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कोरोना की मार, फिर दुविधा में मूर्तिकार, गणेशोत्सव से पहले ऑर्डर का इंतजार

इस कोरोना काल में मूर्तिकारों पर रोजी-रोटी का संकट आ गया है. गणेश उत्सव पास में है, लेकिन मूर्तिकारों को अब तक ऑर्डर नहीं मिले हैं, जिस वजह से उनके सामने रोजगार और आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. वहीं महंगे बिक रहे कलरों के कारण मूर्तिकार अपनी बनाई हुई मूर्तियों पर रंग नहीं कर पा रहे हैं.

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Published : Aug 14, 2020, 5:08 PM IST

sculptors
मूर्तिकारों पर मंडराया आर्थिक संकट

बड़वानी। देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाना वाला गणेशोत्सव इस साल कोरोना ग्रहण की चपेट में आ गया है. हर साल जहां इस उत्सव में गणपति बप्पा की धूम रहती थी, वहीं इस साल ये उत्सव बहुत ही सादगी से मनाया जाने वाला है. प्रशासन ने इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए पंडालों के आयोजन पर रोक लगा दी है, जिस वजह से आय का इंतजार कर रहे मूर्तिकार मायूस हो गए हैं. मूर्तिकारों की सालभर की कमाई गणेशोत्सव और नवरात्रि के दौरान बनने वाली बड़ी मूर्तियों से ही होती है, लेकिन इस साल कोरोना ग्रहण के कारण मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

मूर्तिकारों पर मंडराया आर्थिक संकट

पंडाल नहीं लगने का पड़ रहा सीधा असर

देशभर में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण की रोक के लिए प्रशासन ने इस बार एक फिट से ज्यादा ऊंची मूर्ति के निर्माण पर रोक लगाई है. वहीं पंडालों की सजावट पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस बात का सीधा असर जिले के मूर्तिकारों के रोजगार पर पड़ रहा है.

ganesh idol
मूर्ति बनाता मूर्तिकार

गणेशोत्सव के लिए ऊंची-ऊंची आकर्षक और कलात्मक मूर्तियों की हर साल काफी डिमांड रहती थी, जिसके लिए मूर्तिकार काफी मशक्कत भी करते थे और अच्छी कमाई कर लेते थे, जिससे सालभर के लिए उनकी कमाई हो जाती थी. लेकिन इस साल सिर्फ छोटी प्रतिमाओं को विराजित करने के आदेश जारी किए गए हैं, जिस वजह से मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

ganesh idol
छोटी-छोटी मूर्तियां बना रहे मूर्तिकार

मुश्किल है छोटी मूर्तियां बनाना

मूर्तिकार बताते हैं कि हर साल बड़ी-बड़ी मूर्तियां बनाते थे, लेकिन इस साल छोटी-छोटी मूर्तियां बना रहे हैं. जिन्हें बनाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

नहीं मिल रहे ऑर्डर

जिले के मूर्तिकारों के मुताबिक हर साल उनके पास महीनों पहले ऑर्डर आ जाते थे, लेकिन इस बार इनके पास काम हीं नहीं है. इस बार उनके महज इक्के-दुक्के ही ऑर्डर आए हैं, वो भी छोटी-छोटी मूर्तियों के. बावजूद इसके कमाई की आस में वे खुद ही छोटी मूर्तियां बनाकर तैयार कर रहे हैं, ताकि उनका गुजर-बसर चलता रहे.

कलर के बढ़ें दाम

छोटी-छोटी गणेश प्रतिमा बनाने वाले कलाकार फिलहाल मूर्तियों पर रंगोरोगन करने वाले कलर से भी वंचित हैं. कोरोना संकट काल में कलर भी उन्हें बढ़ें हुए दामों में मिल रहा है और कई मूर्तिकारों को तो कलर भी नहीं मिल पा रहा है.

गणेश मूर्ति बनाने वाली राधा बाई बताती हैं कि इस बार कोरोना की वजह जो कर्ज ले रखा है उसे चुकाने की फिक्र है. वही बच्चों की मांग भी पूरी करनी है. ऐसे में इस बार गणेश पंडाल नहीं लगने से आर्थिक संकट झेलना पडे़गा ही.

बाजार से गायब आकर्षक मूर्ति
कोरोना काल की वजह से इस बार रंग बिरंगी आर्कषक कलाकृतियों वाली गणेश मूर्तियां बाजार से गायब हैं. एक ओर जहां इस साल डिमांड नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर कलर की कमी से मूर्ति बनाने वाले आर्थिक संकट में हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव के बीच त्योहार वैसे ही फीके पड़े हैं उस पर मूर्तिकार आर्थिक संकट के चलते कर्ज के बोझ तले दबने को मजबूर हैं.

बड़वानी। देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाना वाला गणेशोत्सव इस साल कोरोना ग्रहण की चपेट में आ गया है. हर साल जहां इस उत्सव में गणपति बप्पा की धूम रहती थी, वहीं इस साल ये उत्सव बहुत ही सादगी से मनाया जाने वाला है. प्रशासन ने इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए पंडालों के आयोजन पर रोक लगा दी है, जिस वजह से आय का इंतजार कर रहे मूर्तिकार मायूस हो गए हैं. मूर्तिकारों की सालभर की कमाई गणेशोत्सव और नवरात्रि के दौरान बनने वाली बड़ी मूर्तियों से ही होती है, लेकिन इस साल कोरोना ग्रहण के कारण मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

मूर्तिकारों पर मंडराया आर्थिक संकट

पंडाल नहीं लगने का पड़ रहा सीधा असर

देशभर में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण की रोक के लिए प्रशासन ने इस बार एक फिट से ज्यादा ऊंची मूर्ति के निर्माण पर रोक लगाई है. वहीं पंडालों की सजावट पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस बात का सीधा असर जिले के मूर्तिकारों के रोजगार पर पड़ रहा है.

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मूर्ति बनाता मूर्तिकार

गणेशोत्सव के लिए ऊंची-ऊंची आकर्षक और कलात्मक मूर्तियों की हर साल काफी डिमांड रहती थी, जिसके लिए मूर्तिकार काफी मशक्कत भी करते थे और अच्छी कमाई कर लेते थे, जिससे सालभर के लिए उनकी कमाई हो जाती थी. लेकिन इस साल सिर्फ छोटी प्रतिमाओं को विराजित करने के आदेश जारी किए गए हैं, जिस वजह से मूर्तिकारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

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छोटी-छोटी मूर्तियां बना रहे मूर्तिकार

मुश्किल है छोटी मूर्तियां बनाना

मूर्तिकार बताते हैं कि हर साल बड़ी-बड़ी मूर्तियां बनाते थे, लेकिन इस साल छोटी-छोटी मूर्तियां बना रहे हैं. जिन्हें बनाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

नहीं मिल रहे ऑर्डर

जिले के मूर्तिकारों के मुताबिक हर साल उनके पास महीनों पहले ऑर्डर आ जाते थे, लेकिन इस बार इनके पास काम हीं नहीं है. इस बार उनके महज इक्के-दुक्के ही ऑर्डर आए हैं, वो भी छोटी-छोटी मूर्तियों के. बावजूद इसके कमाई की आस में वे खुद ही छोटी मूर्तियां बनाकर तैयार कर रहे हैं, ताकि उनका गुजर-बसर चलता रहे.

कलर के बढ़ें दाम

छोटी-छोटी गणेश प्रतिमा बनाने वाले कलाकार फिलहाल मूर्तियों पर रंगोरोगन करने वाले कलर से भी वंचित हैं. कोरोना संकट काल में कलर भी उन्हें बढ़ें हुए दामों में मिल रहा है और कई मूर्तिकारों को तो कलर भी नहीं मिल पा रहा है.

गणेश मूर्ति बनाने वाली राधा बाई बताती हैं कि इस बार कोरोना की वजह जो कर्ज ले रखा है उसे चुकाने की फिक्र है. वही बच्चों की मांग भी पूरी करनी है. ऐसे में इस बार गणेश पंडाल नहीं लगने से आर्थिक संकट झेलना पडे़गा ही.

बाजार से गायब आकर्षक मूर्ति
कोरोना काल की वजह से इस बार रंग बिरंगी आर्कषक कलाकृतियों वाली गणेश मूर्तियां बाजार से गायब हैं. एक ओर जहां इस साल डिमांड नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर कलर की कमी से मूर्ति बनाने वाले आर्थिक संकट में हैं. कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव के बीच त्योहार वैसे ही फीके पड़े हैं उस पर मूर्तिकार आर्थिक संकट के चलते कर्ज के बोझ तले दबने को मजबूर हैं.

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