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...जब न्यू ईयर पर झुग्गी में रहने वाले बच्चे खाना खाने पहुंचे रेस्टोरेंट

मानवता की पाठशाला संस्था से जुड़े समाजसेवी बबलू सिंधी ने गरीब बच्चों की न्यू ईयर की शाम यादगार बना दी. बच्चों को वे एक रेस्टोरेंट ले गए. जहां बच्चों ने पेट भरकर खाना खाया.

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मानवता की पाठशाला
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Published : Jan 1, 2021, 9:38 PM IST

भिंड। साल 2021 का आगाज हो चुका है. न्यू ईयर का दिन हर कोई इसे अपने अपने तरीके से सेलिब्रेट कर रहा है. पिछला साल यानी 2020 कोरोना के नाम रहा. तो न्यू ईयर भी काफी फीका नजर आया. हालांकि भिंड शहर में रहने वाले झुग्गी झोपड़ी के बच्चों के लिए आज का दिन बेहद खास रहा है. क्योंकि मानवता की पाठशाला से जुड़े समाजसेवी युवाओं ने आज इन बच्चों को रेस्टोरेंट ले जाकर उनकी शाम यादगार बना दी.

न्यू ईयर पर बच्चों ने रेस्टोरेंट में खाया खाना
नए साल में नया अनुभव

नए साल की शुरुआत एक अच्छे अनुभव के साथ करने के लिए मानवता की पाठशाला चलाने वाले बबलू सिंधी और उनकी टीम के सदस्यों ने झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों को एक नया एहसास नया अनुभव दिलाने के लिए रेस्टोरेंट ले जाने का फैसला किया. बबलू सिंधी ने बताया कि झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चे बेहद गरीब हैं. इसलिए एक रेस्टोरेंट का खाना बैठना यहां के अनुभव इन बच्चों के लिए सामान्य बात नहीं है. कई बच्चों ने तो आज तक रेस्टोरेंट देखा तक नहीं है. क्योंकि उनकी पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं है. इसीलिए उन्हें यहां खाने का एक नया अनुभव दिलाने के लिए लाया गया है.

Children ate food in restaurant
बच्चों ने रेस्टोरेंट में खाया खाना

बच्चों में दिखा उत्साह

रेस्टोरेंट में बैठे बच्चों मैं भी एक अलग ही उत्साह नजर आया. यहां बच्चे मैन्यू कार्ड देख कर काफी खुश हो रहे थे. खाने से पहले भी उन्होंने हैंड वाश किया. जिसमें उनका उत्साह देखते ही बन रहा था.जब उनके लिए खाना लाया गया तो उनके चेहरों के भाव और मन की खुशी देखते ही बन रही थी. बबलू सिंधी कहते हैं इन बच्चों को यहां लाने का एक बड़ा उद्देश्य इस बात को लेकर भी है कि भविष्य में जब वे किसी रेस्टोरेंट या बड़े होटल में जाएं तो उनमें किसी तरह की झिझक ना हो कोई असहजता ना हो.

Children enjoyed food
बच्चों ने खाने का उठाया लुत्फ

बच्चों के उत्थान के लिए बनी 'मानवता की पाठशाला'

मानवता की पाठशाला एक ऐसा समूह है जिसे शहर के समाजसेवी बबलू सिंधी ने शुरू किया था. यह समूह पूरी तरह आत्मनिर्भर होकर गरीब बच्चों के उत्थान के लिए काम कर रहा है. भिंड शहर की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को हर रविवार समाजसेवी पढ़ाने जाते हैं. जिनमें शिक्षक, व्यापारी, छात्र, बच्चे हर वर्ग के लोग हैं और यह सभी इस मानवता की पाठशाला से जुड़े हुए हैं.गरीब बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने का काम कर रहे हैं. इसके लिए यह किसी सरकारी संस्था या सरकार पर निर्भर नहीं है. मानवता की पाठशाला में होने वाला पूरा खर्च भी यही समाजसेवी युवा अपनी जेब से उठाते हैं. उनके इस समाज सेवा के भाव की पूरे भिंड शहर में लोग तारीफ करते हैं.

भिंड। साल 2021 का आगाज हो चुका है. न्यू ईयर का दिन हर कोई इसे अपने अपने तरीके से सेलिब्रेट कर रहा है. पिछला साल यानी 2020 कोरोना के नाम रहा. तो न्यू ईयर भी काफी फीका नजर आया. हालांकि भिंड शहर में रहने वाले झुग्गी झोपड़ी के बच्चों के लिए आज का दिन बेहद खास रहा है. क्योंकि मानवता की पाठशाला से जुड़े समाजसेवी युवाओं ने आज इन बच्चों को रेस्टोरेंट ले जाकर उनकी शाम यादगार बना दी.

न्यू ईयर पर बच्चों ने रेस्टोरेंट में खाया खाना
नए साल में नया अनुभव

नए साल की शुरुआत एक अच्छे अनुभव के साथ करने के लिए मानवता की पाठशाला चलाने वाले बबलू सिंधी और उनकी टीम के सदस्यों ने झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों को एक नया एहसास नया अनुभव दिलाने के लिए रेस्टोरेंट ले जाने का फैसला किया. बबलू सिंधी ने बताया कि झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चे बेहद गरीब हैं. इसलिए एक रेस्टोरेंट का खाना बैठना यहां के अनुभव इन बच्चों के लिए सामान्य बात नहीं है. कई बच्चों ने तो आज तक रेस्टोरेंट देखा तक नहीं है. क्योंकि उनकी पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं है. इसीलिए उन्हें यहां खाने का एक नया अनुभव दिलाने के लिए लाया गया है.

Children ate food in restaurant
बच्चों ने रेस्टोरेंट में खाया खाना

बच्चों में दिखा उत्साह

रेस्टोरेंट में बैठे बच्चों मैं भी एक अलग ही उत्साह नजर आया. यहां बच्चे मैन्यू कार्ड देख कर काफी खुश हो रहे थे. खाने से पहले भी उन्होंने हैंड वाश किया. जिसमें उनका उत्साह देखते ही बन रहा था.जब उनके लिए खाना लाया गया तो उनके चेहरों के भाव और मन की खुशी देखते ही बन रही थी. बबलू सिंधी कहते हैं इन बच्चों को यहां लाने का एक बड़ा उद्देश्य इस बात को लेकर भी है कि भविष्य में जब वे किसी रेस्टोरेंट या बड़े होटल में जाएं तो उनमें किसी तरह की झिझक ना हो कोई असहजता ना हो.

Children enjoyed food
बच्चों ने खाने का उठाया लुत्फ

बच्चों के उत्थान के लिए बनी 'मानवता की पाठशाला'

मानवता की पाठशाला एक ऐसा समूह है जिसे शहर के समाजसेवी बबलू सिंधी ने शुरू किया था. यह समूह पूरी तरह आत्मनिर्भर होकर गरीब बच्चों के उत्थान के लिए काम कर रहा है. भिंड शहर की झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को हर रविवार समाजसेवी पढ़ाने जाते हैं. जिनमें शिक्षक, व्यापारी, छात्र, बच्चे हर वर्ग के लोग हैं और यह सभी इस मानवता की पाठशाला से जुड़े हुए हैं.गरीब बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने का काम कर रहे हैं. इसके लिए यह किसी सरकारी संस्था या सरकार पर निर्भर नहीं है. मानवता की पाठशाला में होने वाला पूरा खर्च भी यही समाजसेवी युवा अपनी जेब से उठाते हैं. उनके इस समाज सेवा के भाव की पूरे भिंड शहर में लोग तारीफ करते हैं.

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