भिंड। चम्बल अंचल में कहावत है 'मन मन भावे, मुड़ी हिलावे' जिसका अर्थ है कि मन में तो हाँ कहने की इच्छा है लेकिन ऊपरी तौर पर मना करते जा रहे हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति IAS राजीव शर्मा की. अफसरशाही और राजनीति के बीच कभी-कभी समावेश की स्थिति देखने को मिलती है. खासकर चुनावों के समय कई बार अफ़सर सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आते हैं. इन दिनों मध्यप्रदेश के ऐसे ही एक आईएएस राजीव शर्मा ने भी नौकरी छोड़ने का फ़ैसला कर लिया है. 2003 बैच के आईएएस राजीव शर्मा अब तक शहडोल संभाग के कमिश्नर थे. उन्होंने डेढ़ महीने पहले वीआरएस के लिए अपना आवेदन राज्य सरकार के सुपुर्द कर दिया था, जो अब अंतिम चरण में बताया जा रहा है.
काफ़िले के साथ भिंड पहुंचे IAS राजीव शर्मा : राजीव शर्मा अपने क्षेत्र भिंड पहुँचे. अटकलें है कि वे आने वाले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर भिंड विधानसभा सीट से चुनाव में उतर सकते हैं. आईएएस राजीव शर्मा शुक्रवार को बड़ी संख्या में समर्थकों की भीड़ और वाहनों के क़ाफ़िले के साथ शुक्रवार शाम भिंड पहुँचे. जगह-जगह उनका स्वागत देखने को मिला. इस बीच कांग्रेसियों ने भी उनका माला पहना कर स्वागत किया. इससे उनके चुनाव लड़ने की खबरों को हवा लगती नजर आ रही है. मीडिया से चर्चा के दौरान उनसे पूछ गया कि वीआरएस लेने के पीछे राजनीति में जाना या कुछ और उद्देश्य है, इस सवाल पर उनका कहना था कि उन्होंने 35 वर्षों तक प्रशासनिक पद पर रहकर प्रदेश की जनता की सेवा की और अपने क्षेत्र का नाम रोशन करने का प्रयास किया और अब वे निष्कलंक वापस अपने घर लौटे हैं और जनता उसका उत्सव मना रही है. इसका कोई और अर्थ निकालना ठीक नहीं होगा.
क्षेत्र के विकास के लिए काम करेंगे : राजनीति में जाने की इच्छा को लेकर जब उनसे प्रश्न किया तो उनका कहना था कि पैदा होने से लेकर अब तक उन्होंने और उनके दोस्तों ने सपना देखा है कि कैसे भिंड का विकास हो. यह क्षेत्र बेहतर हो, विद्यार्थी जीवन में भी गाँव गाँव जाकर नालियाँ साफ़ की हैं. उन्होंने कहा कि शासकीय सेवा में रहते हुए भी भिंड और भिंड वालों का विकास कैसे हो, ये प्रयास रहा. जो भला हो सकता था, शासकीय मर्यादा में रहते हुए करने की कोशिश की. उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने पर द्विआर्थी जवाब दिया. कहा कि वे किसी भी टिकट के आकांक्षी नहीं हैं लेकिन भविष्यवक्ता भी नहीं है.
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पहले भी अफ़सर आए राजनीति में : बता दें कि इससे पहले भिंड ज़िले के और भी सरकारी अफसर नौकरी छोड़कर राजनीति के जरिये विधायक सांसद बन चुके हैं. जिनमे वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी (एसएडीओ) रहे हरि सिंह नरवरिया 1990 में नौकरी छोड़ मेहगाँव से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे और विधायक चुने गए थे, वहीं 1975 बैच के आईएएस भगीरथ प्रसाद भी रिटायरमेंट के बाद राजनीति से जुड़े और कांग्रेस से भिंड में अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़े और हारे, वहीं दूसरी बार बीजेपी से चुनाव लड़ा और सांसद बने. इन्ही की तरह एमडी डॉ. राधेश्याम शर्मा भिंड ज़िला चिकित्सालय में पदस्थ रहते हुए अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा देकर भिंड विधानसभा का चुनाव लड़ने कांग्रेस से उतरे लेकिन हार का सामना करना पड़ा अब कांग्रेस से राजनीति में सक्रिय हैं और भिंड विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.