बड़वानी। सरदार सरोवर बांध से डूब प्रभावित गांव में पुनर्वास और उनकी मांगों को लेकर पिछले 20 दिनों से नर्मदा किनारे बसे अलग-अलग गांवों में नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेतृत्व में क्रमिक अनशन किया जा रहा है, लेकिन अब तक किसी जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी ने उनकी सुध नहीं ली. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर डूब प्रभावित लोगों ने नर्मदा के बैक वाटर में उतर कर जल सत्याग्रह कर मरण दिन मनाया.
वैसे तो आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भारतीय जनता पार्टी सेवा सप्ताह के रूप में धूमधाम से मना रही है. वहीं दूसरी ओर विडंबना है कि मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में नर्मदा किनारे बसे डूब प्रभावित गांवों में एनडीए के नेतृत्व में प्रभावित लोग जल सत्याग्रह कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
बता दें कि एक ओर जहां सरदार सरोवर बांध का अधिकतम वाटर लेवल 138.68 पर है. वहीं वर्तमान में नर्मदा का वाटरलेवल 138.25 पर स्थिर है. जिसके चलते कई गांवों में बाढ़ जैसे हालात निर्मित होकर सैकड़ों मकान डूब चुके हैं, तो हजारों हेक्टेयर जमीन टापू के रूप में तब्दील हो चुकी है.
प्रभावित अपने खेती किसानी के काम मार्ग अवरुद्ध होने के चलते नहीं कर पा रहे हैं, जिसके चलते करीब 7000 हेक्टेयर कृषि भूमि की फसल बर्बाद होने की कगार पर है. पिछोड़ी गांव में जल सत्याग्रह कर रहे लोगों के घर, मकान और खेत डूब चुके हैं, तो किसी के टापू बन चुके हैं. वहीं गांव का पुनर्वास भी व्यवस्थित नहीं हुआ है, जबकि कई लोग अब भी न्याय की आस लगाए सरकार की ओर ताक लगाए देख रहे हैं.
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नर्मदा नदी पर गुजरात में सरदार सरोवर बांध का निर्माण तो कर दिया गया है और अधिकतम भरने का काम भी लगभग पूरा हो चला है, लेकिन मध्यप्रदेश में नर्मदा किनारे रह रहे डूब प्रभावितों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. आज भी लोग हक और अधिकार की लड़ाई के लिए अनशन और सत्याग्रह कर पुनर्वास नीति और आर्थिक मुआवजा की मांग को लेकर घाटी में डटे हैं. लगातार बढ़ते जलस्तर के बीच लोग पानी के बीच खड़े होकर जल सत्याग्रह कर प्रदर्शन कर रहे हैं.