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सावन-भादो में भी रूठे हैं इंद्रदेव, सूखे तालाबों ने किसानों की बढ़ाई चिंता

भादो का महीना भी बीतने को है लेकिन इस साल अब तक बड़वानी में अच्छी बारिश नहीं हुई है, जिस वजह से जिले के नदी-तालाब सब सूख गए हैं. ऐसे में अब किसानों को सिंचाई की चिंता सताने लगी है.

no water in ponds
सूखे तालाबों ने किसानों की बढ़ाई चिंता
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Published : Aug 21, 2020, 7:13 PM IST

बड़वानी। सालभर कई प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलने वाले किसान एक बार फिर प्रकृति के रूठने से परेशान हैं. पूरा सावन का महीना बीत गया लेकिन इस साल अच्छी बारिश नहीं हुई. वहीं अब भादो भी बीतने ही वाला है, लेकिन इंद्रदेव की बेरूखी के कारण बड़वानी में अब तक तालाब सूखे पड़े हैं.

सूखे तालाबों ने किसानों की बढ़ाई चिंता

जिले के कई गांव और नगर का पेयजल इन्हीं तालाबों पर निर्भर है. साथ ही जिले के लोग अपनी खेती के लिए पूरी तरह से इन्हीं तालाबों के पानी पर आश्रित हैं. लेकिन तालाबों में पानी नहीं होने की वजह से किसानों को अब अपनी फसल की सिंचाई की चिंता सताने लगी है.

no water in ponds
सूखे पड़े तालाब

6 इंच कम हुई है अब तक बारिश

सेंधवा जलसंसाधन विभाग के इंजीनियर रविंद्रसिंह ठकराल ने बताया कि पिछले साल इस समय तक 27 इंच बारिश हुई थी, लेकिन बीते साल की तुलना में इस साल अब तक 6 इंच कम बारिश हुई है, जिस वजह से जिले भर के तालाब खाली हैं. पिछले साल इस समय नर्मदा नदी अपने उफान पर थी. लेकिन वर्तमान में नर्मदा का जलस्तर 121 मीटर पर स्थिर है.

no water in ponds
नहीं बचा है तालाबों में पानी

बड़वानी में 106 तालाब हैं निर्मित

जिले में कुल 106 तालाब निर्मित हैं, जिनमें से 12 तालाब 100 फीसदी पूरे भरे हैं. वहीं 44 तालाब 50 फीसदी से कम और 14 तालाब 50 फीसदी से ऊपर भरे हैं. जबकि 38 तालाब पूरी तरह खाली हैं. जिले के इन 106 तालाबों से अलग-अलग क्षेत्रों में 34 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है.

no water in ponds
किसानों को सता रही चिंता

वहीं नर्मदा लाइन से हजारों हेक्टेयर की सिंचाई भी होती है. ऐसे में अगर तालाब पूरे नहीं भरते हैं और नर्मदा के जलस्तर में व्यापक बढ़ोतरी नहीं होती है तो किसानों को सिंचाई के लिए परेशानी उठानी पड़ेगी.

नहीं बचा है पानी

मानसून की बेरुखी इसी तरह रही तो सेंधवा शहर की प्यास बुझाने वाला रतावली तालाब सबसे बड़ी परेशानी बन सकता है, क्योंकि इस तालाब की 18.81 MCM जल भराव क्षमता है और 14.83 MCM जल का उपयोग किया जाता है, लेकिन अब तक सिर्फ 3 MCM पानी ही बचा हुआ है.

रतावली तालाब से पानी छोड़ने पर ग्राम बारद्वारी स्थित नगरपालिका के बैराज में जमा होता है, जिसमें फिलहाल 10 से 12 दिन का पानी ही शेष बचा है. इसी तरह सेंधवा विकासखंड के चार बड़े तालाब रतावली, कमोदवाड़ा, टोरी और बड़गांव के पेट अभी खाली है.

उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई बारिश

बता दें, निसर्ग तूफान के चलते हुई बारिश से ऐसा लगा था कि इस बार सावन की शुरुआत में बारिश से जिले के सभी तालाबों और नदियों के जलस्तर में व्यापक बढ़ोतरी होगी लेकिन सावन से शुरु हुई बूंदाबांदी का दौर अब तक जारी है.

किसानों को सावन की बेरुखी के बाद भादो से आस है ताकि उनकी खड़ी फसल को पर्याप्त पानी मील सके और कुंओं का जलस्तर बना रहे. नर्मदा नदी का जलस्तर भी पिछले साल अगस्त में 131 मीटर पर था. गांव के गांव जलमग्न होने की कगार पर थे लेकिन वर्तमान में खतरे के निशान से भी 6 मीटर नीचे है.

सूखे पड़े तालाब
जिले के 106 तालाबों में कुल उपयोगी जल भराव क्षमता 145.939 मिलियन घन मीटर है. जबकि फिलहाल मात्र 59.217 मिलियन घन मीटर पानी ही मौजूद है. पिछले साल इस समय 145 मिलियन घन मीटर के मुकाबले 134 मिलियन घन मीटर पानी उपलब्ध था.

वहीं जिले के चार उप संभागों के तालाबों के जलस्तर की बात करें तो ठीकरी में 24 तालाब हैं, जिसमें 29 MCM से ज्यादा पानी की उपलब्धता हो सकती है, लेकिन बरसात की खेंच से मात्र 8 MCM पानी उपलब्ध है.

इसी तरह राजपुर में 50 तालाब हैं जिसमें 43 MCM के मुकाबले 24 MCM ही पानी की मात्रा उपलब्ध है. वहीं सेंधवा में 16 तालाब हैं, जिसमें 46 MCM के मुकाबले 18 MCM और पानसेमल में भी 16 तालाब हैं, जिसमें 26 MCM के मुकाबले मात्र 7 MCM पानी वर्तमान में उपलब्ध है.

ये भी पढ़ें- रीवा के सबसे बड़े अस्पताल में नहीं आगजनी से निपटने का पुख्ता इंतजाम, जिम्मेदार मौन

जिले में अब तक कुल 21 इंच बारिश हुई है. जबकि पिछले साल 27 इंच बरसात हो चुकी थी. बारिश की लंबी खेंच से अन्नदाता भी खासे परेशान हैं. पिछले एक पखवाड़े से अच्छी बारिश नहीं हुई है.

ऐसे में खेतों में खड़ी फसलों को खासा नुकसान हो सकता है. अच्छी बारिश की आस लगाए किसानों को पर्याप्त पानी नही मिलने और नदी, तालाब के खाली रहने से आगामी फसलों को सिंचित करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

बड़वानी। सालभर कई प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलने वाले किसान एक बार फिर प्रकृति के रूठने से परेशान हैं. पूरा सावन का महीना बीत गया लेकिन इस साल अच्छी बारिश नहीं हुई. वहीं अब भादो भी बीतने ही वाला है, लेकिन इंद्रदेव की बेरूखी के कारण बड़वानी में अब तक तालाब सूखे पड़े हैं.

सूखे तालाबों ने किसानों की बढ़ाई चिंता

जिले के कई गांव और नगर का पेयजल इन्हीं तालाबों पर निर्भर है. साथ ही जिले के लोग अपनी खेती के लिए पूरी तरह से इन्हीं तालाबों के पानी पर आश्रित हैं. लेकिन तालाबों में पानी नहीं होने की वजह से किसानों को अब अपनी फसल की सिंचाई की चिंता सताने लगी है.

no water in ponds
सूखे पड़े तालाब

6 इंच कम हुई है अब तक बारिश

सेंधवा जलसंसाधन विभाग के इंजीनियर रविंद्रसिंह ठकराल ने बताया कि पिछले साल इस समय तक 27 इंच बारिश हुई थी, लेकिन बीते साल की तुलना में इस साल अब तक 6 इंच कम बारिश हुई है, जिस वजह से जिले भर के तालाब खाली हैं. पिछले साल इस समय नर्मदा नदी अपने उफान पर थी. लेकिन वर्तमान में नर्मदा का जलस्तर 121 मीटर पर स्थिर है.

no water in ponds
नहीं बचा है तालाबों में पानी

बड़वानी में 106 तालाब हैं निर्मित

जिले में कुल 106 तालाब निर्मित हैं, जिनमें से 12 तालाब 100 फीसदी पूरे भरे हैं. वहीं 44 तालाब 50 फीसदी से कम और 14 तालाब 50 फीसदी से ऊपर भरे हैं. जबकि 38 तालाब पूरी तरह खाली हैं. जिले के इन 106 तालाबों से अलग-अलग क्षेत्रों में 34 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है.

no water in ponds
किसानों को सता रही चिंता

वहीं नर्मदा लाइन से हजारों हेक्टेयर की सिंचाई भी होती है. ऐसे में अगर तालाब पूरे नहीं भरते हैं और नर्मदा के जलस्तर में व्यापक बढ़ोतरी नहीं होती है तो किसानों को सिंचाई के लिए परेशानी उठानी पड़ेगी.

नहीं बचा है पानी

मानसून की बेरुखी इसी तरह रही तो सेंधवा शहर की प्यास बुझाने वाला रतावली तालाब सबसे बड़ी परेशानी बन सकता है, क्योंकि इस तालाब की 18.81 MCM जल भराव क्षमता है और 14.83 MCM जल का उपयोग किया जाता है, लेकिन अब तक सिर्फ 3 MCM पानी ही बचा हुआ है.

रतावली तालाब से पानी छोड़ने पर ग्राम बारद्वारी स्थित नगरपालिका के बैराज में जमा होता है, जिसमें फिलहाल 10 से 12 दिन का पानी ही शेष बचा है. इसी तरह सेंधवा विकासखंड के चार बड़े तालाब रतावली, कमोदवाड़ा, टोरी और बड़गांव के पेट अभी खाली है.

उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई बारिश

बता दें, निसर्ग तूफान के चलते हुई बारिश से ऐसा लगा था कि इस बार सावन की शुरुआत में बारिश से जिले के सभी तालाबों और नदियों के जलस्तर में व्यापक बढ़ोतरी होगी लेकिन सावन से शुरु हुई बूंदाबांदी का दौर अब तक जारी है.

किसानों को सावन की बेरुखी के बाद भादो से आस है ताकि उनकी खड़ी फसल को पर्याप्त पानी मील सके और कुंओं का जलस्तर बना रहे. नर्मदा नदी का जलस्तर भी पिछले साल अगस्त में 131 मीटर पर था. गांव के गांव जलमग्न होने की कगार पर थे लेकिन वर्तमान में खतरे के निशान से भी 6 मीटर नीचे है.

सूखे पड़े तालाब
जिले के 106 तालाबों में कुल उपयोगी जल भराव क्षमता 145.939 मिलियन घन मीटर है. जबकि फिलहाल मात्र 59.217 मिलियन घन मीटर पानी ही मौजूद है. पिछले साल इस समय 145 मिलियन घन मीटर के मुकाबले 134 मिलियन घन मीटर पानी उपलब्ध था.

वहीं जिले के चार उप संभागों के तालाबों के जलस्तर की बात करें तो ठीकरी में 24 तालाब हैं, जिसमें 29 MCM से ज्यादा पानी की उपलब्धता हो सकती है, लेकिन बरसात की खेंच से मात्र 8 MCM पानी उपलब्ध है.

इसी तरह राजपुर में 50 तालाब हैं जिसमें 43 MCM के मुकाबले 24 MCM ही पानी की मात्रा उपलब्ध है. वहीं सेंधवा में 16 तालाब हैं, जिसमें 46 MCM के मुकाबले 18 MCM और पानसेमल में भी 16 तालाब हैं, जिसमें 26 MCM के मुकाबले मात्र 7 MCM पानी वर्तमान में उपलब्ध है.

ये भी पढ़ें- रीवा के सबसे बड़े अस्पताल में नहीं आगजनी से निपटने का पुख्ता इंतजाम, जिम्मेदार मौन

जिले में अब तक कुल 21 इंच बारिश हुई है. जबकि पिछले साल 27 इंच बरसात हो चुकी थी. बारिश की लंबी खेंच से अन्नदाता भी खासे परेशान हैं. पिछले एक पखवाड़े से अच्छी बारिश नहीं हुई है.

ऐसे में खेतों में खड़ी फसलों को खासा नुकसान हो सकता है. अच्छी बारिश की आस लगाए किसानों को पर्याप्त पानी नही मिलने और नदी, तालाब के खाली रहने से आगामी फसलों को सिंचित करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

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