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अन्नदाता पर मौसम के बाद लॉकडाउन की दोहरी मार, अब प्याज ने भी रूलाया

लॉकडाउन के कारण कई किसानों की सब्जियां और फल खेतों में ही सड़ रही हैं. इन सभी संकट से उबर नहीं पाए थे कि प्याज कि फसल ने किसान के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं. बड़वानी में प्याज के किसान अब फसल बेचने को परेशान हो रहे हैं, क्योंकि मंडियों में ताला लगा हुआ है.

farmers are unable to sell onions in barwani
प्याज की फसल
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Published : Apr 20, 2020, 6:22 PM IST

Updated : Apr 26, 2020, 1:14 PM IST

बड़वानी। जिले के कई गांव में हजारों एकड़ की प्याज की फसल पक कर तैयार है लेकिन लॉकडाउन के कारण कई किसानों की सब्जियां और फल खेतों में ही सड़ रही हैं. इन सभी संकट से उबर नहीं पाए थे कि प्याज कि फसल ने किसान के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं. किसानों को दोहरी मार पड़ रही है पहले तो मौसम ने साथ नहीं दिया जैसे-तैसे प्याज की फसल तैयार भी हुई तो लॉकडाउन ने कमर तोड़ दी.

चार माह प्याज की फसल को पानी दवाई, खाद एवं अन्य खर्च करने के बाद फसल पक कर तैयार हुई तो पूरे देश की मंडियां लॉकडाउन के चलते बंद हो गईं, ऐसे हालातों में अपने खेतों में किसानों को बिना व्यवस्था के कहीं पेड़ों के नीचे तो कहीं खेतों में ही अपनी प्याज की फसल को रखना पड़ रहा है और 15 दिन बीतने के बाद प्याज खराब होने लगी है. बड़वानी से लगे गांवों में प्याज की फसल निकली जा रही है लेकिन मेहताना नहीं.

कॄषक ओमप्रकाश ने बताया कि 6 एकड़ में प्याज की फसल बोई थी, लेकिन वर्तमान में लाभ तो दूर मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है. ऐसी हालातों में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू करना चाहिए और किसानों को बोनस व फसल बीमा की राशि जल्द उपलब्ध करना चाहिए, जिससे किसान आगामी फसल के लिए बीज खरीद सके.

राजपुर तहसील के कृषक रामलाल कुशवाहा ने बताया कि उनके खेत में करीबन 4 एकड़ में प्याज लगाया था 10-12 दिन पहले प्याज उखड़वा ली गई थी, लेकिन मंडिया बंद होने से प्याज खेत में ही सड़ रही है. रामलाल की फसल में ढाई लाख के लगभग की लागत लगी है और लागत भी नहीं निकलने पर अब लोन चुकाने की चिंता सताने लगी है.

भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष मंशाराम पंचोले ने बताया कि पूरे जिले में प्याज कटाई का काम शुरू हो गया है. लॉकडाउन के कारण मंडिया बंद हैं और किसानों को बारदाना भी नहीं मिल रहा है. भंडारण की व्यवस्थान नहीं होने के कारण फसल खेतों में ही रखनी पड़ रही है. प्याज को लेकर शासन द्वारा छोटे-छोटे कोल्ड स्टोर बनवाए जाते हैं लेकिन वे भ्रष्टाचार के कारण नहीं बन पाए. किसानों को बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का भी डर सता रहा है.

बहरहाल, सरकार ने बैंक कर्ज पर 0 फीसदी ब्याज और ऋण वापसी के लिए एक माह का समय तो दे दिया, लेकिन अगर फसल ही बर्बाद हो गई तो किसान एक माह बाद भी पैसा कहां से लाएगा ऐसे में देखना ये है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इस आपदा से किसानों को किस तरह राहत देंगे और भ्रष्ट अधिकारियों पर कैसे नकेल कसते हुए क्या कार्रवाई करेंगे.

बड़वानी। जिले के कई गांव में हजारों एकड़ की प्याज की फसल पक कर तैयार है लेकिन लॉकडाउन के कारण कई किसानों की सब्जियां और फल खेतों में ही सड़ रही हैं. इन सभी संकट से उबर नहीं पाए थे कि प्याज कि फसल ने किसान के माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं. किसानों को दोहरी मार पड़ रही है पहले तो मौसम ने साथ नहीं दिया जैसे-तैसे प्याज की फसल तैयार भी हुई तो लॉकडाउन ने कमर तोड़ दी.

चार माह प्याज की फसल को पानी दवाई, खाद एवं अन्य खर्च करने के बाद फसल पक कर तैयार हुई तो पूरे देश की मंडियां लॉकडाउन के चलते बंद हो गईं, ऐसे हालातों में अपने खेतों में किसानों को बिना व्यवस्था के कहीं पेड़ों के नीचे तो कहीं खेतों में ही अपनी प्याज की फसल को रखना पड़ रहा है और 15 दिन बीतने के बाद प्याज खराब होने लगी है. बड़वानी से लगे गांवों में प्याज की फसल निकली जा रही है लेकिन मेहताना नहीं.

कॄषक ओमप्रकाश ने बताया कि 6 एकड़ में प्याज की फसल बोई थी, लेकिन वर्तमान में लाभ तो दूर मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है. ऐसी हालातों में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू करना चाहिए और किसानों को बोनस व फसल बीमा की राशि जल्द उपलब्ध करना चाहिए, जिससे किसान आगामी फसल के लिए बीज खरीद सके.

राजपुर तहसील के कृषक रामलाल कुशवाहा ने बताया कि उनके खेत में करीबन 4 एकड़ में प्याज लगाया था 10-12 दिन पहले प्याज उखड़वा ली गई थी, लेकिन मंडिया बंद होने से प्याज खेत में ही सड़ रही है. रामलाल की फसल में ढाई लाख के लगभग की लागत लगी है और लागत भी नहीं निकलने पर अब लोन चुकाने की चिंता सताने लगी है.

भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष मंशाराम पंचोले ने बताया कि पूरे जिले में प्याज कटाई का काम शुरू हो गया है. लॉकडाउन के कारण मंडिया बंद हैं और किसानों को बारदाना भी नहीं मिल रहा है. भंडारण की व्यवस्थान नहीं होने के कारण फसल खेतों में ही रखनी पड़ रही है. प्याज को लेकर शासन द्वारा छोटे-छोटे कोल्ड स्टोर बनवाए जाते हैं लेकिन वे भ्रष्टाचार के कारण नहीं बन पाए. किसानों को बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि का भी डर सता रहा है.

बहरहाल, सरकार ने बैंक कर्ज पर 0 फीसदी ब्याज और ऋण वापसी के लिए एक माह का समय तो दे दिया, लेकिन अगर फसल ही बर्बाद हो गई तो किसान एक माह बाद भी पैसा कहां से लाएगा ऐसे में देखना ये है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह इस आपदा से किसानों को किस तरह राहत देंगे और भ्रष्ट अधिकारियों पर कैसे नकेल कसते हुए क्या कार्रवाई करेंगे.

Last Updated : Apr 26, 2020, 1:14 PM IST
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