बैतूल। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. बैतूल में रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर एक अनूठी पहल की गई. जामठी गांव में वर्षा जल संरक्षण के लिए जामठी तालाब का गहरीकरण किया गया. इसके लिए यहां दो सैकड़ा श्रमदानी पहुंचे और घंटों तक पसीना बहाया. इस दौरान तालाब से 3 ट्रॉली मिट्टी निकाली गई. भारत भारती में चल रहे प्रशिक्षण में वर्षा जल संरक्षण के लिए विभिन्न जल संरचनाओं के निर्माण की विधियों का प्रशिक्षण कार्यकर्ताओं को दिया जा रहा है. (World Environment Day)
बैतूल में श्रमदान: आज विश्व पर्यावरण दिवस पर दो सौ से ज्यादा श्रमदानियों ने सुबह डेढ़ घण्टे तक पानी के लिए पसीना बहाया. कार्यकर्ताओं और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए श्रमदानियों ने तालाब से तीन ट्राली से अधिक मिट्टी निकालकर तालाब का गहरीकरण किया. इसके लिए कार्यकर्ता सूर्योदय के पहले ही गैंती-फावड़ा लेकर श्रमदान स्थल पर पहुंचे, जहां उन्होंने डेढ़ घण्टे तक सामूहिक श्रमदान कर दुनिया को सन्देश दिया कि पानी रोकने के लिए पसीना बहाना ही होगा. भारत भारती और विद्या भारती एकल विद्यालय के द्वारा आयोजित इस श्रमदान में जनजाति शिक्षा के राष्ट्रीय सह संयोजक बुधपाल सिंह ठाकुर, आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के श्रमदानियों समेत कई लोगों ने इसमें सहभागिता की.
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वर्षा जल संरक्षण के लिए पर्याप्त प्रयास: इस अवसर पर बुधपाल सिंह ठाकुर ने वर्षा जल संरक्षण के गीतों के माध्यम से श्रमदानियों का उत्साह बढ़ाया. पर्यावरण दिवस के बारे में श्रमदानियों को संबोधित करते हुए मोहन नागर ने कहा कि भारत सहित आज सम्पूर्ण विश्व जल संकट से जूझ रहा है. जनसंख्या के अनुपात में जल की निरंतर कमी हो रही है. वर्षा जल संरक्षण के पर्याप्त प्रयास नहीं होने से भूमिगत जल के भंडार सूख रहे हैं. इसके लिए शासन-प्रशासन के साथ जनभागीदारी आवश्यक है. घर का पानी घर में, गांव का पानी गांव में, खेत का पानी खेत में, पहाड़ का पानी पहाड़ में रोकने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर विभिन्न छोटी-बड़ी जल संरचनाओं का निर्माण करना होगा, इसमें वर्षा जल ठहरकर धरती के पेट में जाएगा. (Celebrate World Environment Day)