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दुर्लभ प्रजाति का सांप मिलने से क्षेत्र में सनसनी, वन विभाग ने जंगल में छोड़ा

बड़वानी में लाल रंग का दो मुंहा सांप मिलने से सनसनी फैल गई, लोगों ने इसकी जानकारी वन विभाग की टीम को दी. जिसने सांप को कब्जे में लेकर जंगल में छोड़ दिया.

Sensation in the area due to finding snake of rare species
दुर्लभ प्रजाति का सांप मिलने से क्षेत्र में सनसनी
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Published : Dec 19, 2019, 11:31 AM IST

बड़वानी। जिले के टैगोर बैड़ी क्षेत्र में लाल रंग का दो मुंहा सांप मिलने से सनसनी फैल गई. लोगों ने वन विभाग को सूचना दी. जिसके बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने सांप को कब्जे में लिया और शहर से 14 किमी दूर भवरगंढ़ के जंगलों में छोड़ दिया.

दुर्लभ प्रजाति का सांप मिलने से क्षेत्र में सनसनी

दरसल सेंधवा के टैगोर बैड़ी के सुनसान क्षेत्र में ग्रामीणों ने लाल रंग का दो मुंहा सांप देखा. जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई. लोगों ने सांप को पकड़कर वन विभाग को सौंप दिया. ये सांप दुर्लभ प्रजाति का होकर रेतीली और पहाड़ी जमीनों पर रहता है.

रेंजर एमएस नोर्के ने बताया कि नेपाल के रास्ते में ऐसे दुर्लभ सांपों की तस्करी की जाती है, उन्होनें बताया कि इन सांपो में विष नहीं होता है और कुछ लोग इसका मांस भी खाते हैं.

बड़वानी। जिले के टैगोर बैड़ी क्षेत्र में लाल रंग का दो मुंहा सांप मिलने से सनसनी फैल गई. लोगों ने वन विभाग को सूचना दी. जिसके बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने सांप को कब्जे में लिया और शहर से 14 किमी दूर भवरगंढ़ के जंगलों में छोड़ दिया.

दुर्लभ प्रजाति का सांप मिलने से क्षेत्र में सनसनी

दरसल सेंधवा के टैगोर बैड़ी के सुनसान क्षेत्र में ग्रामीणों ने लाल रंग का दो मुंहा सांप देखा. जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई. लोगों ने सांप को पकड़कर वन विभाग को सौंप दिया. ये सांप दुर्लभ प्रजाति का होकर रेतीली और पहाड़ी जमीनों पर रहता है.

रेंजर एमएस नोर्के ने बताया कि नेपाल के रास्ते में ऐसे दुर्लभ सांपों की तस्करी की जाती है, उन्होनें बताया कि इन सांपो में विष नहीं होता है और कुछ लोग इसका मांस भी खाते हैं.

Intro:बड़वानी जिले के शहर में टैगोर बैड़ी क्षेत्र के पीछे एक दुर्लभ प्रजाति का एक लाल रंग (red sand boa) का दो मुंहा सांप निकलने से सनसनी फैल गई। लोगों ने सांप को पकड़कर वन विभाग को सूचना दी। सूचना पर वन अमले ने मौके पर पहुंच सांप को कब्जे में लिया। वन अमले ने उसे शहर से 14 किमी दूर भंवरगढ़ के जंगलों में छोड़ दिया।
Body:सेंधवा के टैगोर बैड़ी क्षेत्र के पीछे एक सुनसान क्षेत्र में दो मुंह का सांप लोगों ने देखा। सांप निकलने की सूचना पर लोगों की भीड़ लग गई थी। लोगों ने काफी देर तक सांप को पकड़ने की नाकाम कोशिश की। वही वन अमले के आने के पहले नाले की ओर जा रहे दो मुंह के सांप को लोगो ने पकड़ लिया। वन अमले के आने के बाद उसे वन अमले को सौंपा गया। गौरतलब हो कि ये सांप दुर्लभ प्रजाति का होकर रेतीली और पहाड़ी जमीन पर रहता है। नेपाल के रास्‍ते इनकी तस्‍करी भी होती है। यह एक विषहीन सांप है, सुस्‍त रफ्तार की वजह से इसे आसानी से पकड़ा जा सकता है। अंधविश्‍वास की वजह से लोग इसका मांस भी खाते हैं। इसकी मांग भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत है। सूचना मिलने पर मौके पर आए रेंजर एमएस नोर्के ने बताया कि दो मुंह का लाल रंग का सांप दुर्लभ प्रजाति का सांप है। पकड़े गए दो मुंह के सांप की लंबाई 46 इंच है और तीन किलों के करीब वजन है। जापान में इससे दवाई भी बनाई जाती है।
बाइट01- एमएस नोर्के - रेंजर





Conclusion:दो मुंह के दुर्लभ प्रजाति के लाल रंग के सांप को लेकर लोगो मे चर्चा का विषय रहा,आमतौर पर यह सांप रेतीली व पत्थरीली जमीन पर पाया जाता है। इसकी विदेशी में भारी मांग रहती है साथ ही इसका प्रयोग दवाई बनाने में भी होता है। यह सांप अधिकतर तस्करी कर बड़े दामो में बिकता है।

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