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लॉकडाउन में रोटी-पानी को तरस रहे प्रवासी मजदूर, हवा-हवाई हो रहे सरकारी दावे

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Published : May 15, 2020, 11:59 AM IST

लॉकडाउन के चलते बेघर मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं प्रशासन जो सुविधाएं देने का दावा कर रही हैं वे भी मजदूरों को नसीब नहीं हो रही है.

labours in poor condition
प्रवासी मजदूर परेशान

बड़वानी। लॉकडाउन के चलते मजदूरों का सफर खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. देश के कई हिस्सों में मजदूरों का पलायन चिंता का सबब बन गया है. एक ओर जहां बेघर मजदूर रोटी-पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं प्रशासन सुविधाएं देने के जो दावे कर रहा है, वो फेल होता नजर आ रहा है.

प्रवासी मजदूर हो रहे परेशान

जिले के सेंधवा स्थित बिजासन घाट पर (जोकि महाराष्ट्र सीमा पर स्थित है) रोजाना हजारों प्रवासी मजदूरों का जमावड़ा लग रहा है, जिसके चलते जिला प्रशासन को भी प्रतिदिन बसों की संख्या बढ़ानी पड़ रही है, जबकि मजदूरों के बढ़ती संख्या के चलते प्रशासन की सारी सुविधाएं फीकी पड़ती नजर आ रही हैं.

labours in poor condition
धूप में बस का इंतजार करते मजदूर

मजदूरों के साथ उनके छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, जो तपती धूप में बस के इंतजार में लाइन में खड़े हैं, बमुश्किल बस आती है तो भगदड़ मच जाती है, बस में जगह मिलती है मानो कोई जंग जीत ली हो ऐसा नजारा दिखाई देता है.

labours in poor condition
प्रशासन की सुविधाएं हो रही फेल
labours in poor condition
नहीं है रहने की व्यवस्ठा

मजदूरों का कहना है कि महाराष्ट्र से आए 10 से 12 घंटे बीत जाने के बाद भी उन्हें न तो भोजन नसीब हुआ है और न ही आगे के सफर के लिए बस. तीन दिनों में महाराष्ट्र से बस में 15 से 20 हजार मजदूरों को छोड़ा गया है.

बड़वानी। लॉकडाउन के चलते मजदूरों का सफर खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. देश के कई हिस्सों में मजदूरों का पलायन चिंता का सबब बन गया है. एक ओर जहां बेघर मजदूर रोटी-पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं प्रशासन सुविधाएं देने के जो दावे कर रहा है, वो फेल होता नजर आ रहा है.

प्रवासी मजदूर हो रहे परेशान

जिले के सेंधवा स्थित बिजासन घाट पर (जोकि महाराष्ट्र सीमा पर स्थित है) रोजाना हजारों प्रवासी मजदूरों का जमावड़ा लग रहा है, जिसके चलते जिला प्रशासन को भी प्रतिदिन बसों की संख्या बढ़ानी पड़ रही है, जबकि मजदूरों के बढ़ती संख्या के चलते प्रशासन की सारी सुविधाएं फीकी पड़ती नजर आ रही हैं.

labours in poor condition
धूप में बस का इंतजार करते मजदूर

मजदूरों के साथ उनके छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, जो तपती धूप में बस के इंतजार में लाइन में खड़े हैं, बमुश्किल बस आती है तो भगदड़ मच जाती है, बस में जगह मिलती है मानो कोई जंग जीत ली हो ऐसा नजारा दिखाई देता है.

labours in poor condition
प्रशासन की सुविधाएं हो रही फेल
labours in poor condition
नहीं है रहने की व्यवस्ठा

मजदूरों का कहना है कि महाराष्ट्र से आए 10 से 12 घंटे बीत जाने के बाद भी उन्हें न तो भोजन नसीब हुआ है और न ही आगे के सफर के लिए बस. तीन दिनों में महाराष्ट्र से बस में 15 से 20 हजार मजदूरों को छोड़ा गया है.

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