बैतूल। मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी को खपत के अनुरूप कोयला नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते कोयले का स्टॉक घटकर 3 लाख मीट्रिक टन से भी नीचे पहुंच गया है. बीरसिंहपुर, अमरकंटक और श्रीसिंगाजी पॉवर प्लांट एवं घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी में कुल 2 लाख 99 हजार 100 मीट्रिक टन के आसपास कोयला बचा है. सबसे कम स्टॉक अमरकंटक पॉवर प्लांट में 11500 मीट्रिक टन बचा है. इसी तरह सतपुड़ा पॉवर प्लांट में 21 हजार मीट्रिक टन स्टॉक है, जहां रोजाना खपत 6 से 7 हजार मीट्रिक टन है, जबकि आपूर्ति 4500 से 5500 मीट्रिक टन के आसपास रहता है.
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लोकल कोयले पर निर्भर पॉवर प्लांट
घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी में 7 दिसंबर से अब तक कोयले की रैक नहीं (Coal shortage in Madhya Pradesh Power generation company) आई है, जिसके चलते पूरी तरह से लोकल कोयले की आपूर्ति पर निर्भर है. बीरसिंहपुर पॉवर प्लांट में भी कोई खास स्टॉक नहीं बचा है, यहां 85 हजार मीट्रिक टन और सिंगाजी में 1 लाख 83 हजार मीट्रिक टन कोयला बचा है. जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी में रोजाना खपत करीब 50 हजार मीट्रिक टन है, जबकि आपूर्ति 40 से 45 हजार मीट्रिक टन ही है. यही वजह है कि स्टॉक घटता ही जा रहा है.
70 फीसदी कम मिला कोयला
मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी में गहराते कोयला संकट पर जिम्मेदार अधिकारी भी खामोश हैं. बीते दिनों सारनी पहुंचे प्रमुख सचिव उर्जा ने भी मीडिया से कोई बात नहीं की. रबी के सीजन में मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी द्वारा 10 लाख मीट्रिक टन से अधिक स्टॉक (MP Power generation company is getting 70 percent less coal) रखा जाता था, लेकिन इस साल रबी के सीजन में कंपनी के पास महज 3 लाख ही मीट्रिक टन कोयला है.
इस साल बन सकता है रिकार्ड
मध्यप्रदेश में 24 दिसंबर 2021 को सर्वाधिक बिजली की मांग दर्ज हुई थी, इस दिन 15 हजार 692 मेगावाट बिजली की डिमांड हुई थी, इसके बाद मौसम बदला और बारिश होने के चलते डिमांड घट गई. एक बार फिर 14 हजार मेगावाट के करीब बिजली की मांग पहुंचने से अनुमान लगाया जा रहा है कि जनवरी माह में नया रिकॉर्ड दर्ज हो सकता है. सारनी प्लांट के चीफ इंजीनियर आरके गुप्ता का कहना है कि जितना लग रहा है, उतना कोयला मिल रहा है. पॉवर हाउस चलना बाधित नहीं हो, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. 21 हजार मीट्रिक टन कोयला स्टॉक है.