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डूब प्रभावितों ने सरकार के खिलाफ निकाली प्रतिशोध रैली, काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन

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Published : Sep 14, 2020, 8:31 PM IST

सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावितों ने नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में मौन रैली निकाली. इस दौरान नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने कहा कि कई गांव बाढ़ में जलमग्न हो गए और कई टापू बन गए, लेकिन अभी तक कोई शासकीय कर्मचारी या जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा.

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डूब प्रभावितों ने सरकार के खिलाफ निकाली प्रतिशोध रैली

बड़वानी। नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में सोमवार को सरदार सरोवर बांध प्रभावितों के पुनर्वास और मुआवजे की मांग को लेकर मौन रैली निकाली. डूब प्रभावितों ने मुंह पर काली पट्टी बांधकर मौन रह कर विरोध जताया है. नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी 2017 को केंद्र और मध्य प्रदेश समेत गुजरात और महाराष्ट्र सरकारों को आदेश दिया था कि सरदार सरोवर बांध के सभी प्रभावितों का डूब से पहले पुनर्वास कर दिया जाए, लेकिन अभी तक पुनर्वास नहीं हो पाया है.

डूब प्रभावितों ने सरकार के खिलाफ निकाली प्रतिशोध रैली

नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने कहा कि कई गांव बाढ़ में जलमग्नहो गए और कई टापू बन गए, लेकिन अभी तक कोई शासकीय कर्मचारी या जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा. बीते साल सरदार सरोवर बांध को भरने की कयावद के चलते नर्मदा नदी का पानी रोका गया था, तब बैक वाटर के चलते कई गांव जलमग्न हो गए या टापू बन गए. तब सरकार ने उन परिवारों का पंचनामा बनवाया, जिनका डूब के समय पुनर्वास बाकी रह गया था. जिसके बाद करीब 5000 परिवारों को अस्थाई तीन शेडों में रखा गया था, लेकिन इनमें से एक भी परिवार का पुनर्वास अब तक नहीं किया गया है. चिखलदा, एकलबारा, पिछड़ी जैसे गांव में कई लोगों के घर डूब गए हैं, जिन्हें डूब क्षेत्र के बाहर बताया गया था.

बड़वानी। नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में सोमवार को सरदार सरोवर बांध प्रभावितों के पुनर्वास और मुआवजे की मांग को लेकर मौन रैली निकाली. डूब प्रभावितों ने मुंह पर काली पट्टी बांधकर मौन रह कर विरोध जताया है. नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 फरवरी 2017 को केंद्र और मध्य प्रदेश समेत गुजरात और महाराष्ट्र सरकारों को आदेश दिया था कि सरदार सरोवर बांध के सभी प्रभावितों का डूब से पहले पुनर्वास कर दिया जाए, लेकिन अभी तक पुनर्वास नहीं हो पाया है.

डूब प्रभावितों ने सरकार के खिलाफ निकाली प्रतिशोध रैली

नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने कहा कि कई गांव बाढ़ में जलमग्नहो गए और कई टापू बन गए, लेकिन अभी तक कोई शासकीय कर्मचारी या जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचा. बीते साल सरदार सरोवर बांध को भरने की कयावद के चलते नर्मदा नदी का पानी रोका गया था, तब बैक वाटर के चलते कई गांव जलमग्न हो गए या टापू बन गए. तब सरकार ने उन परिवारों का पंचनामा बनवाया, जिनका डूब के समय पुनर्वास बाकी रह गया था. जिसके बाद करीब 5000 परिवारों को अस्थाई तीन शेडों में रखा गया था, लेकिन इनमें से एक भी परिवार का पुनर्वास अब तक नहीं किया गया है. चिखलदा, एकलबारा, पिछड़ी जैसे गांव में कई लोगों के घर डूब गए हैं, जिन्हें डूब क्षेत्र के बाहर बताया गया था.

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