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बच्चों को गोद में लेकर पैदल घर का सफर तय कर रहीं मां, खाने का भी नहीं ठिकाना - Mother traveling thousands of kilometers with her children

मदर्स डे पर सलाम ऐसी मां को जो लॉकडाउन के इन हालात में भी कलेजे के टुकड़े को लेकर हजारों किमी पैदल चलकर घर की तरफ आ रहीं हैं.

Exodus heavy on mother love
मां की ममता पर पलायन भारी
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Published : May 10, 2020, 2:47 PM IST

बड़वानी। देशभर में पलायन कर गए सैकड़ों मजदूर लॉकडाउन की वजह से अपने घरों को लौटने को मजबूर हैं क्योंकि मजदूरी के लिए अन्य राज्यों में गए इन लोगों पर रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है. ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना ऐसे मजदूर परिवारों को करना पड़ रहा है, जिनके छोटे बच्चे हैं. फिर भी सलाम ऐसी मां को जो इन हालात में भी कलेजे के टुकड़े को लेकर हजार किमी पैदल घर वापसी में जुटी हैं.

दो तस्वीरें ही काफी हैं यह बताने के लिए की मां को भगवान का धरती पर अवतार क्यों कहा जाता है, एक जिसमें गुजरात के राजकोट से बड़वानी पहुंचने के बाद जो खाना मिला उसे अपने बच्चों को खिलाकर सन्तुष्ट नजर आई महिला. तो दूसरी गुजरात के ही मोरवी से हजार किमी गोद में बच्चा लिए घर के निकली और देर रात को जिला मुख्यालय से समीप कसरावद पहुंची.

कोई गुजरात के मोरवी से सीधा चला आ रहा है तो कोई दाहोद से, लेकिन अग्निपरीक्षा सभी स्थिति में मां की ही हो रही है. दिन हो या रात बस घर कैसे भी पहुंच जाएं तो सब ठीक हो जाएगा. बस यही सोचकर छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लिए लंबा सफर तय कर रहीं हैं. ऐसा ही 13 लोगों का एक परिवार कसरावद पहुंचा जो अभी अपने घर से 100 किमी दूर है. जहां जिसने सामाजिक व मानवीय दृष्टिकोण से खाने पीने को दे दिया तो ठीक वरना पैदल घर तक का सफर जारी है.

मजदूर परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं बचे कि चार पहिया वाहन की सुविधा लेकर अपने गांव तक पहुंचा जा सके. इन दिनों बड़वानी का राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 3 हो या अलीराजपुर होकर जिले में प्रवेश करने वाले तमाम रास्तों पर उन मां को देखा जा सकता है जो अपने बच्चों को लेकर पैदल चलते हुए दिखा जाएंगे.

बड़वानी। देशभर में पलायन कर गए सैकड़ों मजदूर लॉकडाउन की वजह से अपने घरों को लौटने को मजबूर हैं क्योंकि मजदूरी के लिए अन्य राज्यों में गए इन लोगों पर रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है. ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना ऐसे मजदूर परिवारों को करना पड़ रहा है, जिनके छोटे बच्चे हैं. फिर भी सलाम ऐसी मां को जो इन हालात में भी कलेजे के टुकड़े को लेकर हजार किमी पैदल घर वापसी में जुटी हैं.

दो तस्वीरें ही काफी हैं यह बताने के लिए की मां को भगवान का धरती पर अवतार क्यों कहा जाता है, एक जिसमें गुजरात के राजकोट से बड़वानी पहुंचने के बाद जो खाना मिला उसे अपने बच्चों को खिलाकर सन्तुष्ट नजर आई महिला. तो दूसरी गुजरात के ही मोरवी से हजार किमी गोद में बच्चा लिए घर के निकली और देर रात को जिला मुख्यालय से समीप कसरावद पहुंची.

कोई गुजरात के मोरवी से सीधा चला आ रहा है तो कोई दाहोद से, लेकिन अग्निपरीक्षा सभी स्थिति में मां की ही हो रही है. दिन हो या रात बस घर कैसे भी पहुंच जाएं तो सब ठीक हो जाएगा. बस यही सोचकर छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लिए लंबा सफर तय कर रहीं हैं. ऐसा ही 13 लोगों का एक परिवार कसरावद पहुंचा जो अभी अपने घर से 100 किमी दूर है. जहां जिसने सामाजिक व मानवीय दृष्टिकोण से खाने पीने को दे दिया तो ठीक वरना पैदल घर तक का सफर जारी है.

मजदूर परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं बचे कि चार पहिया वाहन की सुविधा लेकर अपने गांव तक पहुंचा जा सके. इन दिनों बड़वानी का राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 3 हो या अलीराजपुर होकर जिले में प्रवेश करने वाले तमाम रास्तों पर उन मां को देखा जा सकता है जो अपने बच्चों को लेकर पैदल चलते हुए दिखा जाएंगे.

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