बैतूल। जिले की जन्म से नेत्रहीन टीचर सरकारी स्कूल में ब्रेल लिपि के सहारे सैकड़ों बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की अलख जगा रही हैं. लीला सोनी ने पिछले तीन साल में एक भी दिन की छुट्टी नहीं ली. स्कूल के बच्चे और पूरा शिक्षा विभाग लीला सोनी जैसी कर्मठ टीचर पर ना केवल गर्व करता है. बल्कि उनसे जीवन को सरल बनाने की सीख भी लेता है. (Betul Blind Teacher) (Betul leela madam) (Betul Braille script)
खेलकूद गतिविधियों में होती हैं शामिल: ईश्वर को अपनी प्रेरणा मानने वाली लीला सोनी ना केवल बच्चों को पढाती हैं. बल्कि उनके साथ खेलकूद जैसी गतिविधियों में भी शामिल होती हैं. स्कूल जाने से पहले वो रोजाना बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद तैयारी करती हैं. जिससे बच्चों को विषय समझने में कोई दिक्कत ना आए. बैतूल से चांदबेहड़ा तक वो अपने बेटे के साथ आना जाना करती हैं.
मुश्किल हुई आसान: लीला सोनी के बेटे का कहना है कि, जब मां ने टीचर बनने का फैसला किया तो पूरे परिवार को ये चिंता थी कि वो सामान्य बच्चों को कैसे पढा सकेंगी, लेकिन लीला सोनी ने हर मुश्किल को आसान करके दिखाया जिससे आज उनका पूरा परिवार उनके हर कदम पर उनके साथ खड़ा है. बैतूल में पूरा शिक्षा विभाग लीला सोनी की मेहनत का कायल है.
ब्रेल लिपि के बिना 150 बच्चों को पढ़ाते हैं नेत्रहीन शिक्षक, फैला रहे शिक्षा की रोशनी
शिक्षित समाज का निर्माण: अधिकारियों के मुताबिक कोरोनाकाल में सरकार ने दिव्यांग शिक्षकों को छुट्टी लेने का विकल्प दिया था, लेकिन लीला सोनी ने एक भी छुट्टी नहीं ली. वह रोजाना गांव मे घर घर जाकर मुहल्ला क्लास के माध्यम से बच्चों को पढ़ाती थी. ये अपने आप में एक बड़ी प्रेरणा है. पूरा शिक्षा जगत और हर पीढ़ी के नौनिहाल लीला सोनी जैसे शिक्षकों को नमन करता है. जो अपनी जिंदगी के सारे अंधकारों को भूलकर एक शिक्षित समाज का निर्माण करने में अपना बहुमूल्य योगदान दे रही हैं.(Betul Blind Teacher) (Betul leela madam) (Betul Braille script)