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एंबुलेंस की तलाश में बीमार प्रसूता काे झोली में डालकर लाए लोग, महिला की मौत - betul news

बैतूल के भंडारपानी गांव में महिला की डिलीवरी के बाद प्रसूता को अस्पताल ले जाने के लिए ग्रामीण उसे झोली में डालकर सड़क तक लाए थे, लेकिन उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली. जिसके चलते महिला की मौत हो गई.

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एंबुलेंस की तलाश में बीमार प्रसूता काे झोली में डालकर लाए लोग
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Published : Sep 11, 2020, 2:54 PM IST

बैतूल। घोड़ाडोंगरी ब्लॉक का भंडारपानी गांव 1800 फीट ऊपर पहाड़ी पर बसा है. यहां जाने के लिए रास्ता नहीं है. भंडारपानी की जग्गो बाई की डिलीवरी के तीन दिन पहले गांव में हुई थी. जहां उसने बेटी को जन्म दिया था. वहीं जग्गो बाई को डिलीवरी होने के बाद 9 सितंबर को दर्द हाे रहा था. जिसके बाद गांव के लाेग लकड़ी पर कपड़े की झोली बनाकर उसे कंधों पर 1800 फीट नीचे इमलीखेड़ा लेकर आए. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने दोपहर को 108 को फोन किया था. जिसके बाद भोपाल से सूचना मिली कि घोड़ाडोंगरी की एंबुलेंस ढाई घंटे बाद मिल पाएगी.

इसके बाद गांव के सरपंच साबू लाल, सचिव मालेकार सरकार ने प्राइवेट वाहन की व्यवस्था की और घोड़ाडोंगरी अस्पताल के लिए महिला व परिजनों को रवाना किया, लेकिन 10 किमी दूर रास्ते में प्रसूता महिला की मौत हो गई. परिजन महिला को लेकर वापस आ गए और कपड़े की झोली बनाकर महिला के शव को गांव ले गए, जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया.

श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेंद्र गढ़वाल ने कहा उन्होंने 108 पर एंबुलेंस के लिए फोन किया था, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई. पीड़िता एंबुलेंस का इंतजार करती रही. एंबुलेंस समय पर आ जाती तो शायद महिला की मौत नहीं होती. इस मौत का कौन जिम्मेदार है. अब तीन दिन की बच्ची को कौन संभालेगा. सरकार को पीड़ित परिवार को राहत राशि देना चाहिए. ताकि परिवार चल सके.

बैतूल। घोड़ाडोंगरी ब्लॉक का भंडारपानी गांव 1800 फीट ऊपर पहाड़ी पर बसा है. यहां जाने के लिए रास्ता नहीं है. भंडारपानी की जग्गो बाई की डिलीवरी के तीन दिन पहले गांव में हुई थी. जहां उसने बेटी को जन्म दिया था. वहीं जग्गो बाई को डिलीवरी होने के बाद 9 सितंबर को दर्द हाे रहा था. जिसके बाद गांव के लाेग लकड़ी पर कपड़े की झोली बनाकर उसे कंधों पर 1800 फीट नीचे इमलीखेड़ा लेकर आए. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने दोपहर को 108 को फोन किया था. जिसके बाद भोपाल से सूचना मिली कि घोड़ाडोंगरी की एंबुलेंस ढाई घंटे बाद मिल पाएगी.

इसके बाद गांव के सरपंच साबू लाल, सचिव मालेकार सरकार ने प्राइवेट वाहन की व्यवस्था की और घोड़ाडोंगरी अस्पताल के लिए महिला व परिजनों को रवाना किया, लेकिन 10 किमी दूर रास्ते में प्रसूता महिला की मौत हो गई. परिजन महिला को लेकर वापस आ गए और कपड़े की झोली बनाकर महिला के शव को गांव ले गए, जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया.

श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेंद्र गढ़वाल ने कहा उन्होंने 108 पर एंबुलेंस के लिए फोन किया था, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई. पीड़िता एंबुलेंस का इंतजार करती रही. एंबुलेंस समय पर आ जाती तो शायद महिला की मौत नहीं होती. इस मौत का कौन जिम्मेदार है. अब तीन दिन की बच्ची को कौन संभालेगा. सरकार को पीड़ित परिवार को राहत राशि देना चाहिए. ताकि परिवार चल सके.

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