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नर्मदा किनारे बसा गांव दतवाड़ा बना टापू, मुआवजे की मांग कर रहे ग्रामीण

बड़वानी जिले में नर्मदा किनारे बसा गांव दतवाड़ा टापू बनने की कगार पर है. गांव का मुख्य रास्ता जलमग्न हो गया है. ग्राम वासियों ने बताया कि दतवाड़ा में करीब 25 से 30 परिवार ऐसे हैं, जिनको मुआवजा तो मिला, लेकिन किसी का प्लाट बाकी रह गया, तो किसी को 5 लाख 80 हजार का पैकेज नहीं मिला.

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नर्मदा किनारे बसा गांव दतवाड़ा बना टापू
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Published : Sep 13, 2020, 11:18 AM IST

बड़वानी। नर्मदा का जल स्तर लगातार बढ़ने से बड़वानी जिले का ग्राम दतवाड़ा टापू बनने की कगार पर है. ग्राम का एक मात्र मुख्य रास्ता जलमग्न हो जाने से ग्रामवासियों को या तो नाव के सहारे या तीन से चार किलोमीटर घूम कर आना जाना पड़ रहा है.

नर्मदा किनारे बसा गांव दतवाड़ा बना टापू

ग्राम वासियों ने बताया कि दतवाड़ा में करीब 25 से 30 परिवार ऐसे हैं, जिनको मुआवजा तो मिला, लेकिन किसी का प्लाट बाकी रह गया, तो किसी को 5 लाख 80 हजार का पैकेज नहीं मिला.

वहीं एक परिवार ऐसा भी है जिनको अभी तक किसी भी प्रकार का मुआवजा नहीं मिला. दशरथ सिंह की माने तो उनका मकान डूब क्षेत्र से बाहर बता दिया, जबकि आस पड़ोस के परिवारों को मुआवजा मिल गया. करीब 250 से अधिक परिवार गांव छोड़कर जा चुके हैं, जिससे पूरा गांव उजड़ चुका है, खाली पड़े मकान खंडहरों में तब्दील हो गए हैं.

इन सब के बीच ग्रामीण दहशत व खौफ के बीच रहने को मजबूर हैं. प्रशासन का कोई भी जवाबदार उनकी सुध लेने तक नहीं आ रहा है. रहवासी शासन प्रशासन से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं, ताकि वो भी अपना आशियाना बना कर शांति व सुकून से अपना गुजर बसर कर सकें.

सरदार सरोवर बांध के भरने के चलते नर्मदा का जलस्तर 137 मीटर के करीब पहुंच गया है. नर्मदा किनारे के कई गांव टापू बन गए हैं. वहीं डूब प्रभावित अपनी मांगों को लेकर अपने गांवों में डटे हैं. प्रभावितों की मांग है कि उन्हें आर्थिक पैकेज दिया जाए, जिससे वो अपना जीवन नए सिरे से शुरू कर सकें.

बड़वानी। नर्मदा का जल स्तर लगातार बढ़ने से बड़वानी जिले का ग्राम दतवाड़ा टापू बनने की कगार पर है. ग्राम का एक मात्र मुख्य रास्ता जलमग्न हो जाने से ग्रामवासियों को या तो नाव के सहारे या तीन से चार किलोमीटर घूम कर आना जाना पड़ रहा है.

नर्मदा किनारे बसा गांव दतवाड़ा बना टापू

ग्राम वासियों ने बताया कि दतवाड़ा में करीब 25 से 30 परिवार ऐसे हैं, जिनको मुआवजा तो मिला, लेकिन किसी का प्लाट बाकी रह गया, तो किसी को 5 लाख 80 हजार का पैकेज नहीं मिला.

वहीं एक परिवार ऐसा भी है जिनको अभी तक किसी भी प्रकार का मुआवजा नहीं मिला. दशरथ सिंह की माने तो उनका मकान डूब क्षेत्र से बाहर बता दिया, जबकि आस पड़ोस के परिवारों को मुआवजा मिल गया. करीब 250 से अधिक परिवार गांव छोड़कर जा चुके हैं, जिससे पूरा गांव उजड़ चुका है, खाली पड़े मकान खंडहरों में तब्दील हो गए हैं.

इन सब के बीच ग्रामीण दहशत व खौफ के बीच रहने को मजबूर हैं. प्रशासन का कोई भी जवाबदार उनकी सुध लेने तक नहीं आ रहा है. रहवासी शासन प्रशासन से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं, ताकि वो भी अपना आशियाना बना कर शांति व सुकून से अपना गुजर बसर कर सकें.

सरदार सरोवर बांध के भरने के चलते नर्मदा का जलस्तर 137 मीटर के करीब पहुंच गया है. नर्मदा किनारे के कई गांव टापू बन गए हैं. वहीं डूब प्रभावित अपनी मांगों को लेकर अपने गांवों में डटे हैं. प्रभावितों की मांग है कि उन्हें आर्थिक पैकेज दिया जाए, जिससे वो अपना जीवन नए सिरे से शुरू कर सकें.

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