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अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस: हलधर जैविक किसान अवार्ड पाने वाली एकमात्र महिला कृषक ललिता मुकाती

बड़वानी जिले की महिला किसान ललिता बाई की सफलता के चर्चे प्रदेश ही नहीं देश भर में हो रहे हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने ललिता बाई को उन्नत महिला कृषक कैटिगरी में हलधर जैविक किसान अवार्ड से सम्मानित किया गया.

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Published : Oct 15, 2019, 10:25 PM IST

महिला कृषक ललिता मुकाती

बड़वानी। 15 अक्टूबर को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस मनाया जा रहा है. ग्रामीण इलाकों की महिलाओं ने सफलता की कई इबादते लिखी हैं. ऐसे ही सफलता के शिखर पर जिले की अंजड़ तहसील के बोरलाय गांव की महिला कृषक ललिता मुकाती हैं. जिन्होंने देश की एकमात्र उन्नत महिला कृषक कैटिगरी में हलधर जैविक किसान अवार्ड अपने नाम किया है.

महिला कृषक ललिता मुकाती

110 एकड़ खेती में पति को अकेले काम करते देख ललिता बाई ने काम में हाथ बटाना शुरू कर दिया. रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों से चिंतित दम्पति ने 40 एकड़ कृषि भूमि का जैविक खेती के लिए पंजीयन कराया था. जिसमे शुरुआत के सालों में कोई ज्यादा फायदा नहीं मिला, लेकिन अब इनके फलों की मांग प्रदेश सहित गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी है. वहीं फलों को विदेशों में भी एक्सपोर्ट करने की तैयारी कर ली गई है.

ललिताबाई मजदूरों की कमी के चलते खुद खेती में हाथ बटाते-बटाते उन्नत खेती के पारंगत हो गई. वह खुद ट्रेक्टर चलाकर खेती के जरूरी कार्य निपटाने के अलावा विभिन्न तरीकों से जैविक खाद भी खुद बनाती है, जो की फूलों, पशुओं द्वारा खराब किए गए पत्तों, अनाज, दलहन, तिलहन, गुड़, गौमूत्र आदि से तैयार करती है जिससे फलों वाली, बागवानी व मसाला फसलें भी जैविक पद्धति से तैयार करती है। ललिताबाई को केन्द्र और राज्य सरकार के कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है.

महिला किसान ललिताबाई की पहचान बड़वानी के छोटे से ग्रामीण अंचल से निकलकर राष्ट्रीय स्तर तक है, हाल ही में भारत सरकार ने उन्हें उन्नत जैविकी खेती करने पर हलधर जैविक किसान अवार्ड से सम्मानित किया है.

कृषि की शिक्षा प्राप्त परिवार

जैविक खेती से देशभर में अपनी पहचान बनाने वाली ललिता बाई ने बीए से स्नातक है. उनके पति कृषि विज्ञान विषय से एमएससी है. वहीं मुकाती दंपति ने बच्चों को भी कृषि से सम्बंधित पढ़ाई कराई है.

बड़वानी। 15 अक्टूबर को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस मनाया जा रहा है. ग्रामीण इलाकों की महिलाओं ने सफलता की कई इबादते लिखी हैं. ऐसे ही सफलता के शिखर पर जिले की अंजड़ तहसील के बोरलाय गांव की महिला कृषक ललिता मुकाती हैं. जिन्होंने देश की एकमात्र उन्नत महिला कृषक कैटिगरी में हलधर जैविक किसान अवार्ड अपने नाम किया है.

महिला कृषक ललिता मुकाती

110 एकड़ खेती में पति को अकेले काम करते देख ललिता बाई ने काम में हाथ बटाना शुरू कर दिया. रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों से चिंतित दम्पति ने 40 एकड़ कृषि भूमि का जैविक खेती के लिए पंजीयन कराया था. जिसमे शुरुआत के सालों में कोई ज्यादा फायदा नहीं मिला, लेकिन अब इनके फलों की मांग प्रदेश सहित गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी है. वहीं फलों को विदेशों में भी एक्सपोर्ट करने की तैयारी कर ली गई है.

ललिताबाई मजदूरों की कमी के चलते खुद खेती में हाथ बटाते-बटाते उन्नत खेती के पारंगत हो गई. वह खुद ट्रेक्टर चलाकर खेती के जरूरी कार्य निपटाने के अलावा विभिन्न तरीकों से जैविक खाद भी खुद बनाती है, जो की फूलों, पशुओं द्वारा खराब किए गए पत्तों, अनाज, दलहन, तिलहन, गुड़, गौमूत्र आदि से तैयार करती है जिससे फलों वाली, बागवानी व मसाला फसलें भी जैविक पद्धति से तैयार करती है। ललिताबाई को केन्द्र और राज्य सरकार के कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है.

महिला किसान ललिताबाई की पहचान बड़वानी के छोटे से ग्रामीण अंचल से निकलकर राष्ट्रीय स्तर तक है, हाल ही में भारत सरकार ने उन्हें उन्नत जैविकी खेती करने पर हलधर जैविक किसान अवार्ड से सम्मानित किया है.

कृषि की शिक्षा प्राप्त परिवार

जैविक खेती से देशभर में अपनी पहचान बनाने वाली ललिता बाई ने बीए से स्नातक है. उनके पति कृषि विज्ञान विषय से एमएससी है. वहीं मुकाती दंपति ने बच्चों को भी कृषि से सम्बंधित पढ़ाई कराई है.

Intro: अंतरास्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस पर विशेष......
अंतरास्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस पर देश की एकमात्र जैविक खेती कर प्रदेश के पिछड़े एवं आदिवासी बहुल बड़वानी जिले का नाम रोशन करने वाली ग्रामीण महिला की प्रेरणादायी कहनी जिसने कई पढ़ी लिखी महिलाओं को नई दिशा दी है जो आधुनिकता की दौड़ में खेती में हाथ बंटाने में कतराती है। बड़वानी जिले की अंजड़ तहसील के गांव बोरलाय की ग्रामीण कृषक महिला ललिता मुकाती को इसी वर्ष देश की एकमात्र उन्नत महिला कृषक कैटिगरी में हलधर जैविक किसान का अवार्ड नई दिल्ली में भारत सरकार द्वारा दिया गया है।


Body:प्रयोगात्मक जैविकी खेती के जरिए देशभर में अपनी पहचान बनाने वाली ललिता बाई बीए पास है साथ ही उनके पति कृषि विज्ञान विषय से एमएससी है वही मुकाती दम्पति ने अपने बच्चों को भी कृषि से सम्बंधित पढ़ाई कराई है । परिवार की करीब 110 एकड़ खेती में पति को अकेले काम करते देख ललीता बाई ने हाथ बटाना शुरू किया वही देश मे रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों से चिंतित इस ग्रामीण किसान दम्पति ने करीब 40 एकड़ कृषि भूमि का जैविक खेती हेतु 7 वर्ष पूर्व पंजीयन कराया था जिसमे शुरुआत के सालों में कोई ज्यादा फायदा नही मिला किन्तु वर्तमान में इनके फलों की मांग प्रदेश के कई जिलों के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी है साथ ही मांग को देखते हुए विदेशो में भी एक्सपोर्ट करने की तैयारी की गई है जिसके लिए अलग से फलों की जैविक प्रजाति विकसित की है।
ललिताबाई के अनुसार वह अपने खेत मे पति का हाथ बटाने व मजदूरों की कमी के चलते खुद खेती में हाथ बटाते बटाते उन्नत खेती के पारंगत हो गई । वह खुद ट्रेक्टर चलाकर खेती के जरूरी कार्य निपटाने के अलावा विभिन्न तरीकों से जैविक खाद भी खुद बनाती है जो की फूलो, पशुओं द्वारा खराब किए गए पत्तो,अनाज,दलहन,तिलहन,गुड़,गौमूत्र आदि से तैयार करती है जिससे फलों वाली, बागवानी व मसाला फसलें भी जैविक पद्धति से तैयार करती है। जल संरक्षण के लिए ड्रिप से सिंचाई ,मिट्टी की उर्वरा बढ़ाने के लिए वर्मी कंपोस्ट खाद ,बायोगैस ईकाई से उन्नत खेती तथा दवाई छिड़काव का कार्य भी ललिताबाई कर रही है। आज जैविक सीताफल की बढ़ती मांग और खुद अपने ब्रांड नाम के साथ पेकिंग कर विक्रय करती ललिताबाई में ग्रामीण भारत के विकास की सही तस्वीर दिखाई देती है ।जैविक खेती को बढ़ावा देकर कम लागत में बेहतरीन उत्पादन कर आर्थिक लाभ कमाने वाली ग्रामीण महिला कृषक ललिताबाई की जीवटता को देखकर कई महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है। ललिताबाई की इस मेहनत से प्रदेश सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक उनके हौसलो और जैविक खेती के प्रति लग्न ,मेहनत देख कई तरह के सम्मानों से नवाजा जा चुका है साथ ही मप्र राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था प्रमाणपत्र प्रदान कर चुकी है।
बाइट01- वन टू वन - ललिताबाई


Conclusion:जैविक पद्धति से खाद तैयार करती , फलो के पौधे तैयार करती और खुद ट्रेक्टर चलाकर खेती किसानी करती महिला किसान ललिताबाई की पहचान अब बड़वानी के छोटे से ग्रामीण अंचल से निकलकर राष्ट्रीय स्तर तक है , हाल ही में भारत सरकार द्वारा उन्नत जैविकी खेती करने पर हलधर जैविक किसान अवार्ड से सम्मानित किया है।
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