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सरकारी नौकरी छोड़ गरीब युवाओं की जिंदगी संवार रहे बैतूल के राजेश सरियाम

बैतूल में शिक्षक राजेश सरियाम ने गरीब छात्रों की जिंदगी बनाने के लिए अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी. इनका कहना है कि वे इसी तरह छात्रों की जिंदगी में ज्ञान का उजाला भरते रहेंगे.

फ्री में दी जा रही है गरीब छात्रों को कोचिंग
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Published : Sep 5, 2019, 3:43 PM IST

बैतूल। जिले के राजेश सरियाम छात्रों को फ्री कोचिंग देकर उनकी जिंदगी संवारने का काम कर रहे हैं. पिछले 23 सालों से वे ग्रामीण और गरीब युवाओं को निःशुल्क कोचिंग दे रहे हैं. राजेश उन शिक्षकों में से एक हैं, जिनका बैतूल के लिए नि:स्वार्थ योगदान है. इस योगदान से आज कई गरीब युवा सरकारी नौकरी कर रहे हैं.

फ्री में दी जा रही है गरीब छात्रों को कोचिंग

राजेश सरियाम 1992 में सेहरा गांव में सरकारी स्कूल में शिक्षक थे. जब उन्होंने देखा कि गरीब बच्चे ट्यूशन नहीं पढ़ पा रहे हैं, तब उन्होंने स्कूली बच्चों को गांव में ही ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया. जिसके लिए उन्होंने सरकारी नौकरी भी छोड़ दी और युवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग क्लासेज शुरू कर दी. आज राजेश सरियाम की फ्री कोचिंग का ही कमाल है कि बैतूल जिले के एक हजार से ज्यादा गरीब और आदिवासी युवा वन विभाग, पुलिस और अन्य सरकारी विभागों में नौकरी कर रहे हैं.

बता दें कि राजेश ने खुद आर्ट्स सब्जेक्ट से पढ़ाई की है, लेकिन केवल गरीब छात्रों का भविष्य बनाने के लिए उन्होंने पहले खुद गणित और विज्ञान की ट्यूशन ली और फिर उन्होंने स्टूडेंट्स को पढ़ाया.

राजेश की इस नि:शुल्क कोचिंग को देखकर आज दूसरे शिक्षकों ने भी उनसे प्रेरणा ली. छात्रों ने बताया कि वे गरीब परिवार से आते हैं. कोचिंग सेंटर्स की भारी-भरकम फीस नहीं दे सकते, इसलिए वे शिक्षक राजेश सरियाम के यहां आकर फ्री कोचिंग ले रहे हैं. यहां कोचिंग लेने वाले सभी बच्चे यहां की पढ़ाई से काफी खुश हैं. इन बच्चों का सपना है कि वे एक काबिल और अच्छे इंसान बनें.

राजेश सरियाम अपनी कोचिंग में टीचिंग और लर्निंग के लिए नई ट्रिक भी ईजाद करते हैं. राजेश मेट्रो सिटी के कोचिंग सेंटर पर भी नजर रखते हैं, ताकि वे भी अपने फ्री कोचिंग सेंटर को अपडेट रख सकें.

बैतूल। जिले के राजेश सरियाम छात्रों को फ्री कोचिंग देकर उनकी जिंदगी संवारने का काम कर रहे हैं. पिछले 23 सालों से वे ग्रामीण और गरीब युवाओं को निःशुल्क कोचिंग दे रहे हैं. राजेश उन शिक्षकों में से एक हैं, जिनका बैतूल के लिए नि:स्वार्थ योगदान है. इस योगदान से आज कई गरीब युवा सरकारी नौकरी कर रहे हैं.

फ्री में दी जा रही है गरीब छात्रों को कोचिंग

राजेश सरियाम 1992 में सेहरा गांव में सरकारी स्कूल में शिक्षक थे. जब उन्होंने देखा कि गरीब बच्चे ट्यूशन नहीं पढ़ पा रहे हैं, तब उन्होंने स्कूली बच्चों को गांव में ही ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया. जिसके लिए उन्होंने सरकारी नौकरी भी छोड़ दी और युवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग क्लासेज शुरू कर दी. आज राजेश सरियाम की फ्री कोचिंग का ही कमाल है कि बैतूल जिले के एक हजार से ज्यादा गरीब और आदिवासी युवा वन विभाग, पुलिस और अन्य सरकारी विभागों में नौकरी कर रहे हैं.

बता दें कि राजेश ने खुद आर्ट्स सब्जेक्ट से पढ़ाई की है, लेकिन केवल गरीब छात्रों का भविष्य बनाने के लिए उन्होंने पहले खुद गणित और विज्ञान की ट्यूशन ली और फिर उन्होंने स्टूडेंट्स को पढ़ाया.

राजेश की इस नि:शुल्क कोचिंग को देखकर आज दूसरे शिक्षकों ने भी उनसे प्रेरणा ली. छात्रों ने बताया कि वे गरीब परिवार से आते हैं. कोचिंग सेंटर्स की भारी-भरकम फीस नहीं दे सकते, इसलिए वे शिक्षक राजेश सरियाम के यहां आकर फ्री कोचिंग ले रहे हैं. यहां कोचिंग लेने वाले सभी बच्चे यहां की पढ़ाई से काफी खुश हैं. इन बच्चों का सपना है कि वे एक काबिल और अच्छे इंसान बनें.

राजेश सरियाम अपनी कोचिंग में टीचिंग और लर्निंग के लिए नई ट्रिक भी ईजाद करते हैं. राजेश मेट्रो सिटी के कोचिंग सेंटर पर भी नजर रखते हैं, ताकि वे भी अपने फ्री कोचिंग सेंटर को अपडेट रख सकें.

Intro:बैतूल ।। बैतूल का एक शख्श गरीब और ग्रामीण तबके के बच्चों को फ्री में कोचिंग दे रहा है वो भी दो चार सालों से नही बल्कि पिछले 23 सालों से फ्री कोचिंग दे रहा है । राजेश सरियाम बैतूल की वो शख्सियत है जिसके बारे में सब जानते है । राजेश उन बेमिसाल लोगो मे शामिल है जिनका बिना स्वार्थ बैतूल के लिए अहम योगदान है । उनके इस योगदान को जानना और समझना है तो उन गरीब युवाओ से पूछो जो आज सरकारी नौकरी कर रहे है ।


Body:राजेश सरियाम 1992 में सेहरा गांव में सरकारी स्कूल में शिक्षक थे जब उन्होंने देखा कि गरीब बच्चे ट्यूशन नही पढ़ पा रहे है तब उन्होंने स्कूली बच्चों को गांव में ही ट्यूशन पढना शुरू किया । फिर उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और युवाओ को प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग क्लास शुरू कर दी । आज राजेश सरियाम की फ्री कोचिंग का ही कमाल है कि बैतूल जिले के एक हजार से ज्यादा गरीब और आदिवासी युवा वन विभाग, पुलिस और अन्य सरकारी विभागों में नौकरी कर रहे है । उनकी प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग लोकप्रिय है वे फीस भी ले सकते है लेकिन वे ऐसा नही करते । राजेश सरेआम का कहना है कि भगवान का दिया हुआ सब कुछ है इसलिए वे फ्री में कोचिंग देते है । राजेश का पूरा परिवार शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा हुआ है उनकी माँ , पिता, भाई , पत्नी और वे खुद शिक्षक है ।

लेकिन समाजसेवा और गरीब बच्चों की उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी न हो पाने के हालात ने उन्हें झकजोर दिया । उन्होंने नौकरी छोड़ दी और आदिवासी गरीब बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाना शुरू कर दिया । खास बात यह है कि राजेश आर्ट विषय के जानकार है राजेश ने बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद ट्यूशन पढ़कर गणित और विज्ञान सीखा आज उनके पढ़ाये बच्चे बड़े पदों पर है ।

उनकी इस निशुल्क कोचिंग को देख आज कई दूसरे शिक्षक भी उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे है और वे भी राजेश के कोचिंग सेंटर में आकर गरीब और आदिवासी बच्चो को फ्री में कोचिंग दे रहे है ।

वही बच्चो के मुताबिक वे लोग गरीब परिवार से आते है कोचिंग सेंट्रो की भारी भरकम फीस वे नही दे सकते इसलिए वे लोग राजेश सरेआम जी के यहां आकर फ्री कोचिंग ले रहे है । यहां कोचिंग लेने वाले सभी बच्चे यहां की पढ़ाई से काफी खुश है । इन बच्चों का भी सपना है कि वे एक काबिल और अच्छे इंसान बन पाएंगे ।


Conclusion:राजेश सरेआम अपनी कोचिंग में टीचिंग और लर्निंग के लिए नई ट्रिक भी ईजाद करते है । वे मेट्रो सिटी के कोचिंग सेंटर पर भी नजर रखते है जिससे कि वे भी अपने फ्री कोचिंग सेंटर को अपडेट रख सके ।

बाइट -- कीर्ति उइके ( छात्रा )
बाइट -- उदल धुर्वे ( छात्र )
बाइट -- संजू धोटे ( फैक्लटी )
बाइट -- राजेश सरेआम ( कोचिंग, संचालक )
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