भिंड(Bhind)। जिला चिकित्सालय के सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ बाबू अजेंद्र सिंह कुशवाह और दो अन्य कर्मचारियों को लोकायुक्त पुलिस (Lokayukta Police) ने गिरफ्तार किया है. आरोपियों (Accused) को 4 हजार रुपए की रिश्वत (Bribe) लेते रंगे हाथ पकड़ा गया. बताया जा रहा है कि बाबू अजेंद्र सिंह ने एक्यूपंक्चर क्लीनिक (Acupuncture Clinic) के डॉक्टर से क्लीनिक संचालन के बदले में 6 हजार रुपए की मांग की थी. फरियादी की शिकायत के बाद ग्वालियर से आई लोकायुक्त पुलिस टीम ने दबिश दी, और आरोपियों को पकड़ लिया. मामले में सीएमएचओ (CMHO) की संलिप्तता का भी अंदेशा है.
एक्यूपंचर क्लिनिक संचालक से मांगी रिश्वत
भिंड CMHO कार्यालय में पदस्थ बाबू अजेंद्र सिंह कुशवाह के घर बुधवार को ग्वालियर से आई लोकायुक्त पुलिस टीम ने दबिश दी. पुलिस ने आरोपी को रंगे हाथ 4 हजार की रिश्वत लेते ट्रैप किया. फरियादी शैलेंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, सीएमएचओ कार्यालय का रिश्वतखोर बाबू अजेंद्र सिंह और राजकुमार दुबे, मौ कस्बे में संचालित मां भद्रकाली नाम से एक्यूपंक्चर क्लीनिक के डॉक्टर शैलेन्द्र सिंह से क्लीनिक संचालन करने के एवज में 6 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा था. शैलेंद्र सिंह द्वारा मना करने पर इन लोगों द्वारा क्लीनिक बंद कराने की धमकी दी गई थी.
पीड़ित ने लोकायुक्त से मांगी मदद, रंगे हाथों पकड़ा
परेशान होकर फरियादी शैलेंद्र सिंह ने ग्वालियर लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई. जिसके बाद फरियादी ने मंगलवार को पहली किस्त के तौर पर 2 हजार रुपए की रिश्वत दी, और उसकी रिकॉर्डिंग लोकायुक्त के सुपुर्द कर दी. रिकॉर्डिंग के आधार पर बुधवार को ग्वालियर लोकायुक्त पुलिस निरीक्षक सुरेंद्र यादव की अगुवाई में एक दर्जन कर्मचारियों के साथ सीएमएचओ कार्यालय में छापा मारा गया. इस दौरान बाबू अजेंद्र सिंह कुशवाह और उसके दो सहयोगी श्याम सिंह तोमर, अजीत सिंह को चार हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया.
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मौके से भाग खड़े हुए सीएमएचओ
लोकायुक्त पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है. आरोपी अजेंद्र सिंह जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अजीत मिश्रा का रीडर भी बताया जा रहा है. वहीं सीएमएचओ डॉक्टर मिश्रा छापे की भनक लगते ही भिंड जिला अस्पताल स्थिति अपने कार्यालय से मौके से खिसक लिए. सूत्रों की मानें, तो अस्पताल कर्मचारी जिलेभर के प्राइवेट क्लीनिकों से सालभर में एक बार पांच से दस हजार तक की अवैध वसूली करते थे.