बैतूल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को बस कुछ ही महीने बचे हैं. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां हर जोड़-तोड़ में लगी हुईं हैं. पक्ष-विपक्ष के सभी नेता एक-एक विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर जनता को साधने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते हैं. वहीं बात अगर बैतूल जिले के आमला सीट की करें तो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह विधानसभा 2008 के चुनाव के बाद से कांग्रेस के लिए सपना बनकर रह गई है. तीनों विधानसभा में यहां से भाजपा रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज करते आई है. हालांकि इस बार बीजेपी के लिए सीट आसान नहीं है.
विधानसभा चुनाव में बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. यहां से बीजेपी प्रत्याशी डॉ योगेश पंडाग्रे तो कांग्रेस प्रत्याशी मनोज मालवे हैं.
2008 से अब तक बीजेपी का रहा कब्जा: आमला विधानसभा क्षेत्र में 2008 के बाद से कांग्रेस को जीत ने स्वाद नहीं रखा है. 2008 के चुनाव में यहां से बीजेपी के चेतराम मानेकर को 51858 वोट मिले थे, तो वहीं कांग्रेस के किशोर बर्दे को 21312 वोटों से ही संतुष्ट होना पड़ा था. वहीं 2013 के चुनाव में फिर से बीजेपी ने चेतराम मानेकर को मैदान में उतारा और उन्होंने 77939 वोट लेकर कांग्रेस के बेले सुनीता को 39602 वोट से हराया था. 2018 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से अपना उम्मीदवार बदला और योगेश पंडाग्रे को मैदान में उतारा. योगेश पांडग्रे ने भी 73481 वोट लेकर मनोज मालवे को 19197 वोट से चुनाव हराया. बैतूल जिले की पांचों विधानसभा में से 2018 में चार में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी, लेकिन आमला में भाजपा ने अपना रिकॉर्ड कायम रखा था.
2 लाख से ज्यादा मतदाता करेंगे विधायक का फैसला: अमला विधानसभा 108258 पुरुष मतदाता तो वहीं 103940 महिला मतदाता और एक अन्य मतदाता है. इस तरह कुल 2 लाख 12199 मतदाता अभी तक लिस्टेड किए गए हैं. आमला विधानसभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी अब महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगी है. 2018 के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 15827 वोट ले लिया था. माना जाता है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी कांग्रेस का पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाती है. अगर यही वोट कांग्रेस के पक्ष में जाता तो बीजेपी के समीकरण गड़बड़ा सकते थे.
तीन बार सत्ता में रहने का झेलना पड़ सकता है खमियाज़ा: लगातार तीन विधानसभा चुनाव में आमला विधानसभा की जनता ने बीजेपी को भरपूर मौका दिया और रिकॉर्ड तोड़ वोटों से चुनाव भी जिताया, लेकिन अब लोगों का कहना ही की जिस उम्मीद के साथ भाजपा को लगातार मौका दिया. उस रफ्तार से विकास नहीं हुआ है. 2023 के चुनाव में इसका खामियाज़ा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि फिर से एक बार कांग्रेस की सरकार आएगी तो अब आमला में बदलाव आएगा. वहीं, बीजेपी क्षेत्र का विकास मध्य प्रदेश सरकार की योजनाएं और मोदी सरकार के कामों को गिनाकर फिर से जीत का दावा कर रही है.
सतपुड़ा थर्मल पावर स्टेशन यहां की है पहचान: अमला विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी पहचान सारणी में स्थित सतपुड़ा थर्मल पावर स्टेशन है, जो कोयला से बिजली बनाने का काम करता है. यहां की कोयला खदानों को वेस्टर्न कोर्ट फील्ड लिमिटेड संचालित करता है. जो कन्हान एरिया के नाम से पहचानी जाती है. इसलिए अधिकतर यहां पर चुनाव में निर्णायक भूमिका में WCL और सतपुड़ा थर्मल पावर के कर्मचारी निभाते हैं.