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पत्नी की याद में बनवाया मंदिर, पति ने पेश की प्रेम की मिसाल

बड़वानी में चाय की दुकान चलाने वाले राधेश्याम यादव ने अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद में घर के सामने मंदिर का निर्माण करवाया है. उन्होंने मंदिर में अपनी पत्नी की मूर्ति स्थापित की है, जिसकी वे हर रोज पूजा-पाठ करते हैं.

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पत्नी की याद में बनवाया मंदिर
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Published : Jan 10, 2020, 10:04 AM IST

बड़वानी। पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक होते हैं. आज के वक्त में जब हम आए दिन पति-पत्नी के बीच मतभेदों की खबर सुनते हैं, तब ऐसे में बड़वानी से आई खबर रिश्तों पर विश्वास को और मजबूत कर देती है. दरअसल यहां चाय की दुकान लगाने वाले राधेश्याम यादव ने अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद में घर के सामने मंदिर बनवाया है. उन्होंने इस मंदिर में अपनी पत्नी की मूर्ति की स्थापना की है, जिसकी वे हर रोज पूजा-पाठ तो करते ही हैं, साथ ही पत्नी की हर बरसी पर परिजनों को भोजन भी करवाते हैं.

पत्नी की याद में बनवाया मंदिर

बता दें कि जिले के पानसेमल विकासखंड के दोन्दवाड़ा की आश्रम अधीक्षिका सावित्री देवी का 10 साल पहले बड़वानी लौटते समय दुर्घटना के चलते मृत्यु हो गई थी. स्वर्गीय सावित्री देवी धार्मिक स्वभाव की थीं, साथ ही आश्रम में राधा-कृष्ण का मंदिर बनवाना चाहती थीं, लेकिन मंदिर में मूर्ति की स्थापना से पहले ही दुर्घटना में मृत्यु हो गई. सावित्री देवी ने घर के सामने एक मंदिर बनवाया था, जहां वह पूजा-पाठ करती थीं. वहीं पत्नी की धार्मिक प्रवृत्ति होने के चलते अपनी पत्नी की याद में मंदिर का निर्माण करवाया है. इसमें उन्होंने अपनी पत्नी की प्रतिमा लगाई है.

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पत्नी की याद में बनवाया मंदिर

राधेश्याम यादव की बेटी सोनू ने बताया कि उनके पिता और मां की शादी लव मैरिज हुई थी. उन्होंने कहा कि दस साल बीत जाने के बाद भी लगता है कि उनकी मां अभी भी उनके साथ है. राधेश्याम यादव अपनी पत्नी के गुजरने के दस साल बाद भी उनके प्रेम की जीवंतता को बरकरार रखे हुए हैं.

बड़वानी। पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक होते हैं. आज के वक्त में जब हम आए दिन पति-पत्नी के बीच मतभेदों की खबर सुनते हैं, तब ऐसे में बड़वानी से आई खबर रिश्तों पर विश्वास को और मजबूत कर देती है. दरअसल यहां चाय की दुकान लगाने वाले राधेश्याम यादव ने अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद में घर के सामने मंदिर बनवाया है. उन्होंने इस मंदिर में अपनी पत्नी की मूर्ति की स्थापना की है, जिसकी वे हर रोज पूजा-पाठ तो करते ही हैं, साथ ही पत्नी की हर बरसी पर परिजनों को भोजन भी करवाते हैं.

पत्नी की याद में बनवाया मंदिर

बता दें कि जिले के पानसेमल विकासखंड के दोन्दवाड़ा की आश्रम अधीक्षिका सावित्री देवी का 10 साल पहले बड़वानी लौटते समय दुर्घटना के चलते मृत्यु हो गई थी. स्वर्गीय सावित्री देवी धार्मिक स्वभाव की थीं, साथ ही आश्रम में राधा-कृष्ण का मंदिर बनवाना चाहती थीं, लेकिन मंदिर में मूर्ति की स्थापना से पहले ही दुर्घटना में मृत्यु हो गई. सावित्री देवी ने घर के सामने एक मंदिर बनवाया था, जहां वह पूजा-पाठ करती थीं. वहीं पत्नी की धार्मिक प्रवृत्ति होने के चलते अपनी पत्नी की याद में मंदिर का निर्माण करवाया है. इसमें उन्होंने अपनी पत्नी की प्रतिमा लगाई है.

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पत्नी की याद में बनवाया मंदिर

राधेश्याम यादव की बेटी सोनू ने बताया कि उनके पिता और मां की शादी लव मैरिज हुई थी. उन्होंने कहा कि दस साल बीत जाने के बाद भी लगता है कि उनकी मां अभी भी उनके साथ है. राधेश्याम यादव अपनी पत्नी के गुजरने के दस साल बाद भी उनके प्रेम की जीवंतता को बरकरार रखे हुए हैं.

Intro:यूं तो इतिहास में पति पत्नी के प्रेम को लेकर कई किस्से कहानियां हैं वहीं प्रेम का प्रतीक ताजमहल भी इसका गवाह है, लेकिन वर्तमान में आदिवासी बड़वानी जिला मुख्यालय पर एक शख्स ऐसा भी है जिसने अपने घर के सामने स्वर्गीय पत्नी की याद में मंदिर बना कर रोज पुठा पूजा-पाठ तो करता ही है बल्कि उसकी पत्नी की हर बरसी पर परिजनों व रिश्तेदारों को भोजन भी कराता है।


Body:मोहब्बत में लोग क्या-क्या नहीं कर जाते शाहजहां ने अपनी मोहब्बत को अमर बनाने के लिए अपनी बेगम मुमताज के लिए संगमरमर की मूरत ताजमहल बना दिया था । वही अपनी मोहब्बत को अमर बनाने के लिए एक आम आदमी का नाम भी जुड़ गया है ,जी हां बड़वानी में एक चाय की दुकान चलाने वाले शख्स ने अपनी पत्नी के मरने के बाद उसकी याद में एक स्मारक बनवाया है। शहर के मोती माता मंदिर के पास चाय का ठेला लगाने वाले राधेश्याम यादव ने अपनी महरूम पत्नी सावित्री देवी की याद में एक मंदिर का निर्माण करवाया है ।
जिले के पानसेमल विकासखंड के दोन्दवाड़ा में आश्रम अधीक्षिका के पद पर पदस्थ सावित्री देवी का 10 साल पहले बड़वानी लौटते समय मोटरसाइकिल दुर्घटना के चलते देहांत हो गया था। स्वर्गीय सावित्री देवी धार्मिक स्वभाव की थी साथ ही आश्रम में राधा कृष्ण का मंदिर बनाना चाहती थी किंतु मंदिर में मूर्ति स्थापना से पहले दुर्घटना में मृत्यु हो गई। सावित्री देवी ने घर के सामने भी एक मंदिर बनवाया था जहां वह पूजा पाठ किया करती थी । धार्मिक प्रवृत्ति के चलते वह पत्नी के निधन से दुखी यादव अपनी पत्नी की याद में कुछ करना चाहते थे , बनवाए गए इस मंदिर में उनकी पत्नी की प्रतिमा भी लगाई गई है । आसपास के लोगों के लिए यह आकर्षण का केंद्र है।
राधेश्याम यादव के चार बच्चे हैं जिनमें 2 पुत्र व दो पुत्री है जो आज अपने अपने पैरों पर खड़े हैं वहीं पुत्री सोनू ने बताया कि उनके पिता व मां की शादी लव मैरिज थी । जिसके चलते पिता यादव का मां के प्रति अमिट प्रेम देख मंदिर बनाने का निर्णय सामाजिक स्तर पर लिया गया । पिता के मां के प्रति प्रेम देख उन्होंने मंदिर बनाने की स्वीकृति दे दी ,घर के सामने मंदिर में प्रतिदिन पूजा पाठ की जाती है वहीं 10 साल बीतने के बाद भी सभी बच्चों को लगता है कि उनकी मां अभी जिंदा है।
बाइट01-सोनू-पुत्री
राधेश्याम यादव अपनी पत्नी के गुजरने के 10 साल बाद भी उतना ही प्यार करता है जितना व उसके जीवित रहने पर आज भी वह अपनी पत्नी की मूर्ति के सहारे अपने बीते दिनों को याद कर अपने प्रेम की जीवंतता को साकार किए हुए हैं। पत्नी की याद में बनाए गए इस स्मारक को लोक सच्ची मोहब्बत की निशानी के तौर पर देख रहे हैं।
बाइट02-राधेश्याम यादव- पत्नी का मंदिर बनाने वाला
इतिहास के पन्नों से परे वर्तमान में अपनी पत्नियों से प्रेम के चलते एक दशरथ मांझी ने पहाड़ का सीना चीर रास्ता बना दिया था तो राधेश्याम जैसे लोग पत्नी की याद में मंदिर बना कर पूछ रहे हैं ईटीवी भारत मध्य प्रदेश।


Conclusion:बड़वानी जिले के एक चाय दुकान चलाने वाले शख्स ने अपनी पत्नी की याद में स्मारक बनाकर आदिवासी बड़वानी जिले मे प्रेम की एक नई इबारत लिखी है जिसे लोग आदिवासी जिले के ताजमहल के रूप में देख रहे हैं।
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