बैतूल। लॉकडाउन लागू होने के बाद जंगल और पहाड़ों पर रहने वाले ग्रामीण बहुत परेशान हैं उनके सामने खाने-पीने की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. इनके लिए वन विभाग मसीहा बन कर सामने आया. बैतूल में कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे कर्मवीरों के अलग-अलग तरीके से काम करने वाले नजारे देखने को मिल रहे हैं. इन कर्मवीरों की सेवा भावना देख कर हर कोई सराहना कर रहा है, ऐसा ही नजारा बैतूल के भौरा रेंज का सामने आया है, जिसमें वन कर्मी सिर और कंधे पर राशन लेकर पहाड़ी पर चढ़ते नजर आ रहे हैं.
बैतूल से सौ किमी दूर भोंडीयाकाप जो कि भौरा रेंज में आता है और ये गांव चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा है. गांव पहुंचने के लिए पांच किमी का दुर्गम पहाड़ी रास्ता है जो उतार चढ़ाव वाला है, इस गांव में 50 आदिवासी परिवार निवास करते हैं. लॉकडाउन के दौरान इन्हें खाने-पीने की हो रही दिक्कतों को देखकर भौरा रेंज के रेंजर धरमपुरी गोस्वामी अपनी टीम के साथ राशन लेकर पैदल तेज़ चिलचिलाती धूप में निकल पड़े.
वन विभाग ने प्रत्येक परिवार को निशुल्क भोजन सामग्री दी गई जिसमें 1 किलो तुअर दाल, 1 किलो शक्कर, 1 लीटर सोया तेल, 250 ग्राम चायपत्ती, 1 पैकेट नमक, 2 साबुन, 1.5 किलो प्याज, 100 ग्राम मिर्ची, 100 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम धनिया पॉवडर दिया गया। इसके साथ ही प्रत्येक परिवारों को मास्क, सेनिटाइजर और साबुन भी वितरित किये गए.
सभी ग्रामीणों को कोरोना महामारी में सोशल डिस्टेसिंग एवं मास्क लगाकर रखने तथा किसी नये व्यक्ति को ग्राम में प्रवेश होने पर पुलिस एवं वन विभाग को बताने के लिए समझाइश दी गयी. एसडीओ फारेस्ट एनके शर्मा का कहना है कि लॉकडाउन लागू होने के बाद वन ग्राम और दूरस्थ ग्रामों से सूचना आ रही थी कि ग्रामीणों के पास खाने-पीने का राशन नहीं है, इसी को लेकर भोंडीयाकांप गांव में जो दुर्गम पहाड़ी रास्तों से जाना पड़ता है, वहां वनकर्मी सिर और कंधे पर रखकर राशन ले गए और 50 परिवारों को राशन वितरित किया.