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पावर प्लांट में गहराया 'कोयले का संकट', दस दिनों का भंडारण शेष

पावर प्लांट इन दिनों कोयले के संकट से गुजर रहे है. बिजली घरों में कुल भंडारण 4 लाख 82 हजार मीट्रिक टन बचा है. जबकि रोजाना खपत 48 हजार मीट्रिक टन के आसपास है.हालत यह है कि क्रिटिकल कोल स्टॉक के चलते घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा थर्मल पावर प्लांट सारनी की 410 मेगावाट क्षमता की 6 और 7 नंबर इकाई को बंद करना पड़ा.

'Coal crisis' deepens in power plant
पावर प्लांट में गहराया 'कोयले का संकट'
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Published : Mar 21, 2021, 12:21 AM IST

बैतूल। प्रदेश के पावर प्लांट में कोयला संकट गहराने लगा है. मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के चारों पावर प्लांट में कुल भंडारण 4 लाख 82 हजार मीट्रिक टन बचा है. जबकि रोजाना खपत 48 हजार मीट्रिक टन के आसपास है. ऐसे में मौजूदा स्टॉक सिर्फ दस दिन बिजली उत्पादन में ही सहायक है. हालत यह है कि क्रिटिकल कोल स्टॉक के चलते घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा थर्मल पावर प्लांट सारनी की 410 मेगावाट क्षमता की 6 और 7 नंबर इकाई को बंद करना पड़ा.

  • सभी जगह गड़बड़ाया कोयले का गणीत

सतपुड़ा के जानकार बताते हैं कि कोयले का भंडारण इतना कम हो गया था, कि श्री सिंगाजी पावर प्लांट खंडवा को आपूर्ति होने वाले कोयले की 15 रैक घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पावर प्लांट सारनी डायवर्ट की गई. इसके बाद भंडारण बढ़कर 1 लाख 28 हजार मीट्रिक टन पर पहुंचा. सिंगाजी प्लांट का कोयला सारनी डायवर्ट होने से सिंगाजी पावर प्लांट में भी भंडारण लडखड़ा गया. यहां मौजूदा स्थिति में 1 लाख 48 हजार मीट्रिक टन ही भंडारण है. ऐसी ही स्थिति बिरसिंहपुर प्लांट की भी है. यहां सर्वाधिक 1 लाख 57 हजार मीट्रिक टन कोयला है. जबकि अमरकंटक में 49 हजार मीट्रिक टन कोल स्टॉक है.

  • प्रदेश के बिजली घरों पर एक नजर
पावर प्लांटक्षमता उत्पादन कोल स्टॉक
सतपुड़ा 1330 493 1,28,000
अमरकंटक210 213 49,000
बिरसिंहपुर 1340 1190 1,57,000
श्री सिंगाजी 2520 902 1,48,000

(नोट :- बिजली उत्पादन और क्षमता मेगावाट और कोल स्टॉक मीट्रिक टन में हैं.)

  • पावर प्लांट पर 700 करोड़ रुपए का कर्ज

5400 मेगावाट क्षमता के बिजली घरों में कोयला संकट गहराने से मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के आलाअफसरों की मुश्किलें भी बढ़ गई है. श्री सिंगाजी पावर प्लांट खंडवा और घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पावर प्लांट सारनी पर डब्ल्यूसीएल का 700 करोड़ रुपए भुगतान बाकी है. जेनको में कोयला संकट गहराने की एक वजह भुगतान शेष रहना भी है. हालांकि इस विषय में मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अफसर खुलकर नहीं कह पा रहे. फिलहाल मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के चारों बिजली घरों से 3 हजार मेगावाट के आसपास बिजली उत्पादन हो रहा है. जो कि क्षमता से करीब 2400 मेगावाट कम है. गौरतलब है कि प्रदेश के चारों बिजली घरों में 16 इकाइयां है. इसमें से 6 इकाइयां बंद है. जिसमें सतपुड़ा की 830 मेगावाट क्षमता की 4 और सिंगाजी पॉवर प्लांट की 1320 मेगावाट की 2 इकाइयां शामिल है.

मौसम साफ होते ही प्रदेश में बढ़ी बिजली की मांग, 11 हजार मेगावाट पहुंची डिमांड

  • यह इकाइयां है बंद

घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा ताप गृह सारनी की 200 और 210 मेगावाट की 6 और 7 नंबर इकाई 10 मार्च से बंद है. 210 मेगावाट की 8 नंबर इकाई 29 और इतनी ही क्षमता की 9 नंबर इकाई 22 फरवरी 2020 से बंद है. श्री सिंगाजी पावर प्लांट खंडवा की 660 मेगावाट की 3 नंबर इकाई 5 अगस्त 2020 और इतनी ही क्षमता की 4 नंबर इकाई 22 सितंबर 2020 से बंद है. इन 6 इकाइयों के लगातार बंद रहने से मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी का बिजली उत्पदन प्रभावित होने के साथ-साथ कंपनी को खासा नुकसान भी हुआ है.

  • संडे और मंडे आपूर्ति हो जाती है आधी

सतपुड़ा ताप गृह सारनी के चीफ इंजीनियर सरज चौहान का कहना है कि खपत के अनुरूप कोयला नहीं मिल रहा. स्थिति चिंताजनक बनी है. दो इकाइयों को क्रिटिकल कोल के चलते बंद की है. कोल कंपनी को खंडवा और सारनी का करीब 700 करोड़ रुपए भुगतान करना शेष है. मोहन कॉलरी और पाथाखेड़ा क्षेत्र से 4 हजार मीट्रिक टन के आसपास कोयला रोजाना मिल रहा है. संडे और मंडे आपूर्ति आधी हो जाती है.

बैतूल। प्रदेश के पावर प्लांट में कोयला संकट गहराने लगा है. मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के चारों पावर प्लांट में कुल भंडारण 4 लाख 82 हजार मीट्रिक टन बचा है. जबकि रोजाना खपत 48 हजार मीट्रिक टन के आसपास है. ऐसे में मौजूदा स्टॉक सिर्फ दस दिन बिजली उत्पादन में ही सहायक है. हालत यह है कि क्रिटिकल कोल स्टॉक के चलते घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा थर्मल पावर प्लांट सारनी की 410 मेगावाट क्षमता की 6 और 7 नंबर इकाई को बंद करना पड़ा.

  • सभी जगह गड़बड़ाया कोयले का गणीत

सतपुड़ा के जानकार बताते हैं कि कोयले का भंडारण इतना कम हो गया था, कि श्री सिंगाजी पावर प्लांट खंडवा को आपूर्ति होने वाले कोयले की 15 रैक घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पावर प्लांट सारनी डायवर्ट की गई. इसके बाद भंडारण बढ़कर 1 लाख 28 हजार मीट्रिक टन पर पहुंचा. सिंगाजी प्लांट का कोयला सारनी डायवर्ट होने से सिंगाजी पावर प्लांट में भी भंडारण लडखड़ा गया. यहां मौजूदा स्थिति में 1 लाख 48 हजार मीट्रिक टन ही भंडारण है. ऐसी ही स्थिति बिरसिंहपुर प्लांट की भी है. यहां सर्वाधिक 1 लाख 57 हजार मीट्रिक टन कोयला है. जबकि अमरकंटक में 49 हजार मीट्रिक टन कोल स्टॉक है.

  • प्रदेश के बिजली घरों पर एक नजर
पावर प्लांटक्षमता उत्पादन कोल स्टॉक
सतपुड़ा 1330 493 1,28,000
अमरकंटक210 213 49,000
बिरसिंहपुर 1340 1190 1,57,000
श्री सिंगाजी 2520 902 1,48,000

(नोट :- बिजली उत्पादन और क्षमता मेगावाट और कोल स्टॉक मीट्रिक टन में हैं.)

  • पावर प्लांट पर 700 करोड़ रुपए का कर्ज

5400 मेगावाट क्षमता के बिजली घरों में कोयला संकट गहराने से मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के आलाअफसरों की मुश्किलें भी बढ़ गई है. श्री सिंगाजी पावर प्लांट खंडवा और घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पावर प्लांट सारनी पर डब्ल्यूसीएल का 700 करोड़ रुपए भुगतान बाकी है. जेनको में कोयला संकट गहराने की एक वजह भुगतान शेष रहना भी है. हालांकि इस विषय में मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अफसर खुलकर नहीं कह पा रहे. फिलहाल मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के चारों बिजली घरों से 3 हजार मेगावाट के आसपास बिजली उत्पादन हो रहा है. जो कि क्षमता से करीब 2400 मेगावाट कम है. गौरतलब है कि प्रदेश के चारों बिजली घरों में 16 इकाइयां है. इसमें से 6 इकाइयां बंद है. जिसमें सतपुड़ा की 830 मेगावाट क्षमता की 4 और सिंगाजी पॉवर प्लांट की 1320 मेगावाट की 2 इकाइयां शामिल है.

मौसम साफ होते ही प्रदेश में बढ़ी बिजली की मांग, 11 हजार मेगावाट पहुंची डिमांड

  • यह इकाइयां है बंद

घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा ताप गृह सारनी की 200 और 210 मेगावाट की 6 और 7 नंबर इकाई 10 मार्च से बंद है. 210 मेगावाट की 8 नंबर इकाई 29 और इतनी ही क्षमता की 9 नंबर इकाई 22 फरवरी 2020 से बंद है. श्री सिंगाजी पावर प्लांट खंडवा की 660 मेगावाट की 3 नंबर इकाई 5 अगस्त 2020 और इतनी ही क्षमता की 4 नंबर इकाई 22 सितंबर 2020 से बंद है. इन 6 इकाइयों के लगातार बंद रहने से मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी का बिजली उत्पदन प्रभावित होने के साथ-साथ कंपनी को खासा नुकसान भी हुआ है.

  • संडे और मंडे आपूर्ति हो जाती है आधी

सतपुड़ा ताप गृह सारनी के चीफ इंजीनियर सरज चौहान का कहना है कि खपत के अनुरूप कोयला नहीं मिल रहा. स्थिति चिंताजनक बनी है. दो इकाइयों को क्रिटिकल कोल के चलते बंद की है. कोल कंपनी को खंडवा और सारनी का करीब 700 करोड़ रुपए भुगतान करना शेष है. मोहन कॉलरी और पाथाखेड़ा क्षेत्र से 4 हजार मीट्रिक टन के आसपास कोयला रोजाना मिल रहा है. संडे और मंडे आपूर्ति आधी हो जाती है.

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