भिंड। पूर्व विधायक ने विधायक मेवाराम जाटव पर नहर का पानी डायवर्ट करने का आरोप लगाया है. गोहद में बढ़ते जल संकट को लेकर बीजेपी और कांग्रेस राजनीति करने में लगी हुई है. दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. लेकिन कोई भी समस्या का हल निकालने को तैयार नहीं है. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर कटाक्ष कर रही है. जहां कांग्रेसी जल सत्याग्रह कर रहे हैं, वहीं भाजपा जल्द पानी डैम तक पहुंचाने का वादा कर रही है. आम जनता इनकी राजनीति में पिसती नज़र आ रही है. वहीं जनता बूंद-बूंद के लिए तरस रही है.
- पूर्व विधायक ने डैम में जल्द पानी लाने का दिलाया भरोसा
पूर्व विधायक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक जाटव पर आरोप लगाते हुए कहा कि "कांग्रेस पार्टी के नेताओं को गोहद की जनता की इतनी चिंता हो रही है. हमें भी थी. जब मैं 15 महीने कांग्रेस में विधायक था, हमने कमलनाथ से लेकर ऐसा कोई मध्यप्रदेश का सीनियर नेता नहीं रहा होगा. जिससे हमने यहां की पेयजल समस्या के बारे में रूबरू होकर नहीं बताया हो. 15 महीने उनकी सरकार रही तो उन्हें चिंता नहीं हुई. अब चिंता हो रही है. जब लगातार हमारी सरकार हम हों, हमारे वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री, पार्टी के नेता, हमारे वरिष्ठ अधिकारी, पार्टी के सभी पदाधिकारी सभी लगाकर प्रयास कर रहे हैं. जो सम्भव हो सकता था. जो स्वीकृत योजना कमलनाथ जी ने केन्सिल की थी, उनको हमने फिर विस्तार रूप दिया और आज पैसे की स्वीकृति कराई. लगातार टैंकरों के माध्यम से हम जहां-जहां जैसी सुविधा हो सकती है, हम प्रयास कर रहे हैं."
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"हमें चाहे पचास वोर भी कराने पड़े तो हम व्यक्तिगत रूप से कराएंगे" - पूर्व विधायक
सिंचाई विभाग के विश्राम गृह पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व विधायक ने आगे कहा कि " किसी भी हद तक हम लोगों को जाना पड़े लेकिन हम नए बोर भी तुरंत कराने की आज प्लानिंग कर रहे हैं. हमें दस वोर करने पड़े चाहे पचास वोर करने पड़े हम इसके लिए तैयार हैं. उन्होंने मेवाराम जाट पर आरोप लगाते हुए कहा कि हम यहां 1 सप्ताह पहले आए थे. तब यहां पानी आ गया था. लेकिन यहां के वर्तमान विधायक मेवाराम जाटव जी को ऐसी क्या आवश्यकता पड़ गई की बैसली डैम का पानी उन्हें दूसरी जगह ले जाना पड़ा. बांध में पानी की आवश्यकता ज्यादा थी. तो पानी आ जाने देते. उसका जवाब वो खुद देंगे कि पानी यहां से क्यों रोका गया.
हम गोहद की जनता को विश्वास दिलाते हैं कि पानी हम देंगे. हमें चाहे पचास वोर भी कराने पड़े तो हम व्यक्तिगत रूप से कराएंगे. मैं पूछना चाहता हूं मेवाराम जाटव ने आखिरकार अधिकारियों की बैठक क्यों नहीं ली. जल संसाधन विभाग के अधिकारी एसडीएम जो वर्तमान में नगर पालिका सा प्रशासक भी है. उन से चर्चा क्यों नहीं की गई.