौरिया के गांव के लोगों की ही जांच नहीं हो सकी है.
सरपंच ने भी माना गांव का हाल ख़स्ता हाल
इन सभी बातों का सामने आने के बाद हमने गांव के सरपंच से बात की. जिन्होंने हमें बताया कि लोगों में कोरोना को लेकर काफी भय है. खासकर इसकी जांच के लिए, यहां हर घर में लोग बीमार हैं. यह बात भी सरपंच ने स्वीकार की. बाहर से आने वाले लोगों के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाए जाने की जब हमने जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि गांव के ग्राम पंचायत भवन क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है. यहां बाहर से रुकने वालों के लिए गद्दे लगातार व्यवस्था की है. लेकिन हमने जब उस सेंटर की जांच की तो पता चला गद्दों के नाम पर सेंटर में फटे पुराने फोम पड़े थे, अंदर लोग तो रुके हुए थे लेकिन वे स्थानीय मजदूर थे या कुछ स्थानीय ग्रामीण. इस पर सफ़ाई देते हुए सरपंच ने बताया कि गांव में कोई आइसोलेट होता ही नहीं है. जिसकी वजह से वहां फिलहाल व्यवस्थाएं नहीं हैं.
भले ही राज्य मंत्री OPS भदौरिया को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भिंड जिले का प्रभार सौंपा हो, लेकिन कोरोना की समीक्षा की जिम्मेदारी से खुद ही मंत्री बेहतर व्यवस्थाओं का बखान करते हैं लेकिन खुद के गांव में ही अव्यवस्था फैली है. उनके गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था का टोटा है. ऐसे में अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है कि जब मंत्री के गांव के हालात ऐसे हैं तो अन्य ग्रामीण अंचलों में क्या स्थिति होगी.