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कबाड़ में तब्दील हो रही है 'स्कूल चले हम' अभियान की हजारों साइकलें, मीलों पैदल चलने को मजबूर छात्र - बैतूल

बैतूल के स्कूल में हजारों साइकलें कबाड़ में तब्दील हो गई, लेकिन छात्रों को उनका वितरण नहीं किया गया. बच्चे साइकल की जगह पैदल स्कूल आने को मजबूर हैं.

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Published : Jul 9, 2019, 7:24 PM IST

बैतूल। 'स्कूल चले हम' अभियान के तहत छात्रों के साइकिलों का वितरण किया जाना था. हजारों साइकलें कबाड़ में तब्दील हो गई, लेकिन छात्रों को उनका वितरण नहीं किया गया. बच्चे साइकल की जगह पैदल स्कूल आने को मजबूर हैं. क्योंकि स्कूल प्रबंधन ने साइकल वितरण करने के बजाए उन्हें बारिश में कबाड़ बनाकर रख दिया है. जिसके चलते बच्चे मीलों दूर से पैदल स्कूल आते हैं. वहीं जब बच्चे साइकल की मांग करते हैं तो जिम्मेदार उन्हें हर दिन नया बहाना बनाकर टाल देते हैं.

कबाड़ में पड़ी हजारों साइकल

बारिश में मीलों दूर पैदल आने वाले ये बच्चे रोज़ाना देर से स्कूल पहुंचते हैं. वहीं बारिश में बच्चों की ड्रेस भी खराब हो जाते हैं. पिछले दिनों जिले के प्रभारी मंत्री कमलेश्वर पटेल ने स्कूल चले हम अभियान का शुभारंभ किया था. साथ ही स्कूली बच्चों को साइकल वितरण भी की. लेकिन सरकारी आयोजन की औपचारिकता पूरी करके शिक्षा विभाग ने सारी साइकलें वापस रख दी.



वहीं जब मामला उजागर हुआ, तो अधिकारियों ने तुरंत साइकलों का वितरण करने की बात कही. बैतूल के 80 फीसदी इलाकों में बच्चे दूरदराज से पैदल या बस से स्कूल आते हैं. बच्चों द्वारा साइकल मांगे जाने पर स्कूल प्रबंधन रोज नए बहाने बनाता हैं.

बैतूल। 'स्कूल चले हम' अभियान के तहत छात्रों के साइकिलों का वितरण किया जाना था. हजारों साइकलें कबाड़ में तब्दील हो गई, लेकिन छात्रों को उनका वितरण नहीं किया गया. बच्चे साइकल की जगह पैदल स्कूल आने को मजबूर हैं. क्योंकि स्कूल प्रबंधन ने साइकल वितरण करने के बजाए उन्हें बारिश में कबाड़ बनाकर रख दिया है. जिसके चलते बच्चे मीलों दूर से पैदल स्कूल आते हैं. वहीं जब बच्चे साइकल की मांग करते हैं तो जिम्मेदार उन्हें हर दिन नया बहाना बनाकर टाल देते हैं.

कबाड़ में पड़ी हजारों साइकल

बारिश में मीलों दूर पैदल आने वाले ये बच्चे रोज़ाना देर से स्कूल पहुंचते हैं. वहीं बारिश में बच्चों की ड्रेस भी खराब हो जाते हैं. पिछले दिनों जिले के प्रभारी मंत्री कमलेश्वर पटेल ने स्कूल चले हम अभियान का शुभारंभ किया था. साथ ही स्कूली बच्चों को साइकल वितरण भी की. लेकिन सरकारी आयोजन की औपचारिकता पूरी करके शिक्षा विभाग ने सारी साइकलें वापस रख दी.



वहीं जब मामला उजागर हुआ, तो अधिकारियों ने तुरंत साइकलों का वितरण करने की बात कही. बैतूल के 80 फीसदी इलाकों में बच्चे दूरदराज से पैदल या बस से स्कूल आते हैं. बच्चों द्वारा साइकल मांगे जाने पर स्कूल प्रबंधन रोज नए बहाने बनाता हैं.

Intro:बैतूल।।

स्कूल चले हम अभियान की साइकल वितरण योजना बैतूल में जरा हटकर लागू की गई है । हज़ारों साइकलें बारिश में कबाड़ बन रहीं हैं और जिन बच्चों को साइकलें मिलनी थी वो मीलों दूर बारिश में भीगते हुए पैदल स्कूल पहुंच रहे हैं । देखिए आखिर कैसे स्कूल शिक्षा विभाग सरकारी पैसों पर जंग लगा रहा है। तेज़ बारिश में मीलों दूर भीगते हुए स्कूल जा रहे नन्हे बच्चों को अगर समय पर सरकारी साइकल मिल जाती तो ये कई घण्टों की बजाय मिनटों में स्कूल पहुंच जाते । लेकिन स्कूल चले हम अभियान के तहत इन्हें मिलने वाली हज़ारों साइकलें तो कहीं एक महीने तो कहीं डेढ़ महीने से खुले मैदानों में पड़े पड़े कबाड़ में तब्दील हो रही हैं । Body:बच्चों के मुताबिक साइकल मांगने पर उन्हें हर दिन नया बहाना बताया जाता है ।
बारिश में मीलों दूर पैदल आने वाले ये बच्चे रोज़ाना देर से स्कूल पहुंचते हैं और इनके कपड़े भी खराब हो जाते हैं । पिछले दिनों जिले के प्रभारी मंत्री कमलेश्वर पटेल ने स्कूल चले हम अभियान का शुभारंभ करने के साथ स्कूली बच्चों को साइकल वितरण किया लेकिन सरकारी आयोजन की औपचारिकता पूरी करके शिक्षा विभाग ने सारी साइकलें वापस रख दी । जब मामला उजागर हुआ तो अधिकारी तत्काल साइकलें वितरित करने की बात कहने लगे। बैतूल जिले के 80 फीसदी इलाकों में बच्चे दूरदराज से पैदल या बस से स्कूल आते हैं । यानि यहां बच्चों को साइकलों की सबसे ज्यादा दरकार है । Conclusion:लगभग हर सरकारी योजना की तरह साइकल वितरण योजना को लेकर भी सरकारी महकमा पूरी लापरवाही बरत रहा है ।

बाइट -- रोहन ( छात्र )
बाइट -- आईडी बोड़खे ( परियोजना अधिकारी, बैतूल )
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