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लापरवाह प्रशासन! भिंड के 'मछंड' गांव में एक महीने में 27 मौतें, फिर भी CORONA जांच से दूरी

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Published : May 21, 2021, 6:56 PM IST

मछंड (भिंड) गांव में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बदहाल हैं, बावजूद इसके यहां के ग्रामीण कोरोना के नियमों का पालन तक नहीं कर रहे हैं. लोग गांव में चौपालें बना के बैठे नजर आ रहे हैं. बिमार होने पर कोरोना संकमण (corona virus) की जांंच कराने नहीं जाते. मद्देनजर सरकारी आंकड़े में कोरोना संक्रमण के मामले यहां कम हैं.

Careless administration
लापरवाह प्रशासन

भिंड। मछंड गांव जिला मुख्यालय भिंड से करीब 58 किलोमीटर दूर है, इस गांव में करीब 10 हजार की आबादी है. कोरोना संक्रमण भिंड के ग्रामीण इलाकों में भी अपनी दस्तक दे चुका है, लेकिन इस गांव में रहने वाले लोगों को कोरोना संक्रमण फैलने की कोई परवाह नहीं है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण करने को लेकर कई दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि प्रशासन के लिए अब ग्रामीण इलाकों में कोरोना कर्फ्यू के नियमों का पालन करवाना मुश्किल हो रहा है.

लापरवाह प्रशासन
  • मछंड गांंव में संक्रमण की स्थिति को लेकर क्या कहते हैं स्थानीय

मछंड (भिंड) गांव में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं कुछ सही नहीं हैं, बावजूद इसके यहां के ग्रामीण कोरोना के नियमों का पालन तक नहीं कर रहे हैं. लोग गांव में चौपालें बना के बैठे नजर आ रहे हैं. बीमार होने पर कोरोना संकमण की जांंच कराने नहीं जाते. मद्देनजर आंकड़े में कोरोना संक्रमण (corona virus) के मामले यहां कम हैं. मछंड गांव में रहने वाले उदयवीर सिंह गांव में कोरोना के हालत को लेकर कहते हैं कि गांव के लगभग हर घर में लोग बीमार हैं, लेकिन वे यह मानने को तैयार नहीं की किसी को गांव में कोरोना संक्रमण हो सकता है. जो लोग बीमार होते हैं वह घेरलू उपचार लेकर ठीक हो जाते हैं. गांव में कोरोना टेस्ट के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है.

  • पिछले 1 महीने में 27 लोगों की मौत

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान इस गांव में जान गवाने वाले लोगों की संख्या में तेजी बढ़ी है. गांव में कोरोना संक्रमण की जांच नहीं होने के कारण स्वास्थ्य विभाग इन सभी मौतों को सामान्य बता रहा है. जानकारी के मुताबिक, भिंड जिले में रोजाना 200 लोगों का अंतिम संस्कार हो रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा रोजाना 20 के आसपास होता है. वहीं, मछंड गांव के जयबीर सिंह के मुताबिक, पिछले एक महीने में गांव में 27 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि पिछले वर्षों में गांव में यह आंकड़ा 5-7 मौतें प्रति महीना रहता था. जयबीर सिंह बताते हैं कि इस महीने हुई मौतों में ज्यादातर बुखार और कोरोना से मिलते-जुलते लक्षणों से हुई है, लेकिन जांच न होने की वजह से किसी का यह पुष्टि नहीं हो सकी है कि लोग संक्रमण से मरे हैं या किसी अन्य कारणों से.

  • दूसरे राज्यों से गांव में आए कई प्रवासी

मछंड गांव के 65 वर्षीय प्रेम शंकर इलाके के हालातों को लेकर कहते हैं कि गांव में कर्फ्यू के दौरान कई लोग अन्य राज्यों से भी आए हैं, कुछ लोग खुलेआम तो कुछ चोरी छिपे गांव में आए हैं, उन्होंने कहा कि ग्राम में बीमार लोगों की स्थिति जानने के लिए सचिव द्वारा घर-घर सर्वे भी किया जाता है. गांव को अभी तक सैनिटाइज नहीं किया गया है.

सरकार छिपा रही मौत के आंकड़े, 2 महीने में कोरोना से 1 लाख से ज्यादा की मौत: कमलनाथ

  • गांव में एक डॉक्टर वह भी छुट्टी में

मछंड गांव में कोरोना संक्रमण के दौरान हालात का जायजा लेने पहुंची ई टीवी भारत की टीम ने पाया कि गांव के सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ 3 कर्मचारी मौजूद हैं, जिनमे एक सुपरवाइजर, एक कंपाउडर और एक आयुष विभाग की ओर से पदस्थ सीएचओ थे. जब केंद्र के प्रभारी के बारे में उनसे पूछा गया तो कर्मचारियों ने बताया कि अस्पताल में सिर्फ एक ही डॉक्टर पदस्थ हैं. वे भी शादी को लेकर 15 अप्रैल से छुट्टी पर हैं. बकौल कर्मचारी, उनकी जगह किसी दूसरे डॉक्टर की व्यवस्था भी स्वास्थ्य विभाग ने नहीं की है. ई टीवी भारत की टीम ने पाया कि यहां कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए एक भी बेड नहीं हैं, विभाग की ओर से 5 बेड प्रसूता और गर्भवती महिलाओं के लिए लगाए गए हैं. अस्पताल में फार्मासिस्ट, 4 पद फील्ड सीएचओ का पद भी खाली है.

  • गांव में अब तक मिले 3 कोरोना संक्रमित

गांव में इस तरीके से बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के बीच गांव में कोरोना नियमों के प्रति जागरुक न होना ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है. हालांकि गांव में पिछले साल कोरोना की पहली लहर में संक्रमणका 1 मामला सामने आया था और इस साल 2 मामले आए हैं. इसमें से एक होम आइसोलेशन में है और एक का जिला अस्पताल में इलाज जारी है.

  • 700 कोरोना वैक्सीन बर्बाद

मछंड गांव के सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों के मुताबिक, क्षेत्र में टीकाकरण के लिए कोविशील्ड के 5240 डोज प्राप्त हुए थे, जिनमें से करीब 4500 डोज ही लग सके हैं और करीब 700 डोज बर्बाद हो गए हैं. अस्पताल, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के साथ ग्रामीणों की लापरवाही से इस गांव में कोरोना संक्रमण बड़ा खतरा बनता जा रहा है और गांव में जल्द इन लापरवाहियों पर काम नहीं किया गया तो यहां के लोगों का जीवन संकट में आ सकता है.

भिंड। मछंड गांव जिला मुख्यालय भिंड से करीब 58 किलोमीटर दूर है, इस गांव में करीब 10 हजार की आबादी है. कोरोना संक्रमण भिंड के ग्रामीण इलाकों में भी अपनी दस्तक दे चुका है, लेकिन इस गांव में रहने वाले लोगों को कोरोना संक्रमण फैलने की कोई परवाह नहीं है. जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण करने को लेकर कई दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि प्रशासन के लिए अब ग्रामीण इलाकों में कोरोना कर्फ्यू के नियमों का पालन करवाना मुश्किल हो रहा है.

लापरवाह प्रशासन
  • मछंड गांंव में संक्रमण की स्थिति को लेकर क्या कहते हैं स्थानीय

मछंड (भिंड) गांव में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं कुछ सही नहीं हैं, बावजूद इसके यहां के ग्रामीण कोरोना के नियमों का पालन तक नहीं कर रहे हैं. लोग गांव में चौपालें बना के बैठे नजर आ रहे हैं. बीमार होने पर कोरोना संकमण की जांंच कराने नहीं जाते. मद्देनजर आंकड़े में कोरोना संक्रमण (corona virus) के मामले यहां कम हैं. मछंड गांव में रहने वाले उदयवीर सिंह गांव में कोरोना के हालत को लेकर कहते हैं कि गांव के लगभग हर घर में लोग बीमार हैं, लेकिन वे यह मानने को तैयार नहीं की किसी को गांव में कोरोना संक्रमण हो सकता है. जो लोग बीमार होते हैं वह घेरलू उपचार लेकर ठीक हो जाते हैं. गांव में कोरोना टेस्ट के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है.

  • पिछले 1 महीने में 27 लोगों की मौत

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान इस गांव में जान गवाने वाले लोगों की संख्या में तेजी बढ़ी है. गांव में कोरोना संक्रमण की जांच नहीं होने के कारण स्वास्थ्य विभाग इन सभी मौतों को सामान्य बता रहा है. जानकारी के मुताबिक, भिंड जिले में रोजाना 200 लोगों का अंतिम संस्कार हो रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा रोजाना 20 के आसपास होता है. वहीं, मछंड गांव के जयबीर सिंह के मुताबिक, पिछले एक महीने में गांव में 27 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि पिछले वर्षों में गांव में यह आंकड़ा 5-7 मौतें प्रति महीना रहता था. जयबीर सिंह बताते हैं कि इस महीने हुई मौतों में ज्यादातर बुखार और कोरोना से मिलते-जुलते लक्षणों से हुई है, लेकिन जांच न होने की वजह से किसी का यह पुष्टि नहीं हो सकी है कि लोग संक्रमण से मरे हैं या किसी अन्य कारणों से.

  • दूसरे राज्यों से गांव में आए कई प्रवासी

मछंड गांव के 65 वर्षीय प्रेम शंकर इलाके के हालातों को लेकर कहते हैं कि गांव में कर्फ्यू के दौरान कई लोग अन्य राज्यों से भी आए हैं, कुछ लोग खुलेआम तो कुछ चोरी छिपे गांव में आए हैं, उन्होंने कहा कि ग्राम में बीमार लोगों की स्थिति जानने के लिए सचिव द्वारा घर-घर सर्वे भी किया जाता है. गांव को अभी तक सैनिटाइज नहीं किया गया है.

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  • गांव में एक डॉक्टर वह भी छुट्टी में

मछंड गांव में कोरोना संक्रमण के दौरान हालात का जायजा लेने पहुंची ई टीवी भारत की टीम ने पाया कि गांव के सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ 3 कर्मचारी मौजूद हैं, जिनमे एक सुपरवाइजर, एक कंपाउडर और एक आयुष विभाग की ओर से पदस्थ सीएचओ थे. जब केंद्र के प्रभारी के बारे में उनसे पूछा गया तो कर्मचारियों ने बताया कि अस्पताल में सिर्फ एक ही डॉक्टर पदस्थ हैं. वे भी शादी को लेकर 15 अप्रैल से छुट्टी पर हैं. बकौल कर्मचारी, उनकी जगह किसी दूसरे डॉक्टर की व्यवस्था भी स्वास्थ्य विभाग ने नहीं की है. ई टीवी भारत की टीम ने पाया कि यहां कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए एक भी बेड नहीं हैं, विभाग की ओर से 5 बेड प्रसूता और गर्भवती महिलाओं के लिए लगाए गए हैं. अस्पताल में फार्मासिस्ट, 4 पद फील्ड सीएचओ का पद भी खाली है.

  • गांव में अब तक मिले 3 कोरोना संक्रमित

गांव में इस तरीके से बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के बीच गांव में कोरोना नियमों के प्रति जागरुक न होना ग्रामीणों के लिए स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकता है. हालांकि गांव में पिछले साल कोरोना की पहली लहर में संक्रमणका 1 मामला सामने आया था और इस साल 2 मामले आए हैं. इसमें से एक होम आइसोलेशन में है और एक का जिला अस्पताल में इलाज जारी है.

  • 700 कोरोना वैक्सीन बर्बाद

मछंड गांव के सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों के मुताबिक, क्षेत्र में टीकाकरण के लिए कोविशील्ड के 5240 डोज प्राप्त हुए थे, जिनमें से करीब 4500 डोज ही लग सके हैं और करीब 700 डोज बर्बाद हो गए हैं. अस्पताल, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के साथ ग्रामीणों की लापरवाही से इस गांव में कोरोना संक्रमण बड़ा खतरा बनता जा रहा है और गांव में जल्द इन लापरवाहियों पर काम नहीं किया गया तो यहां के लोगों का जीवन संकट में आ सकता है.

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