नई दिल्ली/जबलपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में पदस्थ और इस्तीफा देने वाली एसडीएम निशा बांगरे के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. निशा बांगरे की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा और उनके पुत्र वरुण तन्खा ने पैरवी की. दरअसल, निशा बांगरे नौकरी से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहती हैं लेकिन उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया जा रहा है. राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि उनके खिलाफ एक जांच बाकी है और जब तक वह जांच पूरी नहीं हो जाती, उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया जाएगा.
चुनाव लड़ने की तैयारी : निशा बांगरे ने इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की शरण ली थी. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश की डबल बेंच ने निशा बांगरे के मामले को सुना और राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह तुरंत जांच पूरी करके इस्तीफा मंजूर करें लेकिन राज्य सरकार ने इस मामले में समय की मांग की थी. राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है और जांच में समय लगेगा. वहीं दूसरी तरफ इन दिनों चुनावी माहौल चल रहा है और चुनाव भी बहुत नजदीक आ गया है. 17 नवंबर को वोट डाले जाने हैं. ऐसी स्थिति में यदि निशा बांगरे का इस्तीफा तुरंत मंजूर नहीं किया जाता तो वह चुनाव में कैसे लड़ पाएंगी. इसलिए कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में रखा.
हाई कोर्ट को मामला निपटाने का निर्देश : सुप्रीम कोर्ट में विवेक तन्खा ने अपनी बात रखते हुए निशा बांगरे के इस्तीफा को तुरंत मंजूर करने की बात कही. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में कोई फैसला देने की बजाय दोबारा हाईकोर्ट के लिए आदेशित कर दिया. अब एक बार फिर इस मामले को हाई कोर्ट के सामने रखा जाएगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले को तुरंत सुना जाए और इस पर फैसला दिया जाए. निशा बांगरे बीते लगभग 1 साल से इस्तीफा देने की कोशिश कर रही हैं. निशा बांगरे ने इस मामले में पैदल यात्रा भी की और काफी हंगामा भी हुआ लेकिन इसके बाद भी चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं मिल पा रही है.