बैतूल। मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के पावर प्लांट सारनी को 1979 में 25 वर्ष के लिए बनाया गया था, 200 मेगावाट की इकाई 41 साल बाद भी नई इकाइयों की तरह बेहतर प्रदर्शन कर प्रदेश में बिजली की जरूरत पूरी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. वर्ष 1979 में बीएचईएल द्वारा 200 मेगावाट विद्युत उत्पादन के लिए 6 नंबर इकाई का निर्माण किया गया था.
तब से लेकर अब तक लगातार 200 मेगावाट की इकाई बेहतर प्रदर्शन कर रही है. रबी के सीजन में बिजली की मांग बढ़ने पर एक बार फिर पुरानी इकाई पर भरोसा जताकर घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी प्रबंधन द्वारा 6 नंबर इकाई को चालू किया गया है. इस इकाई से फिलहाल 83 फीसदी बिजली का उत्पादन लिया जा रहा है. वहीं 210-210 मेगावाट क्षमता की 87, 8 और 9 नंबर इकाई तकनीकी कारणों से बंद है.
ये इकाई भी 37 से 40 वर्ष पुरानी है. इन्हें भी 25 वर्ष के लिए निर्माण किया गया था. बताया जा रहा है कि, वर्ष 2017 में 6 व 7 और 2018 में 8 व 9 नंबर इकाई को डीकमिश्निंग के लिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में प्रस्ताव रखा गया था. इन चारों इकाइयों का डिस्मेंटलिंग प्रस्तावित होने की वजह से इन इकाइयों का वार्षिक संधारण कार्य कंपनी प्रबंधन द्वारा नहीं कराया जा रहा है, जिसके चलते इकाई चलाने पर तकनीकी खामियां सामने आ रही हैं. बावजूद इसके पुरानी इकाइयों से बेहतर विद्युत उत्पादन लिया जा रहा है.
सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी के पीआरओ अमित ने बताया कि, 6 नंबर इकाई 41 साल पुरानी है. रबी के सीजन में बिजली की मांग बढ़ने पर एक माह से अधिक समय से बंद इस इकाई को चालू किया गया है. 1979 में निर्मित इकाई से इन दिनों 83 फीसदी बिजली उत्पादन हो रहा है.