भिंड। एक दशक से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी भिंड में नई जेल का निर्माण कार्य आज तक अधूरा है. 2006 में भिंड में बनने वाली नई जेल का काम शुरु हुआ था. जिसका निर्माण एक दशक बाद भी नहीं हो पाया. करीब 14 साल के लंबे इंतजार के बाद नई जेल में बनी बिल्डिंग भी जर्जर हो रही है. जबकि जेल का निर्माण कार्य अभी भी जारी है.
भिंड की वर्तमान जिला जेल में बढ़ रही कैदियों की संख्या के चलते जेल प्रशासन ने भिंड में नई जेल बनाने का फैसला किया था. लेकिन ठेकेदारों की लापरवाही और धीमी गति से काम चलने से कई सालों बाद भी 580 कैदियों की क्षमता वाली नई जिला जेल बन नहीं पाई. पीआईयू विभाग के अधिकारी सारी दिक्कतों के लिए मध्यप्रदेश शासन को दोषी ठहरा रहे हैं. पीआईयू विभाग के ईई पंकज परिहार का कहना है कि पहले जेल का काम पीडब्ल्यूडी के पास था. लेकिन 2017 पीआईयू विभाग को सौंप दिया गया. जिसकी राशि भी ठीक से आवंटित नहीं हुई. ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी विभाग के बीच भी प्रकरण न्यायालय में लंबित है जिसकी वजह से साल 2016 में इस निर्माण कार्य के लिए री-टेंडर निकाल कर काम मूलचंद जैन ठेका कंपनी को दिया गया लेकिन 2020 तक हालात जस के तस हैं.
री-टेंडर होने के बाद नहीं मिला नक्शा
मामले में जब ठेका कंपनी के सुपरवाइजर से बात की गई तो उनका कहना था कि साल 2016 में रीटेंडर मिला है. लेकिन आज तक विभाग द्वारा उन्हें सीवर का नक्शा उपलब्ध नहीं कराया गया. वहीं बिल लगाने के बाद भी पेमेंट नहीं हो पाते. जब पैसा ही नहीं रहेगा तो काम बंद करना पड़ता है. वर्तमान में कोरोना वायरस के चलते सभी मजदूर अपने घरों पर हैं ऐसे में काम भी रुका हुआ है.
वर्तमान में भिंड जिला जेल में करीब 250 से ज्यादा कैदी हैं लेकिन कोरोना वायरस से 100 से ज्यादा कैदियों को अन्य जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया, तो कुछ कैदियों को पैरोल दे दी गई. आधिकारिक तौर पर जेल की क्षमता में 172 कैदी हैं. वहीं जेल भवन भी करीब 100 साल पुराना हो चुका है. जिससे यहा खतरा बना रहता है.
580 कैदी रखे जा सकेंगे नई जेल में
रतनुपुरा गांव के पास निर्माणाधीन नई जिला जेल में करीब 580 कैदियों को रखने की क्षमता है. जरूरत पड़ने पर करीब 1000 कैदी तक इसमें रखे जा सकेंगे. जेल में 8 ब्लॉक होंगे जिसमें महिला कैदियों के लिए अलग से बैरक बनाई जाएगी. इसमें एक साथ 40 महिला कैदी रह सकेंगी. जेल में एक बच्चा बैरक भी होगा जिसमें 18 साल से 21 साल के किशोर रखे जाएंगे. जेल की 24 घंटे निगरानी के लिए एक सेंट्रल वॉच टावर बनाया जाएगा इसके साथ जेल के चारों कोनों पर भी ऑब्जर्वेशन टावर बनाए जा रहे हैं
जेल में खुलेगा स्कूल और अस्पताल
नई जिला जेल में कैदियों के लिए एक स्कूल भी खोला जाएगा इसमें पढ़ने के इच्छुक कैदियों को जेल में ही नेकी और ईमानदारी का पाठ पढ़ाया जाएगा. सजा काटने के बाद कैदी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें इसके लिए जेल में पांच वर्कशेड भी बनाए जाएंगे यहां कैदियों को काम से सिखाया जाएगा और जेल मैं बंद रहने के दौरान काम करने के पैसे भी मिलेंगे. इसके अलावा जेल में ही एक अस्पताल बनाया जा रहा है जहां बीमार होने पर कैदियों को तत्काल प्राथमिक उपचार मुहैया कराई जा सके.