भिंड। स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में साफ सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है. हमारे घर के आसपास साफ-सफाई बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका घरों में बनाए जाने वाले सेप्टिक टैंक भी निभाते हैं. जहां शौचालयों का गंदा पानी और मल इन्हीं टैंक में इकट्ठा होता है लेकिन यह टैंक भी समय-समय पर खाली करवाने पड़ते हैं जिस की सुविधा भिंड में भी नगर पालिका और प्राइवेट सेप्टिक टैंक क्लीनर्स द्वारा दी जाती है.
इतने समय में सेप्टिक टैंक की सफाई जरूरी, ना कराने से तो हो सकती है मुसीबत
भिंड शहर में सीवेज नेटवर्क नहीं होने से ज्यादातर आबादी सेप्टिक टैंक के ही भरोसे है. ऐसे में सेप्टिक टैंक को हर दो साल में खाली कराना जरूरी है. ताकि शहर में साफ सफाई बनी रहे और सेप्टिक टैंक के निकलने वाले गंदे पानी से कोई बीमारी ना पन पाए.
सेप्टिक टैंक की सफाई
भिंड। स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में साफ सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है. हमारे घर के आसपास साफ-सफाई बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका घरों में बनाए जाने वाले सेप्टिक टैंक भी निभाते हैं. जहां शौचालयों का गंदा पानी और मल इन्हीं टैंक में इकट्ठा होता है लेकिन यह टैंक भी समय-समय पर खाली करवाने पड़ते हैं जिस की सुविधा भिंड में भी नगर पालिका और प्राइवेट सेप्टिक टैंक क्लीनर्स द्वारा दी जाती है.
भिंड शहर में नगर पालिका और सीवेज एंड ड्रेनेज सर्विसेज यानी प्राइवेट ठेकेदारों द्वारा सेप्टिक टैंक खाली कराए जाने का काम किया जा रहा है. मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुरेंद्र शर्मा के मुताबिक भिंड शहर में करीब 34 हजार मकान बने हुए हैं और लगभग सभी में सेप्टिक टैंक बने हैं. ज्यादातर मकानों में बड़े सेप्टिक टैंक हैं. जिन्हें मकान मालिकों द्वारा खुद ही बनवाया गया है. वही कई घरों में सेप्टिक टैंक नहीं बने थे. वहां स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर पालिका की ओर से सेप्टिक टैंक बनवाने की व्यवस्था की गई थी. हालांकि इनका साइज थोड़ा छोटा बताया जा रहा है.
2 साल में टैंक खाली कराना अनिवार्य
छोटे हो या बड़े दोनों ही तरह के टैंक भरने पर उन्हें खाली कराना अनिवार्य होता है. नियमानुसार हर 2 साल में सेप्टिक टैंक को खाली कराना आवश्यक है. क्योंकि ऐसा न करने पर टैंक में से पानी लीकेज होने की पूरी संभावना रहती है और यह गंदा पानी न सिर्फ दुर्गंध फैलाता है. बल्कि गंदगी के साथ कई बीमारियां फैलाने का भी काम करता है. जिससे सभी को असुविधा होना लाजमी है.
जरूरत पूरा करने 10 टैंकर की उपलब्धता
सीएमओ ने बताया कि नगर पालिका के पास सेप्टिक टैंक खाली करने के लिए शहर में 2 टैंकर उपलब्ध हैं. जबकि 4 प्राइवेट ठेकेदारों के पास 8 टैंकर उपलब्ध हैं. इस तरह भिंड शहर में कुल 10 टैंकर है जिनकी जरूरत के हिसाब से उपलब्धता कराई जाती है. नगर पालिका में इसका शुल्क 1500 रुपए जमा करना होता है. जिसके बाद नगर पालिका की ओर से सेप्टिक टैंक क्लीनर्स मौके पर पहुंचकर टैंक को मोटर की मदद से खाली कर लेते हैं. वहीं प्राइवेट सीवरेज क्लीनिंग सर्विसेज इसके लिए 1500 से 1600 रुपए तक फीस वसूलते हैं. ऐसे में दोनों ही विकल्पों में कोई ज्यादा अंतर नहीं है. जहां नगर पालिका टैंकर द्वारा वह गंदा सीवेज पानी छेड़ी स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में खाली कर दिया जाता है. जबकि प्राइवेट क्लीनर गंदा पानी अपने खेतों में खाली करते हैं.
शिकायतों की संख्या काफी कम
मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुरेंद्र शर्मा से जब पूछा गए कि क्या सेप्टिक टैंक क्लीनर्स द्वारा सभी नियमों का पालन किया जा रहा है. उनका कहना है कि अब तक ऐसी कोई शिकायत अमूमन सामने नहीं आई है. क्योंकि नियम अनुसार सेप्टिक टैंक क्लीनर्स को संबंधित व्यक्ति के घर पहुंचकर अपना काम करना होता है. वह एक मोटर के जरिए पूरा टैंक खाली करते हैं और उसे ले जाकर ट्रेंचिंग ग्राउंड में खाली करना होता है. अपने कर्मचारियों के काम को लेकर समय-समय पर सीएमओ द्वारा इंस्पेक्शन किया जाता है. लेकिन उनके मुताबिक कोई बड़ी लापरवाही इस ओर अब तक सामने नहीं आई है. वही प्राइवेट क्लीनर को अपनी निर्धारित खेत में सीवेज को खाली करना होता है. क्योंकि एक तरह से यह गंदगी खाद के रूप में इस्तेमाल होती है. लेकिन अन्य समय पर इसका डिस्पोजल प्रॉपर तरीके से करना होता है. अब तक इस तरह की भी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है, जिससे लोगों को कोई परेशानी हो इसलिए कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ी.
स्वच्छता सर्वेक्षण में टॉप आने की तैयारी
सेप्टिक टैंक हर घर में होना और टैंकर की हर 2 साल में सफाई कराना अनिवार्य है. साथ ही शौचालय की गंदगी सीधा नाला नाली में बहाना भी अपराध है क्योंकि इस तरह न सिर्फ लोग अपने आसपास गंदगी फैलाते हैं. बल्कि दूसरों की सेहत के साथ भी खिलवाड़ करते हैं. परिस्थितियां गंभीर न हो इस बात का ध्यान रखते हुए नगर पालिका प्रशासन समय-समय पर शौचालय और सेप्टिक टैंक की सफाई को लेकर भी जागरूकता अभियान चलाता रहता है. जिससे कि आने वाले समय में भिंड शहर भी स्वच्छता सर्वेक्षण में टॉप 100 की सूची में शामिल हो सके.
भिंड शहर में नगर पालिका और सीवेज एंड ड्रेनेज सर्विसेज यानी प्राइवेट ठेकेदारों द्वारा सेप्टिक टैंक खाली कराए जाने का काम किया जा रहा है. मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुरेंद्र शर्मा के मुताबिक भिंड शहर में करीब 34 हजार मकान बने हुए हैं और लगभग सभी में सेप्टिक टैंक बने हैं. ज्यादातर मकानों में बड़े सेप्टिक टैंक हैं. जिन्हें मकान मालिकों द्वारा खुद ही बनवाया गया है. वही कई घरों में सेप्टिक टैंक नहीं बने थे. वहां स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर पालिका की ओर से सेप्टिक टैंक बनवाने की व्यवस्था की गई थी. हालांकि इनका साइज थोड़ा छोटा बताया जा रहा है.
2 साल में टैंक खाली कराना अनिवार्य
छोटे हो या बड़े दोनों ही तरह के टैंक भरने पर उन्हें खाली कराना अनिवार्य होता है. नियमानुसार हर 2 साल में सेप्टिक टैंक को खाली कराना आवश्यक है. क्योंकि ऐसा न करने पर टैंक में से पानी लीकेज होने की पूरी संभावना रहती है और यह गंदा पानी न सिर्फ दुर्गंध फैलाता है. बल्कि गंदगी के साथ कई बीमारियां फैलाने का भी काम करता है. जिससे सभी को असुविधा होना लाजमी है.
जरूरत पूरा करने 10 टैंकर की उपलब्धता
सीएमओ ने बताया कि नगर पालिका के पास सेप्टिक टैंक खाली करने के लिए शहर में 2 टैंकर उपलब्ध हैं. जबकि 4 प्राइवेट ठेकेदारों के पास 8 टैंकर उपलब्ध हैं. इस तरह भिंड शहर में कुल 10 टैंकर है जिनकी जरूरत के हिसाब से उपलब्धता कराई जाती है. नगर पालिका में इसका शुल्क 1500 रुपए जमा करना होता है. जिसके बाद नगर पालिका की ओर से सेप्टिक टैंक क्लीनर्स मौके पर पहुंचकर टैंक को मोटर की मदद से खाली कर लेते हैं. वहीं प्राइवेट सीवरेज क्लीनिंग सर्विसेज इसके लिए 1500 से 1600 रुपए तक फीस वसूलते हैं. ऐसे में दोनों ही विकल्पों में कोई ज्यादा अंतर नहीं है. जहां नगर पालिका टैंकर द्वारा वह गंदा सीवेज पानी छेड़ी स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में खाली कर दिया जाता है. जबकि प्राइवेट क्लीनर गंदा पानी अपने खेतों में खाली करते हैं.
शिकायतों की संख्या काफी कम
मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुरेंद्र शर्मा से जब पूछा गए कि क्या सेप्टिक टैंक क्लीनर्स द्वारा सभी नियमों का पालन किया जा रहा है. उनका कहना है कि अब तक ऐसी कोई शिकायत अमूमन सामने नहीं आई है. क्योंकि नियम अनुसार सेप्टिक टैंक क्लीनर्स को संबंधित व्यक्ति के घर पहुंचकर अपना काम करना होता है. वह एक मोटर के जरिए पूरा टैंक खाली करते हैं और उसे ले जाकर ट्रेंचिंग ग्राउंड में खाली करना होता है. अपने कर्मचारियों के काम को लेकर समय-समय पर सीएमओ द्वारा इंस्पेक्शन किया जाता है. लेकिन उनके मुताबिक कोई बड़ी लापरवाही इस ओर अब तक सामने नहीं आई है. वही प्राइवेट क्लीनर को अपनी निर्धारित खेत में सीवेज को खाली करना होता है. क्योंकि एक तरह से यह गंदगी खाद के रूप में इस्तेमाल होती है. लेकिन अन्य समय पर इसका डिस्पोजल प्रॉपर तरीके से करना होता है. अब तक इस तरह की भी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है, जिससे लोगों को कोई परेशानी हो इसलिए कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ी.
स्वच्छता सर्वेक्षण में टॉप आने की तैयारी
सेप्टिक टैंक हर घर में होना और टैंकर की हर 2 साल में सफाई कराना अनिवार्य है. साथ ही शौचालय की गंदगी सीधा नाला नाली में बहाना भी अपराध है क्योंकि इस तरह न सिर्फ लोग अपने आसपास गंदगी फैलाते हैं. बल्कि दूसरों की सेहत के साथ भी खिलवाड़ करते हैं. परिस्थितियां गंभीर न हो इस बात का ध्यान रखते हुए नगर पालिका प्रशासन समय-समय पर शौचालय और सेप्टिक टैंक की सफाई को लेकर भी जागरूकता अभियान चलाता रहता है. जिससे कि आने वाले समय में भिंड शहर भी स्वच्छता सर्वेक्षण में टॉप 100 की सूची में शामिल हो सके.