बड़वानी। 15 अक्टूबर को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस मनाया जा रहा है. ग्रामीण इलाकों की महिलाओं ने सफलता की कई इबादते लिखी हैं. ऐसे ही सफलता के शिखर पर जिले की अंजड़ तहसील के बोरलाय गांव की महिला कृषक ललिता मुकाती हैं. जिन्होंने देश की एकमात्र उन्नत महिला कृषक कैटिगरी में हलधर जैविक किसान अवार्ड अपने नाम किया है.
110 एकड़ खेती में पति को अकेले काम करते देख ललिता बाई ने काम में हाथ बटाना शुरू कर दिया. रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों से चिंतित दम्पति ने 40 एकड़ कृषि भूमि का जैविक खेती के लिए पंजीयन कराया था. जिसमे शुरुआत के सालों में कोई ज्यादा फायदा नहीं मिला, लेकिन अब इनके फलों की मांग प्रदेश सहित गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान में भी है. वहीं फलों को विदेशों में भी एक्सपोर्ट करने की तैयारी कर ली गई है.
ललिताबाई मजदूरों की कमी के चलते खुद खेती में हाथ बटाते-बटाते उन्नत खेती के पारंगत हो गई. वह खुद ट्रेक्टर चलाकर खेती के जरूरी कार्य निपटाने के अलावा विभिन्न तरीकों से जैविक खाद भी खुद बनाती है, जो की फूलों, पशुओं द्वारा खराब किए गए पत्तों, अनाज, दलहन, तिलहन, गुड़, गौमूत्र आदि से तैयार करती है जिससे फलों वाली, बागवानी व मसाला फसलें भी जैविक पद्धति से तैयार करती है। ललिताबाई को केन्द्र और राज्य सरकार के कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है.
महिला किसान ललिताबाई की पहचान बड़वानी के छोटे से ग्रामीण अंचल से निकलकर राष्ट्रीय स्तर तक है, हाल ही में भारत सरकार ने उन्हें उन्नत जैविकी खेती करने पर हलधर जैविक किसान अवार्ड से सम्मानित किया है.
कृषि की शिक्षा प्राप्त परिवार
जैविक खेती से देशभर में अपनी पहचान बनाने वाली ललिता बाई ने बीए से स्नातक है. उनके पति कृषि विज्ञान विषय से एमएससी है. वहीं मुकाती दंपति ने बच्चों को भी कृषि से सम्बंधित पढ़ाई कराई है.