बड़वानी। कुछ लोग अपनी शारीरिक कमजोरी के बावजूद कुछ ऐसा कर गुजरते हैं कि वह दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी बड़वानी जिले के सेंधवा में रहने वाले दिव्यांग मोहन जाधव की है. जिसने अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए अपनी कमजोरी को आड़े नहीं आने दिया और एक नहीं करीब 25 बार बॉडी बिल्डर चैंपियनशिप में मिस्टर मध्यप्रदेश का खिताब जीता है. मोहन वैसे तो अपने इस हुनर को अपनी कमाई का जरिया बना लिया था जिसके चलते वह शहर के युवाओं को जिम में ट्रेनिंग देने का काम करता है, लेकिन कोरोना महामारी के आगे उसके हौसले भी नतमस्तक हो गए और दिव्यांग आज झाडू बेचकर अपने परिवार का गुजर बसर करने को मजबूर है.
झेला पोलियो का दंश
मोहन जाधव वैसे तो किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है क्योंकि दिव्यांग होने के बावजूद शरीर सौष्ठव प्रदेश के बड़े-बड़े दिग्गजों को मात देकर वे कई बार मिस्टर एमपी का खिताब जीत चुके है. वहीं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया है. मोहन जाधव बताते हैं कि उनके पिता का सपना था कि वह पहलवान बने या बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में उनका नाम रोशन करें लेकिन उनका सपना जब धराशाई उस समय हो गया जब वह 3 साल की उम्र में पोलियो ग्रस्त होकर एक पाव से दिव्यांग हो गए लेकिन मोहन के दिलो दिमाग में उसके पिता के सपने को पूरा करने की ज़िद ने उन्हें प्रदेश की जानी मानी हस्ती बना दिया.
जिम बंद होने के बाद बिगड़ी आर्थिक स्थिति
ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए मोहन जाधव कहा कि एक बार वह बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप का आयोजन देखने पहुंचे. इसके बाद उन्होंने मन में बॉडी बिल्डर बनने की ठानी और जिम जाकर पसीना बहाया और अपने शरीर को तराश दिया. इसके बाद उनके पिता के सपनों को पंख लग गए और पहली बार बॉडी बिल्डर चैंपियनशिप प्रतियोगिता में भाग लेते हुए मिस्टर एमपी का खिताब अपने नाम कर लिया. जब उनके पिता ने अखबारों में मोहन की फोटो देखी तो उनकी की आंखों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा. दिव्यांग होने के बावजूद मोहन शहर के जिम में मास्टर ट्रेनर बनकर युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे थे किंतु कोरोना महामारी के चलते जिम बंद हो गए और मोहन बेरोजगार हो गए. जिसके चलते उन्होंने घर चलाने के लिए शुरू झाड़ू बनाकर बेचना शुरू कर दिया. जिसके चलते बमुश्किल उसका वह परिवार का गुजारा हो पाता है. कहीं बार बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में प्रदेश का नाम रोशन करने वाले इस बॉडी बिल्डर को प्रदेश सरकार से बड़ी आस है कि उसे उसे किसी तरह की शासकीय की नौकरी दे दे अथवा किसी योजना के अंतर्गत जिम खोलने के लिए आर्थिक मदद मिल जाए. जिससे वह स्वंय की जिम का संचालक बनकर अपना सपना पूरा कर सकें.
कई खिताब हैं उनके नाम
दिव्यांग बॉडी बिल्डर मोहन जाधव जिसने अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए जिम जाकर पसीना बहाया और देश के विभिन्न राज्यों में आयोजित बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में भाग लेकर कई खिताब अपने नाम किए हैं. बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में मिस्टर एमपी का कई बार खिताब पा चुके मोहन जाधव इन दिनों बेरोजगार होकर झाडू बनाकर बेचने रहे हैं. मोहन की सरकार से मांग है कि शारीरिक दिव्यांगता के बावजूद उन्होंने प्रदेश का नाम रोशन किया है जिसके चलते उन्हें किसी तरह की सरकारी नौकरी अथवा मदद की जाए जिससे वह अपना रोजगार शुरू कर अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें.