बड़वानी। देश में 5G नेटवर्क के आमद की खबर है मगर एमपी के कई ऐसे इलाके हैं जो आज भी 3G और 4G नेटवर्क के लिए तरस रहे हैं. इस नेटवर्क पर मोबाइल को चलाने के लिए अब भी पेड़ पर चढ़ना पड़ता है. आधुनिकता की राह पर चल रहे देश में सब डिजिटिल हो रहा है. सिर्फ एक क्लिक और आसानी से काम हो जाता है, लेकिन इस डिजिटल दौर में भी बड़वानी में सब कुछ सामान्य नहीं है. यहां सेल्समेन कभी पेड़ पर चढ़कर, तो कभी पहाड़ी पर चढ़कर लोगों को राशन वितरित करते हैं. ये हाल तब है जब बड़वानी की दूरी एमपी के कमर्शियल हब और टेलीकॉम के एमपी-छत्तीसगढ़ सर्कल के हेडक्वार्टर इंदौर से महज 150 किलोमीटर है.
पढ़ाई से लेकर पंचायती काम हुए ठप
बड़वानी जिला मुख्यालय से महज 3 से 4 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बोम्या में राशन दुकान पर पिछले 3 से 4 दिनों से ग्रामीणों सहित दुकान संचालक POS मशीन(Point of sale) में नेटवर्क नहीं मिलने से परेशान हैं. स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. साथ ही पंचायत के जरूरी कार्य भी नेटवर्क नहीं मिलने से ठप पड़े हैं.
पेड़ पर चढ़कर किया जा रहा लोगों को राशन वितरित
कोरोना काल के चलते ऑनलाइन पढ़ाई को प्राथमिकता दी गई है, लेकिन बोम्या गांव में ऑनलाइन पढ़ाई तो दूर, नेटवर्क की समस्या के चलते लोगों को राशन के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है. POS मशीन में नेटवर्क नहीं मिलने के चलते सेल्समैन अपनी जान हथेली पर लेकर पेड़ पर चढ़ता है, जहां बमुश्किल नेटवर्क मिलता है और दिन भर में चार से पांच लोगों को ही राशन उपलब्ध हो पा रहा है.
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सिर्फ 55 लोगों को मिला है राशन
आलम यह है कि, गांव में करीब 700 से ज्यादा उपभोक्ताओं में से अब तक सिर्फ 55 को राशन मिल पाया है. अब तक अधिकारियों ने ऑफलाइन राशन वितरण के लिए भी कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं, जिसके चलते ग्रामीण पशोपेश में हैं.
निराश हो कर लौट रहे बुजुर्ग
पेड़ पर भी कभी POS मशीन में नेटवर्क मिल पाता है, तो कभी नहीं. ऐसे में बुजुर्ग उपभोक्ताओं को राशन नहीं मिल पाने पर निराश होकर लौटना पड़ रहा है. साथ ही क्षेत्र के मजदूर वर्ग के उपभोक्ता भी अपना काम छोड़कर दिनभर राशन के लिए लाइन लगाकर परेशान हो रहे हैं, लेकिन नेटवर्क के अभाव में उन्हें रोजाना खाली हाथ ही घर लौटना पड़ रहा है. डिजिटल दौर में नेटवर्क की समस्या इन दिनों ग्रामीणों को राशन के लिए परेशान कर रही है.