बड़वानी। लॉकडाउन के बाद अब मौसम की मार से ईंट का व्यवसाय लड़खड़ा गया है. चिमनियों की आग ठंडी पड़ चुकी है, जबकि ईंट भट्टे पर स्टाक भरा पड़ा है, किंतु खरीदार नहीं मिल रहे हैं, जिसके चलते भट्टा संचालकों की नींद उड़ी हुई है. बेमौसम बरसात से कामकाज प्रभावित हो रहा है. बड़वानी से 5 किलोमीटर दूर नर्मदा के बढ़ते जलस्तर और लगातार हो रही बारिश के कारण इन दिनों ईट भट्टा संचालकों की सांसें अटकी हैं, कच्ची ईंट पानी में बह रही है और भट्ठे में अधपकी ईंट भी बर्बाद हो रही है.
ईट के रेट बढ़ने के असार
पल-पल बिगड़ रहा मौसम का मिजाज इस कारोबार को पटरी पर नहीं आने दे रहा है, बेमौसम बरसात के चलते कामकाज प्रभावित हो रहा है, जिससे कई ईट करोबारी प्रभावित हुए हैं. बड़वानी में करीब करीब 50 से अधिक ईंट भट्ठा संचालन करने वालों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं. प्री मानसून और लॉकडाउन के चलते कोयले के दाम में बढ़ोत्तरी व मिट्टी के अभाव के बीच ईंट की खपत न के बराबर हो रही है, जिस कारण कारोबारी अब रेट बढ़ाने का मन बना रहे हैं.
एक साल से धंधा ठप
लगभग 4 महीने तक गर्दिश में रहे ईंट उद्योग को भले ही शासन से राहत मिल गई है, लेकिन मौसम की मार ने रही सही कसर पूरी कर दी है. जो कोयला उन्हें पहले 5 हजार रुपए क्विंटल तक मिलता था, वो अब 7 हजार के पार पहुंच गया है, नर्मदा के बढ़ते जलस्तर के चलते मिट्टी मिलना भी मुश्किल हो रहा है. पिछले साल भारी बारिश व सरदार सरोवर बांध के गेट नही खोले जाने से नर्मदा का बैक वाटर लगातार बढ़ा था, जिसके बाद लॉकडाउन और अब बरसात की मार के चलते पिछले एक साल से ईंट का काम ठप्प पड़ा है.
मजदूरी निकालना हो रहा मुस्किल
क्षेत्र के कई ईंट भट्ठे बैक वाटर में पूरी तरह डूब गए हैं, जिसके चलते उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, जैसे तैसे करीब छः माह बाद जब जलस्तर कम हुआ और ईंट निर्माण शुरू ही हुआ था कि प्री मानसून के चलते भारी बारिश हो गई और एक बार फिर सरदार सरोवर बांध के गेट नहीं खोलने से स्थिति बदतर होती जा रही है. क्षेत्र में बरसात के चलते लाखों रुपए की कच्ची ईंट मिट्टी बन गई, जो भट्ठे तैयार किए थे, वो ईंट भी पक नहीं पाई, जिस कारण कर्ज के बोझ से दबे इन ईंट निर्माताओं के लिए मजदूरी निकलना भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.