बड़वानी। आजादी के 74 बरस बीत जाने के बाद भी कई ऐसे इलाके हैं. जहां बिजली उनके लिए आज भी सपना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी सौभाग्यवती योजना के तहत हर घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य बड़वानी जिले में साकार होता नहीं दिख रहा है. राजपुर विकासखंड क्षेत्र के पानवा गांव में बिजली विभाग ने तीन साल पहले घर-घर मीटर तो लगवा दिए, लेकिन इन तीन साल में बिजली का कनेक्शन देना भूल गए. जिसके चलते आज भी ग्रामीण अंधेरे में अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि घरों में कनेक्शन नहीं है, मीटर बंद पड़े हैं फिर भी बिजली विभाग ने ग्रामीणों को हजारों रुपए के बिजली बिल थमा दिए, जिसे लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है.
बिना बिजली कैसे हो डिजिटल पढ़ाई
यह स्थिति जिले के एक गांव की नहीं बल्कि सैकड़ों गांव की है. जहां बिजली तो नहीं पहुंची लेकिन बिजली के बिल जरूर पहुंच गए हैं. वहीं दूसरी ओर सरकार कोरोना काल में स्कूल बंद होने के चलते डिजिटल पढ़ाई की ओर ध्यान दे रही है, लेकिन उनका क्या, जहां घरेलू बिजली के अभाव में डिजिटल पढ़ाई केवल बेमानी साबित हो रही है, क्योंकि आज भी कई गांव के लोग अपने बच्चों को चिमनी के सहारे पढ़ाने को मजबूर हैं.
मीटर बंद, हजारों का बिजली बिल
ग्रामीण 24 घंटे बिजली की मांग को लेकर दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं तो वहीं जिम्मेदार बजट का बहाना बनाकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि करीब 3 साल पहले विद्युत मंडल द्वारा उनके गांव में घर-घर बिजली के मीटर तो लगा दिए, जिससे ग्रामीणों को 24 घंटे बिजली मिलने की आस जगी थी, लेकिन यह खुशी तब गम में तब्दील हो गई जब बिना बिजली आए ही उनके हाथों में हजारों के बिल आ गए. वहीं बिजली विभाग अधिकारी का कहना है कि 24 घंटे बिजली सप्लाई होने का काम सौभाग्यवती योजना के बजट के अभाव में रुका है.
विद्युत मंडल की लापरवाही
आदिवासी बहुल बड़वानी जिले में विद्युत मंडल की लापरवाही के चलते कई गांव के सैकड़ों ग्रामीण बिना बिजली के बिल भरने को मजबूर हैं. तीन साल पहले विद्युत मंडल द्वारा लोगों के घरों पर बिजली के मीटर तो लगा दिए पर कनेक्शन नहीं दिए गए, लेकिन बिजली विभाग बिना बिजली के मीटरों के भी बिल वसूली कर रहा है, जिसको लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश है.