भिंड। जिला अस्पताल में हुई आईसीयू इंचार्ज नर्स नेहा की हत्या का मामला अब तूल पकड़ चुका है. परिजन का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने घटना के बाद भी उन्हें सूचना नहीं दी. उन्हें मीडिया में खबरें देखने के बाद पता चला. वहीं नर्सिंग स्टाफ ने अस्पताल प्रबंधन और पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ज़िला अस्पताल में नारेबाजी के साथ आक्रोशित नर्सेस लगातार नेहा के लिए इंसाफ़ की मांग कर रही हैं. उन्होंने उसका शव लेकर जा रही ऐंबुलेंस को भी जाने से रोक दिया. गुरुवार शाम जिला अस्पताल के ICU स्टोर रूम में अस्पताल में ही पदस्थ वार्ड बॉय रितेश शाक्य ने नर्स नेहा छबीला को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था और बाद में खुद थाने पहुंच कर सरेंडर कर दिया.
अस्पताल प्रबंधन ने परिजन को नहीं दी जानकारी
हत्याकांड के बाद से नर्सिंग स्टाफ दहशत में और सुरक्षा की मांग को लेकर रात से ही काम बंद कर धरने पर हैं. शुक्रवार सुबह मृतक नर्स के परिजन मंडला से भिंड पहुंचे, जिन्हें पीएम के बाद शव सौंप दिया गया. मंडला से आए परिजनों ने इस पूरे मामले को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उनका कहना है कि नेहा की हत्या होने के बाद भी उन्हें सूचना नहीं दी गयी थी. नेहा के मंगेतर ने मीडिया में खबर देख कर कॉल पर बताया. जब हमने नेहा को फ़ोन लगाया तो कॉल सीएमएचओ ने उठाया और तब इस बारे में बताया गया.
जिला अस्पताल में वार्ड ब्वॉय ने नर्स की कनपटी पर मारी गोली, फिर किया सिरेंडर
आरोपी पर मेहरबान रहता था अस्पताल प्रबंधन
इस मसले पर स्टाफ नर्सेस भी लामबंद हो गयी हैं. कल से ही उनका धरना जारी है. आज मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि जिस वार्डबॉय ने नेहा को मारा, उस पर अस्पताल प्रबंधन पहले से मेहरबान था. उसे कई प्रभार दिए गए थे, उसकी ड्यूटी तो मर्ज़ी से लगती ही थी, बल्कि दूसरी नर्सेस की ड्यूटी भी वह अपने मन माफिक लगवाता था. नेहा को अक्सर परेशान करता था, इसी वजह से नेहा ने भी और अन्य नर्सेस भी कई बार उसकी शिकायत सिविल सर्जन और सीएमएचओ से कर चुके थे. लेकिन इस पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सामूहिक ट्रांसफर की मांग पर अड़ी नर्सिंग स्टाफ
आक्रोशित नर्सेस का कहना है कि वे दूसरे जिलों से यहां पदस्थ हुई हैं, लेकिन वे यहां गोली खाने या मरने नहीं आई हैं. अस्पताल में सुरक्षा के नाम पर सब शून्य है, एक आदमी बंदूक के साथ अंदर आया और नर्स की हत्या करके चला गया और किसी को पता तक नहीं चला. ऐसी जगह वे असुरक्षित हैं, उन्होंने मांग की है कि शासन सामूहिक ट्रांसफर करके उनका तबादला उनके गृह जिलों या उसके पास किया करे. उनका आरोप है कि इतना सब होने के बाद भी अस्पताल का कोई डॉक्टर या अधिकारी उनके साथ नहीं खड़ा है, जबकि उनकी वरिष्ठ नर्सेस और ऑफ़िसर उन पर वापस ड्यूटी जॉइन करने का दबाव बना रहे हैं.