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बैतूल: पर्यावरण को बचाने के लिए गंगा अवतरण अभियान, पहाड़ों पर पौधारोपण

पर्यावरण के साथ-साथ जल को संरक्षित रखने के लिए शहर की एक पहाड़ी पर बीते तीन सालों से भारत भारती शिक्षा समिति के द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है. जिसे गंगा अवतरण नाम दिया गया है.

पर्यावरण को बचाने के लिए गंगा अवतरण अभियान
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Published : Jun 9, 2019, 7:57 PM IST

बैतूल। पर्यावरण के साथ-साथ जल को संरक्षित रखने के लिए शहर की एक पहाड़ी पर बीते तीन सालों से भारत भारती शिक्षा समिति के द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है. जिसे गंगा अवतरण नाम दिया गया है. यह अभियान प्रत्येक रविवार को चलाया जाता है जिसमें सैकड़ों लोग सुबह पहाड़ी पर पौधरोपण करते हैं.

पर्यावरण को बचाने के लिए गंगा अवतरण अभियान


शहर से पांच किलोमीटर दूर सोनाघाटी की पहाड़ी पर हर रविवार को लोग केवल एक उद्देश्य के लिए जमा होते हैं और वो है पर्यावरण को किसी भी हाल में बचाना. एक समय में हरी भरी दिखने वाली सोनाघाटी की पहाड़ी बैतूल-नागपुर फोर लेन बनने के बाद उजड़ चुकी थी. रोड बनाने के दौरान सैकड़ों पेड़ काट दिए गए थे. उसके बाद भारत भारती शिक्षा समिति ने तीन साल पहले एक मुहिम गंगा अवतरण शुरू किया जिसमें बारिश का पानी रोकने के साथ-साथ पौधारोपण भी किया जा रहा है.
भारत भारती शिक्षा समिति के मोहन नागर ने बताया कि उनकी समिति ने जनसहयोग से सोनाघाटी की पहाड़ी पर लगभग दो हजार पांच सौ खंतीया खोदी जा चुकी हैं. इस पहाड़ी पर अभी तक दो हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए जा चुके हैं. अब आगे बैतूल शहर के आस पास की अन्य पहाड़ियों पर 10 हजार पेड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. इस अभियान का उद्देश्य भविष्य में लोगों को जल संकट से बचाना है.

बैतूल। पर्यावरण के साथ-साथ जल को संरक्षित रखने के लिए शहर की एक पहाड़ी पर बीते तीन सालों से भारत भारती शिक्षा समिति के द्वारा एक अभियान चलाया जा रहा है. जिसे गंगा अवतरण नाम दिया गया है. यह अभियान प्रत्येक रविवार को चलाया जाता है जिसमें सैकड़ों लोग सुबह पहाड़ी पर पौधरोपण करते हैं.

पर्यावरण को बचाने के लिए गंगा अवतरण अभियान


शहर से पांच किलोमीटर दूर सोनाघाटी की पहाड़ी पर हर रविवार को लोग केवल एक उद्देश्य के लिए जमा होते हैं और वो है पर्यावरण को किसी भी हाल में बचाना. एक समय में हरी भरी दिखने वाली सोनाघाटी की पहाड़ी बैतूल-नागपुर फोर लेन बनने के बाद उजड़ चुकी थी. रोड बनाने के दौरान सैकड़ों पेड़ काट दिए गए थे. उसके बाद भारत भारती शिक्षा समिति ने तीन साल पहले एक मुहिम गंगा अवतरण शुरू किया जिसमें बारिश का पानी रोकने के साथ-साथ पौधारोपण भी किया जा रहा है.
भारत भारती शिक्षा समिति के मोहन नागर ने बताया कि उनकी समिति ने जनसहयोग से सोनाघाटी की पहाड़ी पर लगभग दो हजार पांच सौ खंतीया खोदी जा चुकी हैं. इस पहाड़ी पर अभी तक दो हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए जा चुके हैं. अब आगे बैतूल शहर के आस पास की अन्य पहाड़ियों पर 10 हजार पेड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. इस अभियान का उद्देश्य भविष्य में लोगों को जल संकट से बचाना है.

Intro:बैतूल ।।

पर्यावरण के साथ साथ जल को संरक्षित रखने के लिए शहर की एक पहाड़ी पर बीते तीन सालों से एक अभियान चलाया जा रहा है । इस अभियान को गंगा अवतरण नाम दिया गया है । यह अभियान प्रत्येक रविवार को चलाया जाता है जिसमे सैकड़ो लोग सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक पहाड़ी पर खंतीया खोदने के साथ साथ पौधरोपण भी करते है । यह अभियान भारत भारती शिक्षा समिति के द्वारा लगातार चलाया जा रहा है । बंजर पड़ी यह पहाड़ी आज हरि भारी दिखाना शुरू हो चुकी है ।


Body:बैतूल शहर से 5 किलोमीटर दूर सोनाघाटी की पर हर रविवार केवल एक उद्देश्य के लिए जमा होते है और वो है पर्यावरण को किसी भी हाल में बचना । एक समय मे हरि भरी दिखने वाली सोनाघाटी की पहाड़ी बैतूल नागपुर फोर लेन बनने के बाद उजाड़ हो चुकी थी । रोड बनाने के दौरान सैकड़ो पेड़ काट दिए गए थे जिसके बाद से देखने में आ रहा है कि शहर का तापमान साल दर साल बढ़ता जा रहा है । जिसके बाद भारत भारती शिक्षा समिति ने 3 साल पहले एक मुहिम शुरू की गंगा अवतरण जिसमे बारिश का पानी रोकने के साथ साथ पौध रोपण भी किया जा रा है ।

भारत भारती शिक्षा समिति के मोहन नागर ने बताया कि जिस प्रकार पुराने काल मे भगीरथ ने माँ गंगा का अवतरण पृथ्वी पर करवाया था उसी प्रकार का यह अभियान है । उनकी समिति ने जनसहयोग से सोनाघाटी की पहाड़ी पर 30 एकड़ में 2,500 खंतीया खुद चुकी है और अभी 300 खंतीया खोदने का लक्ष्य रखा गया है । इस पहाड़ी पर अभी तक 2,000 से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए जा चुके है । अब आगे बैतूल शहर के आस पास की अन्य पहाड़ियों पर 10 हजार पेड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है ।

गंगा अवतरण अभियान में बड़े बूढ़ो से लेकर बच्चे शामिल होते है वे सब बिगड़ते पर्यावरण से चिंतित है इस लिए सोनाघाटी पहुचकर पर्यावरण के साथ साथ व्रक्षारोपन करने पहुचते है । यह श्रमदान करने वाले बताते है कि उन्हें अपने भविष्य की चिंता है इस लिए वे बारिश का पानी रोकने और पेड़ पौधे लगाने के साथ उनकी देखभाल भी करते है ।



Conclusion:भारत भारती शिक्षा समिति के इस अभियान की जितनी प्रशंसा की जाए कम है क्योंकि जल संरक्षण के साथ साथ पौधरोपण भी कर रही है और बाकायदा साल भर इस पहाड़ी की देख रेख भी की जा रही है ।

बाइट -- रोशन वगद्रे ( छात्र )
बाइट -- कीर्ति साहू ( टीचर )
बाइट -- मोहन नागर ( भारत भारती शिक्षा समिति )
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