भिंड। चुनाव के समय प्रत्याशी घोषणा के साथ ही बीजेपी में अंतर्कलह सामने आने लगी है. पार्टी की अनदेखी के आरोप और दावेदारों में प्रतिस्पर्धा के चलते राजनीतिक दलों को चुनावी समय में खड़ी परेशानियां झेलनी पड़ती है. इन दिनों लहार विधानसभा क्षेत्र में ऐसी ही स्थिति बनी हुई. जहां भारतीय जनता पार्टी द्वारा अम्बरीष शर्मा को उम्मीदवार घोषित करने के बाद पूर्व विधायक और क्षेत्र से अब तक चुनाव प्रत्याशी रहे रसाल सिंह ने पार्टी को ही खुली चुनौती दे दी है कि "या तो पार्टी टिकट बदलने पर विचार कर ले या नहीं तो फिर हम विचार कर लेंगे."
'पीएमओ, प्रधानमंत्री, RSS समेत 14 सर्वे में था नाम': दरअसल पूर्व विधायक रसाल सिंह ने रविवार को लहार में कार्यकर्ताओं के साथ एक सभा की है. जिसमें उन्होंने बीजेपी द्वारा टिकट काटे जाने को लेकर चर्चा की. सभा में उन्होंने यह भी कहा कि "बीजेपी ने सर्वे कराए थे. पार्टी के साथ पीएमओ, प्रधानमंत्री, आरएसएस और आईबी समेत कई सर्वे हुए थे और उनमें 14 सर्वे में नाम सिर्फ़ रसाल सिंह का था, लेकिन टिकट किसी और को मिल गया."
कार्यकर्ताओं के लिए लड़ना चाहते हैं चुनाव: वहीं मीडिया से चर्चा के दौरान रसाल सिंह ने आरोप लगाया है कि वो पिछले 10 वर्षों से पार्टी के लिए काम कर हैं. क्षेत्र के सभी कार्यकर्ता उन पर डिपेंड हैं, क्योंकि कहीं भी जायें उनकी कोई सुनता नहीं क्योंकि वे बीजेपी के कार्यकर्ता हैं. ऐसे में कांग्रेस का उन पर प्रहार होता है. अब जो स्थिति बनी है, उसमें सभी कार्यकर्ताओं को बुलाया था, हमारे कार्यकर्ता साथ जीने मरने वाले हैं. अब ऐसी स्थिति में अगर उन्हें छोड़ दिया तो उनकी कौन सुनेगा कौन देखेगा."
बीजेपी को पार्टी नेता की खुली धमकी: रसाल सिंह ने कहा कि "इस बार पार्टी ने ऐसे लोगों को टिकट दिया है जिनमें से एक तो पार्टी के कई कार्यकर्ताओं का विरोधी है. चुन चुन कर उनपर हमले करता है. दूसरा पार्टी के लोगों को पहचानता ही नहीं है, तो अब ऐसा है कि या तो पार्टी टिकट बदलने पर विचार कर सकती है तो कर ले और अगर पार्टी विचार नहीं करती है तो फिर हम विचार कर लेंगे. वहीं उन्होंने शायरी के जरिए भी अपनी मंशा साफ कर दी है कि "खून दे कर भी अगर पसीने की कीमत भी ना मिले, तो ये आसार बगावत के हुआ करते हैं." पूर्व विधायक का कहना है कि कार्यकर्ताओं ने उन्हें आश्वस्त किया है वे चुनाव लहार से बिलकुल लड़ेंगे, अब अगर पार्टी उस पर विचार कर ले तो ज्यादा अच्छा है."
उम्मीदवार और कार्यकर्ताओं के बीच खाई, कैसे होगी पार: गौरतलब है कि रसाल सिंह पूर्व में भी तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं जिनमें एक बार उनके खिलाफ मैदान में बीजेपी नेता रोमेश महंत निर्दलीय लड़े और ब्राह्मण वोट काट दिया. वहीं पिछले चुनाव में बीजेपी के घोषित उम्मीदवार अम्बरीश शर्मा बसपा के टिकट से चुनाव में उतरे थे. उस दौरान भी जातिगत रूप से ब्राह्मण वोट उनके खाते में ले गये थे. इस वजह से बीजेपी और रसाल सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. इस बार अम्बरीश शर्मा को टिकट दे दिया है, लेकिन वे कहीं ना कहीं बीजेपी के मूल कार्यकर्ता से जुड़े नहीं या जुड़ना नहीं चाहते अपने ही समर्थकों से घिरे अम्बरीष शर्मा टिकट की चांदनी में खोये हुए हैं. जिससे इस बगावत का असर उन्हें चुनाव में देखने को मिलेगा.
बढ़ रहीं बीजेपी की मुश्किलें: इस तरह की परिस्थतियों के चलते उठे विरोध के सुर कहीं ना कहीं चुनावी दौर में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा रही है. शायद यही कारण है कि आपसी सामंजस्य की कमी के चलते भारतीय जनता पार्टी को इस बार मध्यप्रदेश में स्थानीय नेताओं की जगह अपने केंद्रीय मंत्री और संसद तक चुनाव मैदान में टिकट थमाकर उतारने पड़े हैं.