बड़वानी| सरदार सरोवर बांध के गेट बंद किए जाने के बाद मध्यप्रदेश के डूब प्रभावित 192 गांवों में लगातार नर्मदा का बैक वाटर लेवल बढ़ता जा रहा है. जिसके चलते धीरे-धीरे सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित गांव डूबते जा रहे हैं. धार जिले के निसरपुर और बड़वानी जिले के कुकरा राजघाट क्षेत्र में डूब का सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है.
कुकरा राजघाट में लापरवाही पूर्वक बिजली चालू होने के चलते दो लोगों की करंट लगने से मौत हो गई, जबकि तीन लोग घायल हो गए हैं. लोगों की मौत के बाद राजघाट के लोगों में खासा आक्रोश है. नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर व कार्यकर्ताओं ने शवों को नर्मदा घाटी विकास मंत्री के आने के बाद ही वहां से उठाने को कहा है.
बड़वानी जिला मुख्यालय से महज पांच किमी दूर नर्मदा किनारे स्थित कुकरा गांव जिसे सरदार सरोवर बांध ने टापू में तब्दील कर दिया है. इसी टापू पर कुछ परिवार आज भी बसे हुए हैं, जिन्हें खाना पहुंचाने के लिए उनके परिजन नाव से कुकरा जा रहे थे, तभी बीच नदी में करंट फैलने से दो लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन लोग झुलस गये हैं. मृतकों के परिजन और एनबीए नेत्री मेधा पाटकर ने पहले तो कलेक्टर एवं एसपी के आने के बाद ही शवों को नदी से निकालने की मांग की थी. दोनों अधिकारियों के पहुंचने के बाद शवों को नदी से निकाला गया. अब मृतकों के परिजन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल को घटनास्थल पर बुलाने की मांग को लेकर अड़ गए हैं.
इस मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल ने कहा कि बड़वानी के कुकरा में करंट लगने से जिन दो लोगों की मौत हुई है, वो बड़ी दुखद घटना है. इस मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं, जो भी अधिकारी दोषी पाए जाएंगे, उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. नर्मदा नदी किनारे बसे गांव जलस्तर बढ़ने से टापू बन गए हैं. वहीं प्रशासन सबको सुरक्षित निकालने के दावे कर रहा है.