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नाबालिग का हो रहा था बाल विवाह, थाना प्रभारी ने रुकवाई शादी

चोपना थाना प्रभारी ने नाबालिग के घर पहुंचकर उसकी शादी रुकवाई. साथ ही परिजनों को समझाइश देते हुए आगे आने वाली परेशानियों से अवगत भी कराया. पढ़िए पूरी खबर...

Station in-charge stopped child marriage IN BETUL
थाना प्रभारी ने रुकवाया बाल विवाह
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Published : Jun 14, 2020, 1:52 PM IST

बैतूल। जिले के घोड़ा डोंगरी ब्लॉक के चोपना थाना क्षेत्र में थाना प्रभारी गोविंद सिंह की सजगता से एक नाबालिग लड़की विवाह सूत्र में बंधने से बच गई. राजपूत ने बालिका के परिवारजनों को समझाइश दी, साथ ही बताया कि कम उम्र में लड़कियों का विवाह करने से बच्चियों के जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता है. उन्होंने परिवार के लोगों को समझाया कि कम उम्र में विवाह से ऐसी लड़कियों को जीवन भर शारीरिक रुप से परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.

नाबालिग का हो रहा था बाल विवाह

शनिवार को थाना प्रभारी और पुलिस कर्मियों ने परिजनों को बतलाया कि बाल विवाह कानूनन अपराध भी है. इसमें विवाह कराने वालों को जेल जाना पड़ सकता है. मामला पुनर्वास क्षेत्र चोपना के ग्राम रानीढाना ( गोलाई खुर्द) ग्राम पंचायत हीरापुर का है, जहां शर्मिला परते की शादी गोलू भलावी ग्राम चिखली पाढर से हो रही थी.

पुलिस को सूचना मिली कि शर्मिला नाबालिग है, सूचना पर थाना प्रभारी चोपना गोविंद सिंह राजपूत तत्काल मौके पर पहुंचे और शर्मिला के जन्म संबंधी दस्तावेज चेक किए, जिसमें शर्मिला की उम्र 17 साल 2 माह होना पाया गया. जिसके बाद महिला बाल विकास अधिकारी को सूचना दी गई, वहीं मौके पर ग्राम पटवारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित हुए और विवाह को रूकवाया गया. थाना प्रभारी ने माता पिता और समाज के लोगों को समझाइश दी.

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 के अनुसार, अगर कोई अठारह साल से अधिक आयु का वयस्क पुरुष बाल-विवाह करता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, साथ ही उनके परिवार वाले खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाएगा.

इस अधिनियम के अंतर्गत दो साल की जेल या एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है. बता दें कि ये बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे समाज में बाल विवाह को रोकने के लिए लागू किया गया है.

बैतूल। जिले के घोड़ा डोंगरी ब्लॉक के चोपना थाना क्षेत्र में थाना प्रभारी गोविंद सिंह की सजगता से एक नाबालिग लड़की विवाह सूत्र में बंधने से बच गई. राजपूत ने बालिका के परिवारजनों को समझाइश दी, साथ ही बताया कि कम उम्र में लड़कियों का विवाह करने से बच्चियों के जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता है. उन्होंने परिवार के लोगों को समझाया कि कम उम्र में विवाह से ऐसी लड़कियों को जीवन भर शारीरिक रुप से परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.

नाबालिग का हो रहा था बाल विवाह

शनिवार को थाना प्रभारी और पुलिस कर्मियों ने परिजनों को बतलाया कि बाल विवाह कानूनन अपराध भी है. इसमें विवाह कराने वालों को जेल जाना पड़ सकता है. मामला पुनर्वास क्षेत्र चोपना के ग्राम रानीढाना ( गोलाई खुर्द) ग्राम पंचायत हीरापुर का है, जहां शर्मिला परते की शादी गोलू भलावी ग्राम चिखली पाढर से हो रही थी.

पुलिस को सूचना मिली कि शर्मिला नाबालिग है, सूचना पर थाना प्रभारी चोपना गोविंद सिंह राजपूत तत्काल मौके पर पहुंचे और शर्मिला के जन्म संबंधी दस्तावेज चेक किए, जिसमें शर्मिला की उम्र 17 साल 2 माह होना पाया गया. जिसके बाद महिला बाल विकास अधिकारी को सूचना दी गई, वहीं मौके पर ग्राम पटवारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित हुए और विवाह को रूकवाया गया. थाना प्रभारी ने माता पिता और समाज के लोगों को समझाइश दी.

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9 के अनुसार, अगर कोई अठारह साल से अधिक आयु का वयस्क पुरुष बाल-विवाह करता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, साथ ही उनके परिवार वाले खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाएगा.

इस अधिनियम के अंतर्गत दो साल की जेल या एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है. बता दें कि ये बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 भारत सरकार का एक अधिनियम है, जिसे समाज में बाल विवाह को रोकने के लिए लागू किया गया है.

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