भिंड। कोविड की दूसरी लहर में भिंड जिले के प्रत्येक विधानसभा में ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant) प्रस्तावित किए गए थे, लेकिन अब तक दो मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में ऑक्सीजन प्लांट की नींव तक नहीं रखी गयी है. जबकि भिंड, गोहद और लहार में लगाए प्लांट किसी उपयोग में नहीं आ रहे हैं. जानिए पूरी स्थिति इस खास रिपोर्ट के जरिए...
कोरोना की दूसरी लहर के बाद लिया ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसला
कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) में हुई ऑक्सीजन की समस्या, कमी और लगातार लोगों की मौत के मामले सामने आने पर मध्यप्रदेश सरकार (MP Government) ने सभी 51 जिलों में ऑक्सीजन के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकारी अस्पताल (Government Hospital) में ऑक्सीजन प्लांट लगने का फैसला लिया था. कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने तक ज्यादातर जिलों में ऑक्सीजन प्लांट अधूरे थे. हालत यह हैं की साल गुजरते-गुजरते चम्बल अंचल के जिलों में तो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister Narendra Singh Tomar) ने कुछ ऑक्सीजन प्लांट के वर्चूअल लोकार्पण किए हैं. भिंड जिले में भी प्रस्तावित 5 ऑक्सीजन प्लांट शुरू हुए हैं, जिनमें तीन भिंड जिला अस्पताल (Bhind District Hospital) में हैं. इनमें दो सरकारी और एक सीएसआर के तहत एक कम्पनी ने लगवाया है. वहीं एक गोहद अस्पताल और एक लहार अस्पताल में शुरू किया गया है.
जिला अस्पताल में 3 ऑक्सीजन प्लांट, दो उपयोग में नहीं
ऑक्सीजन जेनरेशन (Oxygen Generation) की बात करें तो भिंड जिला अस्पताल में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन इन दिनों बन रही है. सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल गोयल से मिली जानकारी के अनुसार, जिला अस्पताल में 3 प्लांट शुरू किए गए हैं, जिनमें एक 250 एलपीएम, दूसरा 850 एलपीएम और तीसरा 1000 एलपीएम ऑक्सीजन जनरेट करते हैं, लेकिन जिस तरह भिंड जिला अस्पताल में ही 3 प्लांट लगाए गए- क्या उनका उपयोग हो रहा है? इस बात का जवाब देते हुए सिविल सर्जन ने बताया कि वर्तमान में 850 LPM का ऑक्सीजन प्लांट की सप्लाई सीधा ICU में दी गयी है, जहां आमतौर पर 12 से 15 मरीज भर्ती रहते हैं. इसके अलावा जल्द ही 250 LPM ऑक्सीजन प्लांट को SNCU से जोड़ने की प्लानिंग है. वहीं 1000 LPM प्लांट बनकर शुरू है लेकिन इसका कही उपयोग नही है. सिविल सर्जन डॉक्टर गोयल का कहना है की इस तरह के प्रोजेक्ट को प्रोपर लागू करने के लिए प्लानिंग करनी पड़ती है.
गोहद में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर से चल रहा काम, बंद पड़ा प्लांट
गोहद बीएमओ डॉक्टर आलोक शर्मा ने बताया की गोहद में 200 एलपीएम का ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो चुका है, जो 19 लाख रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ है. ऑक्सीजन के लिए उनके पास पहले से ही 22 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर (Oxygen Concentrator), 15 ऑक्सीजन सिलेंडर, 5 बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) की उपलब्धता है. इस वजह से ऑक्सीजन प्लांट को फिलहाल उपयोग में नही लिया जाता है.
लहार में 40 मरीजों को हो सकती है ऑक्सीजन की सप्लाई
वहीं लहार अस्पताल के बीएमओ डॉक्टर शैलेंद्र पांडेय ने बताया कि हाल ही में लहार शासकीय अस्पताल में 200 LPM का एक ऑक्सीजन प्लांट शुरू हुआ है, जिसके जरिए 40 मरीजों को (5 लीटर प्रतिमिनट/प्रति मरीज) एक साथ ऑक्सीजन सप्लाई की जा सकती है. हालांकि वर्तमान में ऑक्सीजन पर 4-5 मरीज ही हैं. ऐसे में प्लांट से बनने वाली लगभग पूरी हाई ऑक्सीजन व्यर्थ जा रही रही.
मंत्रियों के क्षेत्रों में नींव तक नही रखी
जिले में स्वास्थ्य विभाग ने ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट जिस तरह से बनवाए हैं, वह समझ से परे हैं. जहां लहार और गोहद में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के जरिए ही आपूर्ति हो रही है. वहां प्लांट तो छोटे लगाए गए, लेकिन वे फिलहाल उपयोग में नहीं आ रहे. वहीं मध्य प्रदेश सरकार के दो मंत्री मेहगांव से विधायक और नगरीय प्रशासन एवं आवास राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया और अटेर से विधायक सहकारिता एवं सामान्य प्रशासन मंत्री अरविंद भदौरिया दोनों के ही विधानसभा क्षेत्रों में एक भी ऑक्सीजन प्लांट अब तक नहीं लगा है. जबकि भिंड जिला अस्पताल में एक या दो नहीं बल्कि 3 प्लांट लगाए गए हैं. इनमें सबसे बड़ा ऑक्सीजन प्लांट की अब तक उपयोगिता स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित नहीं की जा सकी है. ऐसे में इसे शासकीय पैसे को ऑक्सीजन प्लांट में उड़ाना कहा जाए तो गलत नहीं होगा.