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आदिवासी वनपरिक्षेत्र में मुफ्त राशन योजना पर लगा ग्रहण, चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट

बड़वानी के दूरस्थ आदिवासी अंचलों में शासन की कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन जिम्मेदार उसको पलीता लगाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रहने दे रहे हैं. कई योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं, तो कई योजनाएं उचित संचालन के अभाव में हितग्राहियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं. ऐसी ही एक योजना है 'फ्री राशन योजना'.

Free ration scheme in forest area
वनपरिक्षेत्र में मुफ्त राशन योजना
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Published : Aug 14, 2020, 10:54 PM IST

बड़वानी। पाटी वनक्षेत्र की दूरस्थ पहाड़ी वनग्राम क्षेत्र देवगढ़, चीचवाणीया, आम्बी में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां पर सरकारी योजनाएं जिम्मेदारों की निष्क्रियता के चलते हितग्राहियों को उनका लाभ मिलता दिखाई नहीं दे रहा है. वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही से शासन द्वारा संचालित गरीब परिवार को फ्री राशन वितरण प्रणाली को बट्टा लगाया जा रहा है.

वनपरिक्षेत्र में मुफ्त राशन योजना में भ्रष्टाचार

क्षेत्र में जहां आवागमन के साधनों का अभाव है, वहीं विभाग के कर्मचारियों के द्वारा वन क्षेत्र कें केंद्र की उचित मूल्य दुकानों का संचालन नियत स्थान से लगभग 10 से 15 किलोमीटर दूर ग्राम बोकराटा में किया जा रहा है. साथ ही अनाज वितरण में भारी मात्रा में भ्रष्टाचार किया जा रहा है. वन विभाग के कर्मचारियों के द्वारा वितरण केंद्र को मजदूरों के सुपुर्द कर अपने निवास स्थान पर आराम फरमाते रहते हैं. जब वितरण केंद्र पर जाकर वितरण की जानकारी ली गई. तो यहां पर एक मजदूर राधेश्याम राशन वितरण करता हुआ दिखाई दिया.

राशन वितरण पंजीयन में कई नाम फर्जी तरीके से लिखे हैं. लेकिन उन व्यक्तियों के हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान नहीं थे. जब इस संबंध में मजदूर से बात की तो वनपाल द्वारा पहले से रजिस्टर में एंट्री करने की बात कही गई. ऐसी स्थिति में उक्त खाद्यान्न सामग्री का काला बाजारी होना स्वभाविक है, ऐसे में शासन के द्वारा गरीब आदिवासी लोगों के लिए फ्री अनाज वितरण की योजना इन अधिकारियों और कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है.

जिन हितग्राही को आसानी से खाद्य सामग्री मिल जाती है. उन्हें अनाज को अपने घर तक ले जाने के लिए बढ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में आम गरीब मजदूर परिवार को शासन की फ्री राशन योजना के लाभ से भी वंचित होना पड़ रहा है. क्षेत्र के जन प्रतिनिधि और जिले के अधिकारी भी इस समस्या का निराकरण नहीं कर रहे हैं.

बड़वानी। पाटी वनक्षेत्र की दूरस्थ पहाड़ी वनग्राम क्षेत्र देवगढ़, चीचवाणीया, आम्बी में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां पर सरकारी योजनाएं जिम्मेदारों की निष्क्रियता के चलते हितग्राहियों को उनका लाभ मिलता दिखाई नहीं दे रहा है. वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही से शासन द्वारा संचालित गरीब परिवार को फ्री राशन वितरण प्रणाली को बट्टा लगाया जा रहा है.

वनपरिक्षेत्र में मुफ्त राशन योजना में भ्रष्टाचार

क्षेत्र में जहां आवागमन के साधनों का अभाव है, वहीं विभाग के कर्मचारियों के द्वारा वन क्षेत्र कें केंद्र की उचित मूल्य दुकानों का संचालन नियत स्थान से लगभग 10 से 15 किलोमीटर दूर ग्राम बोकराटा में किया जा रहा है. साथ ही अनाज वितरण में भारी मात्रा में भ्रष्टाचार किया जा रहा है. वन विभाग के कर्मचारियों के द्वारा वितरण केंद्र को मजदूरों के सुपुर्द कर अपने निवास स्थान पर आराम फरमाते रहते हैं. जब वितरण केंद्र पर जाकर वितरण की जानकारी ली गई. तो यहां पर एक मजदूर राधेश्याम राशन वितरण करता हुआ दिखाई दिया.

राशन वितरण पंजीयन में कई नाम फर्जी तरीके से लिखे हैं. लेकिन उन व्यक्तियों के हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान नहीं थे. जब इस संबंध में मजदूर से बात की तो वनपाल द्वारा पहले से रजिस्टर में एंट्री करने की बात कही गई. ऐसी स्थिति में उक्त खाद्यान्न सामग्री का काला बाजारी होना स्वभाविक है, ऐसे में शासन के द्वारा गरीब आदिवासी लोगों के लिए फ्री अनाज वितरण की योजना इन अधिकारियों और कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है.

जिन हितग्राही को आसानी से खाद्य सामग्री मिल जाती है. उन्हें अनाज को अपने घर तक ले जाने के लिए बढ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में आम गरीब मजदूर परिवार को शासन की फ्री राशन योजना के लाभ से भी वंचित होना पड़ रहा है. क्षेत्र के जन प्रतिनिधि और जिले के अधिकारी भी इस समस्या का निराकरण नहीं कर रहे हैं.

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