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सुविधाओं के लिए तरस रहे लोग, यहां कच्ची सड़क पार करने के लिए ग्रामीण लेते हैं खाट का सहारा - support of a cot

बड़वानी जिले में आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे हैं. यहां ग्रामीणों को उपस्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए भी चारपाई का सहारा लेना पड़ रहा है.

ग्रामिण लेते है खटिये का सहारा
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Published : Aug 28, 2019, 3:26 PM IST

Updated : Aug 28, 2019, 3:32 PM IST

बड़वानी। आदिवासी बाहुल्य जिले में बुनियादी सुविधाओं के लिए आज भी लोग तरस रहे हैं. जिले में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. स्थानीय लोगों के लिए सड़क तक नहीं है, जिसके चलते यहां के लोगों को बारिश के समय में काफी परेशान होना पड़ता है. हाल ही में एक मामला सामने आया है, जब ग्रामीण एक बीमार व्यक्ति को खाट पर डालकर नाला पार करा रहे हैं.

कच्ची सड़क पार करने के लिए ग्रामीण लेते हैं खटिए का सहारा

गांव के मनीष नाम के युवक को बीमार होने पर अस्पताल ले जाने के लिए उसे खटिया पर लिटाकर परिजन दो से ढाई किलोमीटर तक ले गए, फिर इसे मोटरसाइकिल पर बिठाकर चिथरई होते हुए चाचरिया उपस्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया. जिले की कच्ची सड़कों पर वाहन और एम्बुलेंस न चलने पर बीमार व्यक्ति को दो से ढाई किमी पक्की सड़क तक खटिया पर डालकर ले जाना पड़ा. अगर किसी ग्रामीण को मोटरसाइकिल मिल भी जाए, तो भी एक किमी तक मरीज को खटिया पर लिटाकर नाले को पार कराना होता है. जिसके बाद उसे हॉस्पिटल तक पहुंचाना पड़ता है.

ये कोई पहला मामला नहीं है. ऐसा ही एक मामला सेंधवा तहसील के धनोरा से दस किमी दूर पाड़छा गांव के भिलाला फलिया में देखने को मिला था. जहां बारिश में कच्ची सड़क पर कीचड़ जमा हो गई थी. जिसके कारण दोपहिया वाहन और एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पा रहे थे, ऐसे में ग्रामीण गर्भवती महिला को खटिए पर लिटाकर दो से ढाई किमी तक पैदल ले गए थे. जिसके बाद पक्की सड़क मिलने पर महिला को किसी तरह उपस्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया गया था.

बड़वानी। आदिवासी बाहुल्य जिले में बुनियादी सुविधाओं के लिए आज भी लोग तरस रहे हैं. जिले में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. स्थानीय लोगों के लिए सड़क तक नहीं है, जिसके चलते यहां के लोगों को बारिश के समय में काफी परेशान होना पड़ता है. हाल ही में एक मामला सामने आया है, जब ग्रामीण एक बीमार व्यक्ति को खाट पर डालकर नाला पार करा रहे हैं.

कच्ची सड़क पार करने के लिए ग्रामीण लेते हैं खटिए का सहारा

गांव के मनीष नाम के युवक को बीमार होने पर अस्पताल ले जाने के लिए उसे खटिया पर लिटाकर परिजन दो से ढाई किलोमीटर तक ले गए, फिर इसे मोटरसाइकिल पर बिठाकर चिथरई होते हुए चाचरिया उपस्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया. जिले की कच्ची सड़कों पर वाहन और एम्बुलेंस न चलने पर बीमार व्यक्ति को दो से ढाई किमी पक्की सड़क तक खटिया पर डालकर ले जाना पड़ा. अगर किसी ग्रामीण को मोटरसाइकिल मिल भी जाए, तो भी एक किमी तक मरीज को खटिया पर लिटाकर नाले को पार कराना होता है. जिसके बाद उसे हॉस्पिटल तक पहुंचाना पड़ता है.

ये कोई पहला मामला नहीं है. ऐसा ही एक मामला सेंधवा तहसील के धनोरा से दस किमी दूर पाड़छा गांव के भिलाला फलिया में देखने को मिला था. जहां बारिश में कच्ची सड़क पर कीचड़ जमा हो गई थी. जिसके कारण दोपहिया वाहन और एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पा रहे थे, ऐसे में ग्रामीण गर्भवती महिला को खटिए पर लिटाकर दो से ढाई किमी तक पैदल ले गए थे. जिसके बाद पक्की सड़क मिलने पर महिला को किसी तरह उपस्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया गया था.

Intro:स्पेशल स्टोरी
आदिवासी बाहुल्य बड़वानी जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आज भी वनांचल के लोग तरस रहे है , हम जो आपको तस्वीर दिखाने जा रहे है यह कोई शव यात्रा का दृश्य नही बल्कि बारिश की वजह से कच्चे मार्ग पर वाहन अथवा एम्बुलेंस न चलने पर बीमार व्यक्ति को 2 से ढाई किमी दूर पक्की सड़क तक इसी तरह खटिया में लेकर आते है परिजन.....
Body:जिले के कई क्षेत्रों में आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी का अंबार लगा हुआ है , लोगो के लिए पहुँच मार्ग तक नही बन पाए है जिसके चलते बरसात में स्थानीय लोगो कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ऐसा ही नजारा सेंधवा तहसील के धनोरा से 10 किमी दूर पाड़छा गांव के भिलाला फलिया का है। जहाँ बारिश के चलते मार्ग कच्चा होने से कीचड़ जमा हो गया है ऐसे में दो पहिया वाहन अथवा एम्बुलेंस फलिए तक नही पहुच पाते है ऐसे में ग्रामीण व परिजन बीमार अथवा गर्भवती महिलाओं को खटिया पर डालकर 2 से ढाई किमी धावड़ा गांव तक का पैदल सफर करते है जहाँ पक्का सड़क मार्ग मिलने पर मरीज को चाचरिया उप स्वास्थ्य केंद्र उपचार के लिए ले जाते है। अगर किसी ग्रामीण की मोटरसाइकिल मिल जाए तो भी 1 किमी तक मरीज को खटिया पर लेटाकर नाले को पार करते हुए गंतव्य स्थान तक पहुँचना पड़ता है। गांव के मनीष नामक युवक को बीमार होने पर अस्पताल ले जाने के लिए उसे खटिया पर लेटाकर परीजन 1 किमी तक ले गए फिर मोटरसाइकिल पर बैठा कर चिथरई होते हुए चाचरिया उपस्वास्थ्य केंद्र पहुचे।
बाइट01-मांगीलाल -युवक का पिताConclusion:आज भी बड़वानी जिले में मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे है इन्ही कमी के चलते सेंधवा विकासखंड के पाड़छा गांव के एक फलिए के लोग 2 से ढाई किमी पैदल नदी नालों को पार कर मरीज अथवा गर्भवती को खटिया में डालकर पैदल चलते फिर पक्की सड़क पर मोटरसाइकिल अथवा अन्य सुविधाओं से उपस्वास्थ्य केंद्र तक पहुँचते है।
Last Updated : Aug 28, 2019, 3:32 PM IST
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