बड़वानी। शहीद भीमा नायक परियोजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है. इसका काम 10 साल में भी पूरा नहीं हुआ है. इन सालों में अब तक 6 बार समय सीमा बढ़ाई जा चुकी है. बांध स्थल से पानी का रिसाव हो रहा है. नहरें और उपनहरों का काम भी अधूरा है. नई सरकार ने आते ही बांध निर्माण में देरी के चलते निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड और भ्रष्टाचार की जांच कराने की बात कही है.
2009 में शुरू हुई थी योजना
17 फरवरी 2009 में लोअर गोई परियोजना की शुरुआत हुई थी. जिसका नाम अब शहीद भीमा नायक परियोजना है. इसे पूरा करने के लिए 4 साल और 1 साल मेंटेनेंस के लिए तय किया गया था. साथ ही निर्माण एजेंसी आईवीआरसीएल को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी. आज 10 साल बीत जाने के बाद भी नहरों का काम अधूरा है. वहीं डैम स्थल पर गंभीर अनियमितता दिखाई दे रही है. इससे पहले 2015 में बांध के ऊपरी हिस्से में दरार भी देखने को मिली थी.
6 बार बढ़ाई गई निर्माण अवधि10 साल पहले इस परियोजना की लागत 332.55 करोड़ रुपए थी. इस दौरान 6 बार इसकी निर्माण अवधि बढ़ाई गई. धीमी गति से चलने वाली इस परियोजना की लागत अब 545.36 करोड़ रुपए कर दी गई है. साल 2013 में किसानों को इसका लाभ मिलना था, लेकिन निर्माण कार्य में देरी के चलते 6वीं बार इसे 31 दिसम्बर 2018 तक के लिए बढ़ाया गया. जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही के चलते परियोजना अधूरी रह गई.
14 नहरों के लिए नहीं मिली है जमीन
शहीद भीमा नायक परियोजना से 46 गांवों के 8,760 किसान लाभान्वित होंगे, साथ ही 13,760 हेक्टेयर भूमि जिसमें 36 गांव राजपुर, 8 बड़वानी और 2 पानसेमल की जमीन सिंचाई से हरीभरी होगी. मुख्य नहर से 18 नहरें निकली हैं. इसमें से सिर्फ अभी 4 नहरों के लिए जमीन मिली है, शेष 14 नहरों के लिए जमीन अब भी नहीं मिली है.
ये है लागत
2.24 करोड़ रुपए का काम बांध में, 1.84 करोड़ रुपए का गेट में, टनल में 3.25 करोड़ और मुख्य में 6 करोड़ का निर्माण कार्य बाकी होने के अलावा 4 नहरों में 83 लाख रुपए का कार्य ही हुआ है जबकि 1.75 करोड़ रुपए का काम बाकी है. साथ ही शेष 14 नहरें जो कि 45 करोड़ रुपए से अधिक की हैं उनका काम शुरू नहीं हुआ है.
ये है उप नहरों की लंबाई
शहीद भीमा नायक परियोजना की उप नहरों की लंबाई 221 किमी है. वहीं 2531 मीटर बांध की लंबाई एवं 44.20 मीटर ऊंचाई साथ 12 रेडियल गेट है. मुख्य नहर की लंबाई 27.555 किमी है. 5.50मीटर सतह की चौड़ाई एवं 143 .18 एमसीएम पूर्ण जल क्षमता है.
सरकार अब सालों से बन रही इस अधूरी परियोजना की निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने की तैयारी में है लेकिन क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिलता फिलहाल दिखाई नही दे रहा है क्योंकि नवीन टेंडर की प्रक्रिया होगी जिसमें समय लगेगा.