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करोड़ों की लागत से बन रहे डैम पर भ्रष्टाचार की काली परछाईं, 6 बार बढ़ाई जा चुकी है समय सीमा - inquiry

शहीद भीमा नायक परियोजना भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की भेंट चढ़ गई है. गृहमंत्री बाला बच्चन भी मान रहे हैं कि इस परियोजना में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. उनका कहना है कि हर स्तर की जांच के बाद दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.

10 सालों से अधूरा है शहीद भीमा नायक परियोजना का काम
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Published : Jun 26, 2019, 1:38 PM IST

बड़वानी। शहीद भीमा नायक परियोजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है. इसका काम 10 साल में भी पूरा नहीं हुआ है. इन सालों में अब तक 6 बार समय सीमा बढ़ाई जा चुकी है. बांध स्थल से पानी का रिसाव हो रहा है. नहरें और उपनहरों का काम भी अधूरा है. नई सरकार ने आते ही बांध निर्माण में देरी के चलते निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड और भ्रष्टाचार की जांच कराने की बात कही है.


2009 में शुरू हुई थी योजना
17 फरवरी 2009 में लोअर गोई परियोजना की शुरुआत हुई थी. जिसका नाम अब शहीद भीमा नायक परियोजना है. इसे पूरा करने के लिए 4 साल और 1 साल मेंटेनेंस के लिए तय किया गया था. साथ ही निर्माण एजेंसी आईवीआरसीएल को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी. आज 10 साल बीत जाने के बाद भी नहरों का काम अधूरा है. वहीं डैम स्थल पर गंभीर अनियमितता दिखाई दे रही है. इससे पहले 2015 में बांध के ऊपरी हिस्से में दरार भी देखने को मिली थी.


6 बार बढ़ाई गई निर्माण अवधि10 साल पहले इस परियोजना की लागत 332.55 करोड़ रुपए थी. इस दौरान 6 बार इसकी निर्माण अवधि बढ़ाई गई. धीमी गति से चलने वाली इस परियोजना की लागत अब 545.36 करोड़ रुपए कर दी गई है. साल 2013 में किसानों को इसका लाभ मिलना था, लेकिन निर्माण कार्य में देरी के चलते 6वीं बार इसे 31 दिसम्बर 2018 तक के लिए बढ़ाया गया. जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही के चलते परियोजना अधूरी रह गई.

10 सालों से अधूरा है शहीद भीमा नायक परियोजना का काम


14 नहरों के लिए नहीं मिली है जमीन
शहीद भीमा नायक परियोजना से 46 गांवों के 8,760 किसान लाभान्वित होंगे, साथ ही 13,760 हेक्टेयर भूमि जिसमें 36 गांव राजपुर, 8 बड़वानी और 2 पानसेमल की जमीन सिंचाई से हरीभरी होगी. मुख्य नहर से 18 नहरें निकली हैं. इसमें से सिर्फ अभी 4 नहरों के लिए जमीन मिली है, शेष 14 नहरों के लिए जमीन अब भी नहीं मिली है.


ये है लागत
2.24 करोड़ रुपए का काम बांध में, 1.84 करोड़ रुपए का गेट में, टनल में 3.25 करोड़ और मुख्य में 6 करोड़ का निर्माण कार्य बाकी होने के अलावा 4 नहरों में 83 लाख रुपए का कार्य ही हुआ है जबकि 1.75 करोड़ रुपए का काम बाकी है. साथ ही शेष 14 नहरें जो कि 45 करोड़ रुपए से अधिक की हैं उनका काम शुरू नहीं हुआ है.


ये है उप नहरों की लंबाई
शहीद भीमा नायक परियोजना की उप नहरों की लंबाई 221 किमी है. वहीं 2531 मीटर बांध की लंबाई एवं 44.20 मीटर ऊंचाई साथ 12 रेडियल गेट है. मुख्य नहर की लंबाई 27.555 किमी है. 5.50मीटर सतह की चौड़ाई एवं 143 .18 एमसीएम पूर्ण जल क्षमता है.


सरकार अब सालों से बन रही इस अधूरी परियोजना की निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने की तैयारी में है लेकिन क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिलता फिलहाल दिखाई नही दे रहा है क्योंकि नवीन टेंडर की प्रक्रिया होगी जिसमें समय लगेगा.

बड़वानी। शहीद भीमा नायक परियोजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है. इसका काम 10 साल में भी पूरा नहीं हुआ है. इन सालों में अब तक 6 बार समय सीमा बढ़ाई जा चुकी है. बांध स्थल से पानी का रिसाव हो रहा है. नहरें और उपनहरों का काम भी अधूरा है. नई सरकार ने आते ही बांध निर्माण में देरी के चलते निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड और भ्रष्टाचार की जांच कराने की बात कही है.


2009 में शुरू हुई थी योजना
17 फरवरी 2009 में लोअर गोई परियोजना की शुरुआत हुई थी. जिसका नाम अब शहीद भीमा नायक परियोजना है. इसे पूरा करने के लिए 4 साल और 1 साल मेंटेनेंस के लिए तय किया गया था. साथ ही निर्माण एजेंसी आईवीआरसीएल को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी. आज 10 साल बीत जाने के बाद भी नहरों का काम अधूरा है. वहीं डैम स्थल पर गंभीर अनियमितता दिखाई दे रही है. इससे पहले 2015 में बांध के ऊपरी हिस्से में दरार भी देखने को मिली थी.


6 बार बढ़ाई गई निर्माण अवधि10 साल पहले इस परियोजना की लागत 332.55 करोड़ रुपए थी. इस दौरान 6 बार इसकी निर्माण अवधि बढ़ाई गई. धीमी गति से चलने वाली इस परियोजना की लागत अब 545.36 करोड़ रुपए कर दी गई है. साल 2013 में किसानों को इसका लाभ मिलना था, लेकिन निर्माण कार्य में देरी के चलते 6वीं बार इसे 31 दिसम्बर 2018 तक के लिए बढ़ाया गया. जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही के चलते परियोजना अधूरी रह गई.

10 सालों से अधूरा है शहीद भीमा नायक परियोजना का काम


14 नहरों के लिए नहीं मिली है जमीन
शहीद भीमा नायक परियोजना से 46 गांवों के 8,760 किसान लाभान्वित होंगे, साथ ही 13,760 हेक्टेयर भूमि जिसमें 36 गांव राजपुर, 8 बड़वानी और 2 पानसेमल की जमीन सिंचाई से हरीभरी होगी. मुख्य नहर से 18 नहरें निकली हैं. इसमें से सिर्फ अभी 4 नहरों के लिए जमीन मिली है, शेष 14 नहरों के लिए जमीन अब भी नहीं मिली है.


ये है लागत
2.24 करोड़ रुपए का काम बांध में, 1.84 करोड़ रुपए का गेट में, टनल में 3.25 करोड़ और मुख्य में 6 करोड़ का निर्माण कार्य बाकी होने के अलावा 4 नहरों में 83 लाख रुपए का कार्य ही हुआ है जबकि 1.75 करोड़ रुपए का काम बाकी है. साथ ही शेष 14 नहरें जो कि 45 करोड़ रुपए से अधिक की हैं उनका काम शुरू नहीं हुआ है.


ये है उप नहरों की लंबाई
शहीद भीमा नायक परियोजना की उप नहरों की लंबाई 221 किमी है. वहीं 2531 मीटर बांध की लंबाई एवं 44.20 मीटर ऊंचाई साथ 12 रेडियल गेट है. मुख्य नहर की लंबाई 27.555 किमी है. 5.50मीटर सतह की चौड़ाई एवं 143 .18 एमसीएम पूर्ण जल क्षमता है.


सरकार अब सालों से बन रही इस अधूरी परियोजना की निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने की तैयारी में है लेकिन क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिलता फिलहाल दिखाई नही दे रहा है क्योंकि नवीन टेंडर की प्रक्रिया होगी जिसमें समय लगेगा.

Intro:एक्सक्लुसिव स्टोरी
बड़वानी। 17 फरवरी 2009 में लोअर गोई परियोजना की शुरुआत हुई थी जिसका बदल कर अब शहीद भीमा नायक परियोजना है वही इसे पूरा करने में 4 वर्ष एवं 1 वर्ष मेंटेनेंस के लिए तय किया गया था साथ ही निर्माण एजेंसी आईवीआरसीएल को जवाबदारी दी गई थी किन्तु 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी नहरों का काम अधूरा है वही डेम स्थल पर गम्भीर अनियमितता दिखाई दे रही है, इससे पहले 2015 में बांध के ऊपरी हिस्से में दरार भी देखने को मिली थी। गृहमंत्री बाला बच्चन भी मान रहे है कि इस परियोजना में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है और हर स्तर की जांच के बाद दोषियों को बख्शा नही जाएगा।


Body:बड़वानी जिले महत्वपूर्ण सिचाई की शहीद भीमा नायक परियोजना जो कि क्षेत्र के किसानों के लिए जीवनदायिनी है दस वर्ष पूर्व इस परियोजना की लागत 332.55 करोड़ रुपए थी इस दौरान 6 बार इसकी निर्माण अवधि बढ़ाई गई , धीमी गति से चलने वाली इस परियोजना की लागत अब 545.36 करोड़ रुपए कर दी गई है। वर्ष 2013 में किसानों को इसका लाभ मिलना था लेकिन निर्माण कार्य मे देरी के चलते 6टवी बार इस अंतिम तिथि 31 दिसम्बर 2018 तक के लिए समय अवधि बढ़ाई गई थी । जिम्मेदारों की अनदेखी व लापरवाही के चलते परियोजना अधूरी होकर अब तक अपूर्ण है साथ अब इस पर भ्रष्टाचार के बादल भी मंडराते दिखाई दे रहे है। जहा अब तक 25 से अधिक किमी तक कि नहरे एवं उप नहरे बनाई नही गई है साथ ही सबसे बड़ी चूक डेम स्थल पर ही है बांध स्थल पर पानी अभी डेड लेवल पर है लेकिन बांध के गेटो के नीचे से पानी का रिसाव है जो बांध के पानी का स्तर बढ़ने पर बड़ी मात्रा में जारी रह सकता है जो गम्भीर अनियमितता की श्रेणी में आता है साथ गेटो के निर्माण भी बाकी है।
शहीद भीमा नायक परियोजना से 46 गांवों के 8760 किसान लाभान्वित होंगे साथ ही 13760 हेक्टेयर भूमि जिसमें 36 गांव राजपुर,8 बड़वानी और 2 पानसेमल की जमीन सिंचाई से हरीभरी होगी। मुख्य नहर से 18 नहरे निकली है इसमें से सिर्फ अभी 4 नहरों के लिए जमीन मिली है शेष 14 नहरों के लिए जमीन अब भी नही मिली है।
2.24 करोड़ रुपए का काम बांध में ,1.84 करोड़ रुपए का गेट में ,टनल में 3.25करोड़ और मुख्य में 6 करोड़ का निर्माण कार्य बाकी होने के अलावा 4 नहरों में 83 लाख रुपए का कार्य ही हुआ है जबकि 1.75 करोड़ रुपए का काम बाकी है साथ शेष 14 नहरे जो कि 45 करोड़ रुपए से अधिक की होकर कार्य शुरू नही हुआ है।
शहीद भीमा नायक परियोजना की उप नहरों की लंबाई 221 किमी है वही 2531 मीटर बांध की लंबाई एवं 44.20 मीटर ऊंचाई साथ 12 रेडियल गेट है। मुख्य नहर की लंबाई 27.555 किमी है 5.50मीटर सतह की चौड़ाई एवं 143 .18 एमसीएम पूर्ण जल क्षमता है।
सरकार अब सालो से बन रही इस अधूरी परियोजना की निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने की तैयारी में है लेकिन क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ मिलता फिलहाल दिखाई नही दे रहा है क्योंकि नवीन टेंडर की प्रक्रिया होगी जिसमें समय लगेगा। गृहमंत्री एवं राजपुर विधायक बाला बच्चन जिनकी विधानसभा से इस परियोजना से सबसे ज्यादा किसान लाभान्वित होंगे उनका मानना है कि हल्के स्तर का निर्माण कार्य हुआ है उन्होंने खुद घटिया स्तर के कार्यो को रुकवाया है , अब सरकार क्वालिटी वाला कार्य कराएगी जिससे किसानों फायदा मिल सकेगा,बांध से रिसाव नही होना चाहिए इसमें हर एक कि जिम्मेदारी तय कर जिन्होंने पैसा खाया है उसकी जांच होंगी और दोषियों को जेल भेजेंगे।
बाइट01-बाला बच्चन-गृहमंत्री/विधायक राजपुर


Conclusion:जिले किसानों के लिए वरदान साबित होने वाले शहीद भीमा नायक परियोजना का कार्य दस साल में समयसीमा से 6 बार अधिक अवधि के बाद भी अब तक अपूर्ण होकर भ्रष्टाचार और अनिमितताओं की भेंट चढ़ गया है , बांध स्थल से पानी का रिसाव हो रहा है , नहरे और उपहरो का कार्य अधूरा है । नई सरकार ने आते ही बांध निर्माण में देरी के चलते निर्माण एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने के अलावा अनियमितताओ की जांच बात कह रही है जो भी इस सबके चलते फिलहाल परियोजना के पानी का किसानों के लिए दिल्ली दूर है के बराबर ही है।
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