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इंदिरा सागर परियोजना की नहरें तोड़ रही हैं दम, हुक्मरान मामले से झाड़ रहे हैं पल्ला

बड़वानी जिले में निर्माण एजेंसी और विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मिलीभगत से गुणवत्ताविहीन निर्माण से किसानों के अरमान पर पानी फेर रहे हैं.

Indira Sagar Project canals are breaking power
इंदिरा सागर परियोजना की नहरें तोड़ रही हैं दम
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Published : Dec 2, 2019, 3:34 PM IST

बड़वानी। किसानों को खेती के लिए भरपूर पानी मिले इसके लिए राज्य सरकार ने करोड़ों रूपये की लागत से जल परियोजनाएं शुरू की हैं. इन परियोजनाओं के जरिए शुरु में किसानों को बड़ा लाभ मिलता दिखाई दे रहा था लेकिन निर्माण एजेंसी और विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से गुणवत्ता विहीन निर्माण ने जल परियोजनाओं पर सवाल खड़ा कर दिया है.

इंदिरा सागर परियोजना की नहरें तोड़ रही हैं दम

बड़वानी जिले की दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक लोअर गोई जिसे अब शहीद भीमा नायक के नाम से जाना जाता है नहर के निर्माण में अनियमिताएं और राज्य सरकार के दांवों की पोल खुल गई है. करोड़ों की लागत से बनीं इंदिरा सागर परियोजना की नहरों ने दम तोड़ना शुरु कर दिया है. हालत ऐसे बन गए हैं कि हजारों क्यूसेक पानी बर्बाद हो रहा है. पानी बहकर किसानों के खेतों में घुस रहा है जिससे उनकी फसलों को भारी नुकसान हो रहा है.

बात करें इंदिरा सागर परियोजना की तो ये पश्चिम निमाड़ की एक वृहद जल परियोजना है. जो 3182 करोड़ की लागत से बनकर खण्डवा जिले से शुरू हुई थी लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद अधूरी है.

परियोजना से 244 किमी लम्बी नहरों के जाल से कुल 1.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें बड़वानी जिले में तृतीय व चतुर्थ चरण की नहरों से बड़वानी व राजपुर विधानसभा में लगभग 90 किमी लम्बाई होकर 721 करोड़ रुपए से नहरों का विस्तार होना है. जिले की 19 हजार 600 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी. जिससे करीब 134 गांवों के हजारों किसानों को फायदा मिलना है.

बड़वानी। किसानों को खेती के लिए भरपूर पानी मिले इसके लिए राज्य सरकार ने करोड़ों रूपये की लागत से जल परियोजनाएं शुरू की हैं. इन परियोजनाओं के जरिए शुरु में किसानों को बड़ा लाभ मिलता दिखाई दे रहा था लेकिन निर्माण एजेंसी और विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से गुणवत्ता विहीन निर्माण ने जल परियोजनाओं पर सवाल खड़ा कर दिया है.

इंदिरा सागर परियोजना की नहरें तोड़ रही हैं दम

बड़वानी जिले की दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक लोअर गोई जिसे अब शहीद भीमा नायक के नाम से जाना जाता है नहर के निर्माण में अनियमिताएं और राज्य सरकार के दांवों की पोल खुल गई है. करोड़ों की लागत से बनीं इंदिरा सागर परियोजना की नहरों ने दम तोड़ना शुरु कर दिया है. हालत ऐसे बन गए हैं कि हजारों क्यूसेक पानी बर्बाद हो रहा है. पानी बहकर किसानों के खेतों में घुस रहा है जिससे उनकी फसलों को भारी नुकसान हो रहा है.

बात करें इंदिरा सागर परियोजना की तो ये पश्चिम निमाड़ की एक वृहद जल परियोजना है. जो 3182 करोड़ की लागत से बनकर खण्डवा जिले से शुरू हुई थी लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद अधूरी है.

परियोजना से 244 किमी लम्बी नहरों के जाल से कुल 1.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें बड़वानी जिले में तृतीय व चतुर्थ चरण की नहरों से बड़वानी व राजपुर विधानसभा में लगभग 90 किमी लम्बाई होकर 721 करोड़ रुपए से नहरों का विस्तार होना है. जिले की 19 हजार 600 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी. जिससे करीब 134 गांवों के हजारों किसानों को फायदा मिलना है.

Intro:एक्सक्लुसिव स्टोरी- बड़वानी। जिले में अन्नदाता को खेती के लिए भरपूर पानी मिले इसके लिए प्रदेश सरकार ने करोड़ो रूपये की लागत बड़ी- बड़ी जल परियोजनाएं शुरू की जिससे शुरुआत में तो किसानों को इन परियोजनाओं से बड़ा लाभ मिलता दिखाई दे रहा था किंतु निर्माण एजेंसी और जिम्मेदार विभाग की मिलीभगत से गुणवत्ताविहीन निर्माण से उनके सपने चकनाचूर हो रहे है। ईटीवी भारत ने निमाड़ के बड़वानी जिले की दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक लोअर गोई जो अब शहीद भीमा नायक के नाम से जानी जाती है उसकी नहरों के निर्माण में अनियमितता और राजपुर विधानसभा से विधायक व गृहमंत्री बाला बच्चन के दांवों की पोल खोली ही थी कि अब इंदिरा सागर परियोजना की नहरों ने दम तोड़ दिया ओर हजारो क्युमेक्स पानी बर्बाद हो गया इतना ही नही कई किसानों के खेतों में पानी घुस गया।


Body:जिले में किसानों को रबी की फसल के लिए इंदिरा सागर परियोजना की नहरों में पानी छोड़ा गया किन्तु गुणवत्ताविहीन निर्माण की पोल खुल गई और जगह-जगह से नहरें टूट फुट गई वही पानी के दबाव में नहरे की बह निकली।
मध्यप्रदेश में भले ही सरकार बदल गई किन्तु प्रदेश के मंत्रियों और अधिकारियों के काम करने के तौर तरीकों में कोई बदलाव नही आया । कमलनाथ सरकार के मंत्री जुबानी जुमलो में पुरानी सरकार के समय से चल रही परियोजनाओं में भ्रष्टाचार की बात तो मानते है और केवल कोरी कार्यवाही और सुधार की बात करते है किंतु स्थिति वर्तमान में जस की तस है इसका जीता जागता उदारहण इंदिरा सागर जल परियोजना है जिसको लेकर गृहमंत्री पिछले 10 माह से केवल सुधार की बात करते नजर आ रहे है किंतु प्रशासनिक हलचल कुछ नही होती।

बात करें इंदिरा सागर परियोजना की तो यह पश्चिम निमाड़ की एक वृहद जल परियोजना है जो 3182 करोड़ से अधिक की होकर 2009 में खण्डवा जिले से शुरू होकर दस साल बाद भी अपूर्ण है। इस परियोजना से 244 किमी लम्बी नहरों के जाल से कुल 1.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होने का लक्ष्य रखा गया है जिसमे बड़वानी जिले में तृतीय व चतुर्थ चरण की नहरों से बड़वानी व राजपुर विधानसभा में लगभग 90 किमी लम्बाई होकर 721 करोड़ रुपए से नहरों का विस्तार होना है जिससे जिले की 19 हजार 600 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होंगी जिससे करीब 134 गांवो के हजारों किसानों को फायदा मिलना है। यह परियोजना वैसे तो 2016 में पूर्ण होना थी किन्तु दस साल बाद भी अपूर्ण होकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई वही परियोजना का बजट भी साल दर साल बढ़ता जा रहा है।

जिला मुख्यालय से लगे गांवो से होकर गुजरने वाली इंदिरा सागर परियोजना के निर्माण कार्य केडीएस प्रा. लिमिटेड एजेंसी जो ग्वालियर की होकर देख रही रही है तथा मॉनिटरिंग सरकारी विभाग के नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण क्रमांक 11 द्वारा की जा रही है । गुणवत्ताविहीन नहरों में जब पानी छोड़ा गया तो नानी बड़वानी और बोम्या गांवो में मुख्य नहरों ने ही दम तोड़ दिया और हजारो क्युमेक्स पानी बर्बाद होगा वही कही स्थानों पर बरसाती झरनों जैसी स्थिति हो गई तो कई किसानों के खेतों में पानी घुस गया। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण क्रमांक 11 के सब इंजीनियर से जब ईटीवी भारत ने नहरों के निर्माण में भ्रष्टाचार और गुणवत्ता को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया कि विभाग और निर्माण एजेंसी द्वारा लापरवाही बरती गई है वही क्षेत्र के विधायक व प्रदेश के गृहमंत्री केवल जुबानी खर्च कर नहरों की गुणवत्ता सुधारने की बात कर रहे हैं लेकिन इसके विपरीत लालफीताशाही के चलते नुकसान किसानों को ही उठाना पड़ रहा है।
बाइट01-विजय वास्कले-सरपंच,बोम्या
बाइट02-बाबू-नहर प्रभावित किसान
बाइट03-पीएन भार्गव-सब इंजीनियर-एनव्हीडीए 11
बाइट04-बाला बच्चन-विधायक व गृहमंत्री


Conclusion:खेती को लाभ का धंधा बताकर पिछले 15 साल प्रदेश में राज कर गई भाजपा के बाद अब किसानों के हक में बात करने वाली कांग्रेस की स्थिति चोर -चोर मसोरे भाईयो जैसी दिखाई दे रही है क्योंकि निमाड़ का किसान आज भी दोनों सरकारों में उपेक्षित है। बड़ी बड़ी परियोजनाए करप्शन की भेंट चढ़ गई किन्तु नेता केवल जुमलो पर ही किसानों के हित की बात करती नजर आती है। इंदिरा सागर जल परियोजना की नहरों के फूटने से एक और निर्माण तथा मॉनिटरिंग एजेंसी की पोल खुल गई वही प्रदेश के नम्बर 2 मंत्री बाला बच्चन की 10 माह से किसानों के हित की बात फूटी नहरों के समान थोथी साबित होती नजर आ रही है।
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