भिंड। नगर पालिका क्षेत्र में 39 वार्ड हैं, लेकिन एक वार्ड भी आदर्श नही बन पाया. लगातार नगर पालिका की अनदेखी के चलते हर वार्ड कचरा-कचरा हो चुके हैं, ये हालत तब है जब डोर टू डोर कचरा कलेक्शन वाहन की सुविधा नगर पालिका द्वारा किए जाने का दावा है. हालांकि स्थानीय लोग और वार्ड की तस्वीरें खुद इन दावों की हकीकत बयान कर रहीं हैं. (bhind cleanliness not being done)
हर तरफ गंदगी बदबू, शिकायतों पर भी नही होती सुनवाई: स्थानीय लोगों का आरोप है कि चाहे वह गलियां हो, नालियां हो या सड़क किनारा, गंदगी का आलम सब जगह एक जैसा है. सफाई की खराब व्यवस्था कोई आज का मसाला नहीं है, बल्कि भिंड की यह स्थिति वर्षों से बनी हुई है. सीएम हेल्पलाइन कॉल 181 से लेकर नगर पालिका, जिला प्रशासन और कलेक्टर तक लोग गुहार लगा चुके हैं, लेकिन भिंड की स्थिति है कि सुधर ही नहीं रही. लोगों का आरोप है कि गंदगी के चलते शहर में मलेरिया और डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों से उनको और उनके बच्चों को दो चार होना पड़ता है.
प्रभारी सीएमओ ने प्लांट के लिए शासन को भेजा प्रस्ताव: जब इस गंदगी की समस्या के संबंध में नगर पालिका प्रभारी सीएमओ से बात की गई, तो उनका कहना था कि कचरा प्रबंधन के लिए नगर पालिका लगातार कार्य कर रही है. 450 सफाई कर्मचारियों का अमला सुबह और दोपहर की पाली में लगातार कार्यरत है, नगरपालिका का प्रयास रहता है कि शहर में सफाई की पर्याप्त व्यवस्था रहे. हालांकि सीएमओ शहर में लगे गंदगी के ढेर की बात को भी स्वीकार करते हैं, सीएमओ कहना है कि, "शहर से निकलने वाले कचरा निस्तारण प्लांट के लिए 9 करोड़ रुपए का प्रस्ताव मध्य प्रदेश सरकार को भेजा गया है."
लगातार फिसल रही नगर पालिका की सफाई रैंकिंग: भिंड नगरपालिका प्रबंधन स्वच्छता सर्वेक्षण में देशभर में अंडर 50 में आने के लिए लगातार प्रयासरत है, स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के नतीजों से भिंड की जनता को बेहद निराशा हुई थी. इस बार के सर्वेक्षण में नगर पालिका को 183वां रैंक मिला था, 6 हजार अंकों वाले इस सर्वेक्षण में भिंड नपा को 2612.87 अंक मिले जो कि इस केटेगरी प्रदेश की अन्य नगरपालिकाओं में सबसे कम हैं. जबकि 2020 के मुकाबले 18 पायदान नीचे था, वर्ष 2020 में भिंड नगर पालिका ने देश में 165वीं रैंक हासिल की थी.
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किस तरह का रहा स्वच्छ सर्वेक्षण में नपा का परफॉर्मन्स: स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई, तब भिंड नगरपालिका को 498 अंक मिले थे, उस दौरान इस सर्वे के मुताबिक भिंड देश का सबसे गंदा दूसरा शहर था, गंदगी के इस दाग को मिटाने के लिए शहर के समाजसेवी खुद सड़कों पर उतरे और सफाई शुरु की. इसके बाद प्रशासन ने भी समाजसेवियों के साथ गंदगी मुक्त भिंड को बनाने के लिए मेहनत की परिणामस्वरूप.
साल दर साल शहर की स्थिति:
वर्ष 2016- रैंकिंग 498, भिंड शहर देश का दूसरा सबसे गंदा शहर माना गया
वर्ष 2017- मेहनत की, नतीजा देश में भिंड की रैंक 128 आई थी.
वर्ष 2018- लोग जागरूक और नगर पालिका के प्रयासों से देश में रैंक 114 आयी
वर्ष 2019- लापरवाही देखी गयी, स्वच्छ सर्वेक्षण me पिछले देश में 214वीं रैंक पर फिसले
वर्ष 2020- कुछ सुधार के साथ देश में 165 वीं रैंक हाँसिल हुई
वर्ष 2021- चिपट होती व्यवस्थाओं के चलते रैंकिंग में गिरावट रही, देश में 183वीं रैंक मिली.
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तीन साल से गायब शहर के डस्टबीन: भिंड नगर पालिका बीते दो साल से अध्यक्ष के अभाव में प्रशासक बने कलेक्टर की जिम्मेदारी पर चल रही थी, लोगों द्वारा बार-बार शिकायतों के बाद भी कचरा प्रबंधन और साफ सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया. पूरे भिंड शहर में इक्का-दुक्का जगहों को छोड़ दिया जाए, तो कहीं भी नगर पालिका द्वारा डस्टबिन तक नहीं रखवाए गए हैं. बिना डस्टबीन करीब तीन वर्ष हो चुके हैं, लोग डोर टू डोर कचरा कलेक्शन वाहनों पर निर्भर हैं जो कई जगह नही पहुंचते. ऐसे में मजबूरी हो जाती है लोग सड़कों के किनारे कचरा जमा करने लगते हैं, लगभग शहर के सभी 39 वार्ड के ऐसे ही हाल हैं.
नवीन नगर पालिका परिषद का भी नही ध्यान: लगातार लापरवाही का ही नतीजा है कि हम लगातार स्वच्छ सर्वेक्षण में पिछड़ते जा रहे हैं. नगरीय निकाय चुनाव सम्पन्न होने के बाद शहर सरकार बन चुकी है और लगभग महीना होने जा रहा है, लेकिन नगर पालिका परिषद का ध्यान अब भी शहर में मौजूद गंदगी को हटवाने की ओर नही है. इस बात का अंदाजा अब खुद लगाना मुश्किल नहीं कि स्वच्छ सर्वेक्षण में अंडर 50 में आने के दावे करने वाली नगरपालिका भिंड अबकि बार रैंकिंग किस ओर जाएगी.