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जब 90 साल के दूल्हे ने रचाई 87 साल की दुल्हन से दोबारा शादी, बारात में जमकर नाचे लोग

बैतूल में एक बुजर्ग दंपति की 70वीं सालगिरह पर उनके बेटे ने उनको नायाब तोहफा दिया है, दंपति की पूरे धूमधाम से दोबारा शादी करवाई गई.

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90 साल के दूल्हे ने रचाई 87 साल की दुल्हन से दोबारा शादी
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Published : Dec 27, 2019, 1:41 PM IST

Updated : Dec 27, 2019, 4:06 PM IST

बैतूल। कहते हैं कि जिस घर में बुजुर्ग हंसते हुए मिल जाए, समझ लेना आशियाना अमीरों का है...
जो अपनी नींद भूलाकर हमें सुलाते हैं, अपने आंसू गिराकर हमें हसांते हैं, ऐसे मां-बाप के चेहरे पर अगर आप मुस्कुराहट ला सकें, तो समझ लेना आप दुनिया के सबसे अमीर शख्स है. रिश्तों को एक सूत्र में पिरोए रखने के लिए परिवार की छोटी-छोटी खुशियों का ख्याल रखना पड़ता है और जब बात मां-बाप की 70 वीं वर्षगांठ की हो तो खुशियों में चार चांद लग जाते हैं. जिले के गुनखेड़ गांव में 90 साल के श्रीपतराव और 87 वर्षीय भागीरथी की शादी की सालगिरह पर न सिर्फ फेरे हुए बल्कि इस जोड़े को बग्गी में बैठाकर बारात भी निकाली. इस दौरान पूरा गांव बैंड-बाजों की धुन पर झूमता नजर आया.

90 साल के दूल्हे ने रचाई 87 साल की दुल्हन से दोबारा शादी


मामला बैतूल जिले के छोटे से गांव गुनखेड़ का है. जहां कल देर शाम एक बुजुर्ग दंपति की बारात निकली. इस जोड़े की शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. बग्गी में बैठे इस जोड़े को जिसने भी देखा हैरान रह गया, लेकिन जब लोगों को हकीकत पता चली तो सभी ने इसकी खूब तारीफ की. साथ ही उनकी खुशियों में शामिल भी हुए. पूरा गांव श्रीपतराव और भागीरथी की शादी में नाच-गाने के साथ मस्ती में झूमता नजर आया.


दरअसल ये आयोजन इस जोड़े की 70वीं वैवाहिक वर्षगांठ पर उनके बेटे मंचित चढ़ोकार ने किया था. भोपाल में ई-गवर्नेंस कंसल्टेंट मंचित का कहना है कि उनके मां-बाप ने गरीबी की हालात में भी उनकी अच्छी परवरिश की है. माता-पिता की 70वीं सालगिरह को यादगार बनाने के लिए उनकी फिर से शादी कराई. इस दौरान सारे रिश्तेदारों को न्योता दिया गया और सारे गांव को आमंत्रित कर शादी की रश्में निभाई.


मंचित कहते हैं कि गरीबी के दिनों उनके माता-पिता नें बहुत संघर्ष कर उनको पाल पोसकर बड़ा किया है. मां-बाप का कर्ज हम कभी नहीं चुका सकते हैं, लेकिन उनके चेहरे की मुस्कुराट की एक छोटी सी कोशिश तो कर सकते हैं. अपनी खुशी जाहिर करते हुए दंपति ने कहा कि हमारी शादी दिसंबर 1950 में हुई थी. अब ऐसा लग रहा है कि समय का पहिया उल्टा घूम गया है. माता-पिता अपने बेटे द्वारा दिए गए इस नायाब तोहफे से काफी खुश हैं.


अपने माता-पिता की शादी की वर्षगांठ पर मंचित द्वारा दिया गया यह नायाब तोहफा समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है. आज के समय में जब कुछ लोग अपने मां-बाप को अपने साथ रखने से भी कतराते हैं, ऐसे लोगों को मंचित जैसे शख्स से सीखना चाहिए. उन्हें याद करना चाहिए कि मां-बाप ने कितनी तकलीफें सहकर उन्हें पाला-पोसा है. जो मां-बाप खुद भूखे रहकर बच्चों को भरपेट खाना खिलाते हैं, वही बच्चें बड़े होने पर उन्हें दो वक्त की रोटी तक नहीं देते हैं. ऐसे वक्त में मंचित ने अपने मां-बाप की खुशियों में चार चांद लगाकर एक आदर्श बेटा बनकर दिखाया है.

बैतूल। कहते हैं कि जिस घर में बुजुर्ग हंसते हुए मिल जाए, समझ लेना आशियाना अमीरों का है...
जो अपनी नींद भूलाकर हमें सुलाते हैं, अपने आंसू गिराकर हमें हसांते हैं, ऐसे मां-बाप के चेहरे पर अगर आप मुस्कुराहट ला सकें, तो समझ लेना आप दुनिया के सबसे अमीर शख्स है. रिश्तों को एक सूत्र में पिरोए रखने के लिए परिवार की छोटी-छोटी खुशियों का ख्याल रखना पड़ता है और जब बात मां-बाप की 70 वीं वर्षगांठ की हो तो खुशियों में चार चांद लग जाते हैं. जिले के गुनखेड़ गांव में 90 साल के श्रीपतराव और 87 वर्षीय भागीरथी की शादी की सालगिरह पर न सिर्फ फेरे हुए बल्कि इस जोड़े को बग्गी में बैठाकर बारात भी निकाली. इस दौरान पूरा गांव बैंड-बाजों की धुन पर झूमता नजर आया.

90 साल के दूल्हे ने रचाई 87 साल की दुल्हन से दोबारा शादी


मामला बैतूल जिले के छोटे से गांव गुनखेड़ का है. जहां कल देर शाम एक बुजुर्ग दंपति की बारात निकली. इस जोड़े की शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. बग्गी में बैठे इस जोड़े को जिसने भी देखा हैरान रह गया, लेकिन जब लोगों को हकीकत पता चली तो सभी ने इसकी खूब तारीफ की. साथ ही उनकी खुशियों में शामिल भी हुए. पूरा गांव श्रीपतराव और भागीरथी की शादी में नाच-गाने के साथ मस्ती में झूमता नजर आया.


दरअसल ये आयोजन इस जोड़े की 70वीं वैवाहिक वर्षगांठ पर उनके बेटे मंचित चढ़ोकार ने किया था. भोपाल में ई-गवर्नेंस कंसल्टेंट मंचित का कहना है कि उनके मां-बाप ने गरीबी की हालात में भी उनकी अच्छी परवरिश की है. माता-पिता की 70वीं सालगिरह को यादगार बनाने के लिए उनकी फिर से शादी कराई. इस दौरान सारे रिश्तेदारों को न्योता दिया गया और सारे गांव को आमंत्रित कर शादी की रश्में निभाई.


मंचित कहते हैं कि गरीबी के दिनों उनके माता-पिता नें बहुत संघर्ष कर उनको पाल पोसकर बड़ा किया है. मां-बाप का कर्ज हम कभी नहीं चुका सकते हैं, लेकिन उनके चेहरे की मुस्कुराट की एक छोटी सी कोशिश तो कर सकते हैं. अपनी खुशी जाहिर करते हुए दंपति ने कहा कि हमारी शादी दिसंबर 1950 में हुई थी. अब ऐसा लग रहा है कि समय का पहिया उल्टा घूम गया है. माता-पिता अपने बेटे द्वारा दिए गए इस नायाब तोहफे से काफी खुश हैं.


अपने माता-पिता की शादी की वर्षगांठ पर मंचित द्वारा दिया गया यह नायाब तोहफा समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है. आज के समय में जब कुछ लोग अपने मां-बाप को अपने साथ रखने से भी कतराते हैं, ऐसे लोगों को मंचित जैसे शख्स से सीखना चाहिए. उन्हें याद करना चाहिए कि मां-बाप ने कितनी तकलीफें सहकर उन्हें पाला-पोसा है. जो मां-बाप खुद भूखे रहकर बच्चों को भरपेट खाना खिलाते हैं, वही बच्चें बड़े होने पर उन्हें दो वक्त की रोटी तक नहीं देते हैं. ऐसे वक्त में मंचित ने अपने मां-बाप की खुशियों में चार चांद लगाकर एक आदर्श बेटा बनकर दिखाया है.

Intro:बैतुल ।। बैतूल के एक गांव में 90 साल के बूढ़े और 87 साल की बूढ़ी दुल्हन की शादी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। बग्गी में बैठे इस जोड़े का नजारा जिसने देखा हैरान रह गया। लेकिन जब लोगो को हकीकत पता चली तो हर किसी ने इस अनोखी शादी की खूब तारीफ की । पूरा गांव इस शादी में नाचा गाया, बैंड बाजा और बारात के साथ घोड़ा बग्घी में बैठकर दूल्हा दुल्हन निकले, उनके फेरे पड़े,रिंग सेरेमनी हुई और दोनों एक दूजे के हो गए। Body:बैंड,बाजा और बारात का यह नजारा बैतूल के छोटे से गांव गुनखेड़ का है। जहां कल देर शाम एक बारात खूब जोर से निकली। सैकड़ो नाते रिश्तेदार,गांव वाले इस बारात में शामिल हुए और खूब धमाल मचाया। घोड़ा गाड़ी वाली बग्घी पर सजे संवरे 90 साल के दूल्हे श्रीपतराव और 87 साल की दुल्हन भागीरथी को जिसने भी देखा उनकी इस शादी पर मेहमानों ने खूब मस्ती की। पूरे गांव में ढोल ढमाकों के साथ निकली बारात में बच्चे बूढ़े और जवानों ने खूब डांस और मस्ती की। जिसने भी इस शादी का नजारा देखा हैरान रह गया।

गांव वाले अब भी हैरान है।उनके मुताबिक उन्होंने कभी ऐसी शादी नही देखी।दरअसल बूढ़े दंपत्ति की इस शादी का आयोजन इस जोड़े की 70 वी वैवाहिक वर्षगांठ पर दंपत्ति के बेटे मंचित चढोकार ने किया था। भोपाल में ई गवर्नेंस कंसल्टेंट मंचित को उनके गरीब माता पिता ने बड़े संघर्ष के बाद पाला पोसा है। गांव में रहने वाले मा बाप की शादी के 70 साल पूरे हुए तो इस मौके को यादगार बनाने मंचित ने अनोखे अंदाज में ढाल दिया।उन्होंने माता पिता की फिर से शादी की रश्में निभाने का प्लान बनाया और इसे शानदार अंदाज में यादगार बना दिया। सारे रिश्तेदारों को न्यौता दिया गया और सारे गांव को इस शादी में आमंत्रित कर शादी की सारी रश्में फिर से निभाई गयी।

माता पिता को शादी की वर्षगांठ का एक बेटे का दिया गया यह तोहफा नायाब बन गया। मंचित की माने तो माँ बाप का उन्हें बचपन मे पालने के लिए किया गया संघर्ष उन्हें आज भी याद है।इसीलिए उन्होंने सोचा कि क्यो न लाड़ प्यार का कर्ज चुकाने वे इस मौके को यादगार बना दे।Conclusion:मंचित के पिता श्रीपत और माँ भागीरथी की शादी दिसम्बर 1950 में हुई थी। यह साल उनकी इस शादी की वर्षगांठ का 70 वां साल था। जब बेटे ने इसे फिर से आयोजित किंया तो ऐसा लगा कि समय का पहिया उल्टा घूम गया है। दोनो पति पत्नी इस आयोजन से बेहद खुश है। माता पिता को एक बेटे का उनकी वर्षगांठ पर दिया यह तोहफा एक मिसाल है ।

बाईट--भागीरथी ( दुल्हन )

बाईट-- मंचित चढोकार ( पुत्र )

Last Updated : Dec 27, 2019, 4:06 PM IST
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